नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को लघु और मझोले व्यवसायों के लिए विश्व बैंक से सहायता प्राप्त 6,062 करोड़ रुपये के वित्तपोषण कार्यक्रम को मंजूरी दी, ताकि बाजार तक उनकी पहुंच में सुधार हो सके।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए 6,062.45 करोड़ रुपये या 80.8 करोड़ डॉलर के ‘एमएसएम प्रदर्शन को बेहतर और तेज करना (रैम्प)’ को मंजूरी दी।
कार्यक्रम के कुल परिव्यय में 3,750 करोड़ रुपये (50 करोड़ डॉलर) विश्व बैंक से बतौर ऋण आएंगे, और शेष 2,312.45 करोड़ रुपये केंद्र सरकार देगी।
बयान के मुताबिक, इस कार्यक्रम की शुरुआत वित्त वर्ष 2022-23 में होगी। रैम्प एमएसएमई मंत्रालय के तहत काम करेगा।
बयान में कहा गया, ‘‘इस कार्यक्रम का उद्देश्य बाजार एवं कर्ज तक एमएसएमई की पहुंच को बेहतर करना, केंद्र एवं राज्यों में स्थित विभिन्न संस्थानों और संचालन को मजबूत करना, केंद्र-राज्य संबंधों और साझेदारियों को बेहतर करना, एमएसएमई को देर से होने वाले भुगतान जैसे मुद्दों को सुलझाना है।’’
रैम्प कार्यक्रम के तहत राज्यों में कार्यान्वयन क्षमता के साथ ही एमएसएमई की ‘कवरेज’ बढ़ाने की कोशिश की जाएगी।
बयान में कहा गया है कि आरएएमपी कार्यक्रम विशेष रूप से प्रतिस्पर्धा के मामले में मौजूदा एमएसएमई योजनाओं के प्रभाव में बढ़ोतरी करके चुनौतियों का समाधान करेगा। इसके अलावा यह कार्यक्रम क्षमता निर्माण, मार्गदर्शन व सहायता, कौशल विकास, गुणवत्ता संवर्धन, तकनीकी उन्नयन, डिजिटलीकरण, पहुंच में वृद्धि और प्रचार-प्रसार आदि को बढ़ावा देगा।
बयान में आगे कहा गया कि प्रतिस्पर्धात्मकता और व्यावसायिक स्थिरता को बेहतर बनाने में रैम्प मददगार होगा और इससे तहत अंतरराष्ट्रीय अनुभवों का लाभ उठाकर मानक निर्धारित करने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर भी काम किया जाएगा।
सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों को यूके सिन्हा समिति, केवी कामत समिति तथा प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) की सिफारिशों के अनुरूप मजबूत बनाने के लिए रैम्प की रूपरेखा तैयार की है।
भाषा पाण्डेय अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.