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Monday, 25 November, 2024
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कांग्रेसी नेता चाहते हैं ‘गेस्ट और खाना सीमित हो’ भव्य शादियों पर रोक लगे, पाकिस्तान जैसा कानून बने

कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल का कहना है कि एक कानून ले तहत बारात को 50 लोगों तक सीमित कर दिया चाहिए. साथ ही, लड़की वालों की तरफ से भी उतने ही मेहमानों के शामिल होने की अनुमति होनी चाहिए. उनका कहना था कि अधिक -से- अधिक 11 व्यंजन ही परोसे जाने चाहिए.

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नई दिल्ली: खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल ने बुधवार को भारी-भरकम खर्च और दिखावे वाली भारतीय शादियों के खर्च को कम करने के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग की. साथ ही, उन्होंने मेहमानों और उन्हें परोसे जाने वाले व्यंजनों की संख्या को भी सीमित करने का सुझाव दिया.

शून्यकाल के दौरान लोकसभा में बोलते हुए गिल ने कहा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में पहले से ही ऐसे कानून हैं.

गिल ने कहा, ‘आज मैं यहां एक बहुत बड़ी सामाजिक बुराई के बारे में बात करने के लिए खड़ा हुआ हूं. इस पर सरकार का कोई खर्च नहीं होगा और हम सभी को जो यहां बैठे हैं, और सरकार को भी, लोगों का आशीर्वाद मिलेगा.‘

उन्होंने कहा, ‘आजकल हमारी शादियां बहुत बढ़-चढ़ कर हो रहीं हैं. इतने सारे लोगों को आमंत्रित किया जाता है. महोदय, मेरे पास एक मेनू है. इसमें 289 तरह के पकवानों की लिस्ट हैं और इसकी कीमत 2,500 रुपये प्रति प्लेट है. मेरा अनुरोध है कि हम कोई ऐसा कानून लाए जिसके तहत हम 50 लोगों से ज्यादा के जमावड़े वाली बारात पर रोक लगा सकें. लड़की पक्ष की तरफ से भी 50 ही लोग होने चाहिए, और 11 से ज्यादा व्यंजन नहीं परोसे जाने चाहिए.‘

इसका जवाब देते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने कहा कि बतौर सांसद गिल को इस मामले पर पहल करनी चाहिए और देश इसका अनुसरण करेगा.

उन्होंने कहा, ‘एक सांसद के रूप में, आप ही इस प्रथा को शुरू क्यों नहीं करते हैं और फिर सारा देश इसका पालन करेगा.’

इसके जवाब में गिल ने कहा कि उन्होंने पहले ही ऐसा करना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘लेकिन लोगों द्वारा इसका पालन करने और इसके प्रति ‘शिक्षित’ होने के लिए एक कानून लाने की जरूरत है.’

इस पर ओम बिड़ला ने कहा, ‘ऐसे चीजें कानून से नहीं बल्कि हमारी इच्छाशक्ति के कारण होती हैं.’ उन्होंने कहा, ‘अगर सभी सांसद ऐसा करना शुरू कर दें तो देश खुद इसका पालन करेगा. आप राष्ट्र का नेतृत्व करें.’


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गिल ने अपने बयान का समापन यह कहते हुए किया कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में पहले से ही ऐसे कानून हैं.
उदाहरण के लिए, साल 2015 में, पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि वहां की शादियों में केवल एक ही व्यंजन परोसा जाए, और उसने अनावश्यक साज-सजावट पर भी प्रतिबंध लगा दिया था.

सोशल मीडिया एकाउंट्स का सत्यापन

इस बीच, प्रश्नकाल के दौरान, कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक और मनीष तिवारी ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) मंत्रालय से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर ‘हानिकारक एजेंडे’ के प्रति बढ़ती हुई तलाश के मद्देनजर सोशल मीडिया एकाउंट्स और इसके उपयोगकर्ताओं (यूजर्स) का प्रमाणीकरण (ऑथेन्टिकेशन) शुरू नहीं करने के बारे में अपने रुख को स्पष्ट करने के बारे में सवाल किया.

तिवारी ने कहा, ‘आज के दिन सोशल मीडिया को सरकारों, कुछ राजनीतिक दलों, गैर-सरकारी तत्वों और इस दुनिया में कोई भी खतरनाक एजेंडा रखने वाले हर व्यक्ति द्वारा हथियार बना लिया गया है.’

कांग्रेस सांसद ने सरकार से पूछा कि वह सोशल मीडिया एकाउंट्स का सत्यापन अनिवार्य क्यों नहीं कर रही है?

इसके जवाब में, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि ‘सरकार गोपनीयता से संबंधित मुद्दों को और इन प्लेटफॉर्म्स पर ‘सुरक्षा और विश्वास’ से जुड़े मुद्दों को संतुलित करने में अपनी रुचि रखती है.’

उन्होंने कहा, ‘मेरा इस दृष्टिकोण के प्रति कोई विरोध नहीं है लेकिन यह इस समस्या को हल करने का एक तरीका है. इसे तरह के संतुलन को हासिल करना आसान नहीं है और हम मानते हैं कि अनिवार्य सत्यापन का यह मुद्दा एक ऐसा मुद्दा है जो ‘गोपनीयता’ और ‘सुरक्षा एवं विश्वास’ दोनों के बीच के चौराहे पर खड़ा है.’

चंद्रशेखर ने कहा, ‘हमारा मानना है कि फरवरी 2021 में अमल में लाये गए नियम बहुत प्रभावी ढंग से काम कर रहे हैं…वे किसी भी आपराधिक गतिविधि की सबसे पहले शुरुआत करने वाले शख्स (फर्स्ट ओरिजिनेट) का पता लगाने और उसकी पहचान जानने में सक्षम होने के लिए मध्यवर्ती संस्थाओं (इंटरमीडियरीज) पर दायित्व डालते हैं.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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