नई दिल्ली: पंजाब में अपनी सरकार बनाने के कुछ हफ्तों के भीतर ही आम आदमी पार्टी (आप) प्रशासन की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
ऐसा केंद्र सरकार द्वारा तीन महीने के भीतर मौजूदा बिजली के मीटरों को प्रीपेड डिजिटल मीटर से बदलने के लिए राज्य की ओर से कोई रोडमैप दिए जाने अन्यथा बिजली सुधार निधि (इलेक्ट्रिसिटी रिफॉर्म्स फंड) खोने का खतरा उठाने को तैयार रहने की मांग की वजह से है.
इस बीच, पंजाब सरकार को किसान संघों की तरफ से विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है, जिन्होंने सरकार द्वारा प्रीपेड डिजिटल मीटर लगाने का फैसला किये जाने पर राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने की धमकी दी हुई है.
ऐसी आशंकाएं हैं कि इस तरह के मीटर लगाए जाने से किसान – जो फिलहाल पूर्ण-सब्सिडी के दायरे में हैं – बिजली की खपत के लिए अपनी जेब से पैसे खर्च करने के लिए मजबूर हो सकते हैं. अपनी तरफ से तो पंजाब की आप सरकार सभी घरों को प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने के लिए एक योजना शुरू करने की दिशा में काम कर रही है. यह इस राज्य में पार्टी के मुख्य चुनावी वादों में से एक था. एक अनुमान के तहत इस कदम से राज्य के खजाने पर प्रति वर्ष लगभग 5,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा.
परन्तु, 2.82 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ के साथ, पंजाब को पैस की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है और राज्य के कई अधिकारियों का कहना है कि चीजों के सही से काम करने के लिए सुधार किये जाने आवश्यक हैं. बिजली वाले क्षेत्र को भी सुधारों की काफी गुंजाइश वाले क्षेत्र के रूप में देखा जाता है.
इस बीच पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ने मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘हम प्रीपेड मीटर (लगाए जाने) के मुद्दे पर विभिन्न हितधारकों के साथ बैठक करेंगे, विशेष रूप से इसका विरोध करने वालों के साथ, और साथ ही इस पहल के सभी गुणों और दोषों का आकलन भी करेंगे.’
उन्होंने कहा, ‘बिजली का विषय समवर्ती सूची में आता है. इसलिए, केंद्र और राज्य दोनों इस क्षेत्र में फैसले ले सकते हैं. पंजाब सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया है. हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि हम कोई भी निर्णय व्यापक जनहित में ही लेंगे.’
समवर्ती सूची, भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची में उल्लिखित उन डोमेन (कार्यक्षेत्र) की एक सूची है, जिन पर केंद्र और राज्य दोनों सरकारों का अधिकार होता है.
सिंह ने आगे कहा, ‘हम बिजली के मुद्दे पर अपनी सभी गारंटियां जल्द ही पूरी करेंगे. कृपया हमें कुछ समय दें. 300 यूनिट मुफ्त बिजली योजना पर जल्द ही कोई फैसला हो जाएगा.‘
इस बीच राज्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 10 मार्च को – जिस दिन पंजाब विधानसभा चुनावों में आप की भारी जीत की घोषणा की गई थी – केंद्र सरकार ने राज्य को तीन महीने के भीतर सभी मीटरों को प्रीपेड मीटर के रूप में अपग्रेड (उन्नत) करने के लिए एक रोडमैप प्रस्तुत करने का निर्देश देते हुए एक पत्र भेजा था.
पंजाब के नए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 16 मार्च को अपना कार्यभार संभाला. और दिप्रिंट कि पता चला है कि तब से राज्य सरकार को इस मामले पर कम-से-कम एक बार रिमाइंडर लेटर (फिर से याद दिलाने के लिए भेजा गया पत्र) मिला है.
राज्य का वित्तीय बोझ
सरकारी रिकॉर्डस (अभिलेखों) के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए राज्य का कुल बिजली सब्सिडी बिल 10,668 करोड़ रुपये था. इसमें से 7,180 करोड़ रुपये उन किसानों को सब्सिडी देने में खर्च किये गए, जिन्हें बिजली का कोई भी बिल नहीं चुकाना होता है.
जब आप सरकार 10 मार्च को पंजाब में सत्ता में आई, तो उसे पैसों की भारी तंगी से जूझ रहे पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) की कुल 12,600 करोड़ रुपये की बकाया राशि (देनदारी) का सामना करना पड़ा, जिसमें पहले से लंबित बिजली सब्सिडी के एवज में किये जाने वाले भुगतान के रूप में लगभग 9,000 करोड़ रुपये भी शामिल थे.
जैसा कि ऊपर उद्धृत वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘यह स्थिति काफी हद तक पिछली सरकारों द्वारा सब्सिडी की लागत को पूरा करने के लिए बकाया राशि का भुगतान न किये जाने की वजह से है.’
इस अधिकारी ने आगे कहा कि जब कांग्रेस सरकार ने 2017 में शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी के शासन से राज्य की सत्ता की बागडोर संभाली थी तो इस पर बिजली निगम का 2,342 करोड़ रुपये का कर्ज था. कांग्रेस के शासन वाले पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 में यह कर्ज 20,016 करोड़ रुपये हो गया था, जिसमें से 31 दिसंबर तक 7,080 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था और 2,315 करोड़ रुपये कुछ अन्य करों के बदले समायोजित किए गए थे.
