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Wednesday, 6 November, 2024
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देश के कई हिस्सों में चांद नज़र आया, 3 अप्रैल को रमज़ान का पहला रोज़ा

चांदनी चौक स्थित फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम अहमद ने बताया, 'दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान समेत कई राज्यों में शनिवार शाम को चांद नज़र आ गया है.'

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नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में शनिवार को रमज़ान के मुकद्दस (पवित्र) महीने का चांद नजर आ गया. लिहाज़ा पहला रोज़ा रविवार को होगा.

चांदनी चौक स्थित फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मोहम्मद मुकर्रम अहमद ने बताया, ‘दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान समेत कई राज्यों में शनिवार शाम को चांद नज़र आ गया है.’

उन्होंने कहा कि इस्लामी कैलेंडर के नौवें महीने रमज़ान का पहला दिन रविवार (तीन अप्रैल) को होगा यानी पहला रोज़ा होगा.

जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी ने कहा, ‘मुल्क के अलग-अलग शहरों में रमज़ान का चांद नज़र आया है, लिहाज़ा ऐलान किया जाता है कि तीन अप्रैल को पहला रोज़ा होगा.’

मुस्लिम संगठन इमारत-ए-शरिया-हिंद ने एक बयान में कहा कि देश के अलग-अलग हिस्सों में चांद नज़र आने की पुष्टि हुई है.

संगठन की रूयत-ए-हिलाल समिति (चांद समिति) के सचिव असदुद्दीन कासमी के हवाले से बयान में कहा गया है कि देश में तीन अप्रैल से रमज़ान के महीने का आगाज़ हो रहा है.

इमारत-ए-शरिया-हिंद, जमीयत-उलेमा-ए-हिंद का हिस्सा है.

रमज़ान के महीने में मुसलमान रोज़ा (व्रत) रखते हैं, और सूरज निकलने से लेकर सूरज डूबने तक कुछ खाते-पीते नहीं हैं. इस बार पहली सहरी (सूरज निकलने से पहले का भोजन) का समय सुबह चार बजकर 48 मिनट पर खत्म होगा और इफ्तार (व्रत खोलने का समय) शाम छह बजकर 42 मिनट पर है यानी करीब 14 घंटे का रोज़ा होगा. सूरज निकलने और डूबने के समय में परिवर्तन के साथ इसमें भी बदलाव होता रहेगा.

रमज़ान में मुस्लिम समुदाय के लोग ‘ईशा’ (पांच वक्त की नमाज़ में रात में साढ़े आठ बजे होने वाली अंतिम नमाज़) के बाद पूरे महीने विशेष नमाज़ अदा करते हैं, जिसे ‘तरावीह’ कहा जाता है. इस नमाज़ में कुरान का पाठ किया जाता है.

बीते दो बरस से कोरोनावायरस के चलते लगी पाबंदियों की वजह से धार्मिक स्थल बंद थे और ‘तरावीह’ की विशेष नमाज़ मस्जिदों में नहीं हो रही थी, हालांकि इस बार कोविड के मामले कम होने के बाद पाबंदियों को हटा लिया गया है.

मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा, ‘इस बार कोविड का खतरा कम होने के बाद मस्जिदें खोल दी गई हैं और ‘तरावीह’ की नमाज़ होगी, लेकिन कोविड का खतरा पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, इसलिए एहतियात जरूरी है.’

उन्होंने कहा, ‘चीन और दुनिया के कुछ हिस्सों में कोविड के मामले बढ़े हैं, जिस वजह से वहां पर लॉकडाउन लगा हुआ है. हमारे देश में भले ही खतरा कम हो गया हो, लेकिन लोग एहतियात बरतें और इसको पूरी तरह से खत्म करने की अल्लाह से दुआ मांगें.’

भाषा नोमान नोमान शफीक

शफीक

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.


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