नई दिल्ली: प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव पर रविवार को हो रहे फैसले से ठीक पहले दिए गए एक बड़े बयान में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने शनिवार को कहा कि यूक्रेन पर रूसी आक्रमण एक ‘बड़ी त्रासदी’ है और इसे ‘तुरंत रोका जाना चाहिए’.
इस जंग की निंदा करते हुए बाजवा ने कहा, ‘पाकिस्तान ने निरंतर रूप से तत्काल युद्धविराम किये जाने और दुश्मनी को खत्म करने का आह्वान किया है. हम इस संघर्ष का स्थायी हल तलाशने के लिए सभी पक्षों के बीच तत्काल बातचीत का समर्थन करते हैं.’ उन्होंने कश्मीर सहित भारत के साथ सभी विवादों को भी बातचीत के जरिए सुलझाने का आह्वान किया.
बाजवा ने पाकिस्तान के ‘अमेरिका के साथ लंबे और शानदार रणनीतिक रिश्तों’ का हवाला दिया और बताया कि कैसे ब्रिटेन और यूरोपीय संघ उनके देश के हितों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो कि प्रधानमंत्री खान, जिनकी बयानबाजी तेजी से अमेरिका विरोधी और यूरोपीय संघ विरोधी होती जा रही है, के बयानों के बिल्कुल उलट था.
बाजवा के यह सब कहने से पहले ठीक उसी मंच- इस्लामाबाद सिक्योरिटी डॉयलाग, जिसका मकसद पाकिस्तानी और विदेशी बुद्धिजीवियों को एक साथ लाना है- पर उर्दू में भाषण देते हुए खान ने दावा किया था कि एक ‘शक्तिशाली देश’ 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ रूस द्वारा सैन्य अभियान शुरू किये जाने के ठीक बाद की गयी क्रेमलिन की उनकी यात्रा से परेशान है.
उन्होंने कहा था कि इस अज्ञात देश का सहयोगी, भारत, मास्को के खिलाफ पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल आयात करना जारी रखे हुए है और उन्होंने इस्लामाबाद की ‘अपने पैरों पर खड़े होने’ की विफलता के विपरीत नई दिल्ली की ‘आजाद विदेश नीति’ के लिए उसकी प्रशंसा भी की थी.
उन्होंने ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज़ ट्रस की टिप्पणी का जिक्र करते हुए कहा, ‘आज, मैंने ब्रिटिश विदेश मंत्री के बयान को पढ़ा कि वे भारत से कुछ नहीं कह सकते क्योंकि इसकी एक अपनी आजाद विदेश नीति है. मैं इस समर्थन के लिए उन्हें (पश्चिम) दोष नहीं देता, लेकिन फिर हम क्या हैं?’
खान ने गुरुवार को देश के नाम एक संबोधन में यह भी आरोप लगाया था कि अमेरिका ने उनकी सरकार को गिराने के लिए की गयी एक ‘विदेशी साजिश’ के तहत एक ‘धमकी देने वाला’ मेमो (ज्ञापन) भेजा है.
पाकिस्तानी सेना प्रमुख और उनके प्रधानमंत्री के ये आपस में विपरीत रुख वाले बयान खान और पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान, जिसने उनके सत्ता में आने का समर्थन किया था, के बीच उपजी एक कथित दरार की पृष्ठभूमि के साथ आये हैं. पाकिस्तानी पर सेना ने अविश्वास प्रस्ताव के मामले में साफ तौर पर तटस्थ रुख बनाए रखा है.
खबरों से पता चलता है कि पिछले साल अक्टूबर में इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के एक नए प्रमुख की नियुक्ति को लेकर ही खान और बाजवा के बीच ये मतभेद पनपने शुरू हो गए थे.
इस बीच, खान द्वारा शनिवार को राष्ट्र के नाम एक संबोधन की योजना को कथित तौर पर पाकिस्तानी सेना द्वारा दिए गए आदेशों की वजह से रद्द कर दिया गया था. इस्लामाबाद के राजनयिकों के अनुसार, बाजवा और उनके आईएसआई डिप्टी ने खान को राष्ट्र को संबोधित करने के खिलाफ सलाह दी थी क्योंकि इससे ‘देश का माहौल और खराब हो जाएगा.’
इधर, पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने शनिवार को एक मीडिया संबोधन में इस बात से इनकार किया कि सेना प्रमुख ने खान से इस्तीफा देने के लिए कहा था.
बता दें कि खान की अपनी पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कुछ असंतुष्ट सांसदों के समर्थन के साथ एकजुट विपक्ष द्वारा 28 मार्च को खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में पेश किया गया था. सत्तारूढ़ गठबंधन के एक प्रमुख सहयोगी, मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्यूएम) के विपक्ष के साथ हाथ मिला लेने के बाद खान ने संसद में अपना बहुमत खो दिया है.
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