आप सरकार को 2021-22 की अंतिम तिमाही के लिए बकाया सब्सिडी राशि के साथ-साथ पहले का बचा हुआ कर्ज विरासत में मिला है.
कथित तौर पर, पंजाब को बिजली चोरी की वजह से भी हर साल लगभग 1,200 करोड़ रुपये का नुकसान होता है.
पिछले दो हफ्तों के दौरान दिप्रिंट के साथ बातचीत में, राज्य सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि पंजाब को बिजली क्षेत्र में सुधारों की सख्त जरूरत है.
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‘सुधार काफी मदद कर सकते हैं’
केंद्र सरकार ने 20 जुलाई, 2021 को रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (संशोधित वितरण क्षेत्र योजना) शुरू की थी. इस योजना के तहत मार्च 2025 तक देश भर में सभी घरेलू उपभोक्ताओं को इसके दायरे में लाने के लिए 25 करोड़ प्री-पेड मीटर स्थापित करने की परिकल्पना की गई है.
ऊपर उद्धृत किये गए पंजाब सरकार के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस योजना के तहत राज्य को कुल लागत का 85 प्रतिशत भुगतान करना होगा, जबकि इसका 15 प्रतिशत हिस्सा केंद्र वहन करेगा.
हालांकि, मीटर बदलने की प्रारंभिक लागत राज्य ही वहन करता है, लेकिन वह इसे पांच साल की अवधि तक मासिक बिलों में शामिल करके उपभोक्ताओं से उगाहने में सक्षम होगा
केंद्र सरकार के बिजली मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी इस बात की पुष्टि की कि उसने पुराने मीटरों को प्रीपेड डिजिटल मीटर के साथ बदलने के लिए पंजाब से एक रोडमैप मांगा है.
उन्होंने कहा, ‘ऐसा ही पत्र अन्य राज्यों को भी भेजा गया था. पंजाब जैसे राज्य के मामले में इस तरह के सुधार से उन्हें ट्रांसमिशन (संचरण) और वितरण में होने वाले नुकसान रोकने तथा बिजली की चोरी का पता लगाने में काफी मदद मिल सकती है.’
इस अधिकारी ने आगे कहा, ‘इस रोडमैप द्वारा राज्यों को केंद्र सरकार को इस बारे में सूचित करना चाहिए कि वे प्रीपेड मीटर लगाने की परियोजना कब शुरू करने की योजना बना रहे हैं, कैसे वे इस कार्यक्रम को चरणों में विभाजित करते हैं, और उन्हें वर्ष-वार समय सीमा भी बतानी है.’
उन्होंने कहा, ‘इसके बाद ही यह फाइल मॉनिटरिंग कमिटी (निगरानी समिति) के पास जाएगी, जो यह तय करेगी कि प्रीपेड मीटर लगाने के रूप में बिजली क्षेत्र में सुधार करने के लिए राज्य को कितना धन दिया जा सकता है.‘
अधिकारी ने यह सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट किया कि यह फंड केंद्र के उस कदम के अलावा है जिसके तहत वह राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा जोर दिए जा रहे कुछ सुधारों को अपनाने के बदले में उधार लेने के लिए अधिक छूट – जो उनके राज्य घरेलू उत्पाद (स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट) के अतिरिक्त 1.5 प्रतिशत तक हो सकता है – की अनुमति देता है.
इनमें ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’,कारोबार करने में आसानी (इज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस) से संबंधित नीतियां तथा स्थानीय निकायों एवं ऊर्जा के क्षेत्रों में सुधार जैसे सुधार शामिल हैं.
क्यों अभी भी पुराने मीटरों पर निर्भर है पंजाब?
पंजाब सरकार के रिकॉर्डस के मुताबिक इस राज्य में करीबन 1 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं.
इनमें से किसी भी उपभोक्ता के पास अभी तक प्रीपेड मीटर नहीं है. पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि अभी लगभग 90,000 पोस्टपेड डिजिटल मीटर हैं, जो पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा जनवरी 2021 में शुरू किए गए एक अभियान के तहत लगाए गए थे. बाकी उपभोक्ता अभी भी पारंपरिक एनालॉग मीटर पर ही निर्भर हैं.
इस अधिकारी ने कहा कि पिछली सरकारों ने भी सुधार लाने की कोशिश की, लेकिन हमेशा से इनका प्रतिरोध हुआ.
उन्होंने आगे कहा, ‘किसानों को यह डर या आशंका है कि मीटर का अपग्रेड किया जाना सरकार द्वारा उन्हें पूरी तरह से या आंशिक रूप से सब्सिडी के दायरे से बाहर किये जाने का प्रयास हो सकता है. दूसरे, मीटर के लिए किश्तों में भी भुगतान करने का मतलब खेती के लिए लगने वाले लागत में वृद्धि होगी. डिजिटल मीटर की कीमत लगभग 500-1,500 रुपये है. प्रीपेड वाले मीटर की कीमत तो करीब 6,000 रुपये होगी. यदि वे साधारण डिजिटल मीटर के इतने खिलाफ थे, तो वे प्रीपेड मीटर का तो निश्चित रूप से विरोध करेंगें ही.’
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