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Sunday, 6 October, 2024
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यूक्रेन में हमले के कुछ दिनों पहले तक खुशनुमा था माहौल

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(कुणाल दत्त)

नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) कीव में एक सार्वजनिक चौराहे पर आकर्षक पुरानी इमारत पर पड़ रही धूप उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही है तो उसके सामने के प्रांगण में स्थित एक स्मारक में दो सिर वाले ड्रैगन पर भाले से वार करती एक घुड़सवार योद्धा की प्रतिमा रोमांचित करती है। यह जनवरी 2022 में यूक्रेन में आम दिनों का सामान्य नजारा था।

बमुश्किल एक महीने बाद यहां की तस्वीर बदल चुकी है। आसमान में धुएं का गुबार नजर आना आम बात हैं, कीव से लेकर खारकीव तक कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक इमारतें या तो पूरी तरह नष्ट हो गई हैं या उन्हें काफी नुकसान पहुंचा हैं। कभी गुलजार रहने वाले सार्वजनिक चौराहों पर चहल-पहल न के बराबर है, डरे-सहमे नागरिक बंकरों में पनाह लिए हुए हैं और इन तस्वीरों को देखकर शायद ही कोई कहे कि कुछ दिनों पहले यही लोग क्रिसमस और नए साल के जश्न में डूबे थे।

दिल्ली स्थित फोटोग्राफर अवंतिका मीटल और उनके पति दिसंबर के अंत से जनवरी की शुरुआत तक यूक्रेन में पर्यटन के लिये नियमित जाते थे, लेकिन उन्होंने कल्पना नहीं की थी कि उनके द्वारा ली गई तस्वीरें अनजाने में समय की धरोहर हो जाएंगी।

मंगलवार शाम यहां इंडिया हैबिटेट सेंटर में शुरू हुई “अनटोल्ड यूक्रेन (ग्लिम्पसेस)” नामक तीन दिवसीय प्रदर्शनी के हिस्से के रूप में राजधानी कीव और ल्वीव शहर की उनके द्वारा ली गई लगभग 90 तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं।

प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद, लोकसभा सांसद शशि थरूर ने कहा कि ये चित्र उन लोगों के लिए “यूक्रेन का मानवीकरण” करते हैं जो वहां नहीं गए हैं। उन्होंने कहा कि तस्वीरें आकर्षक हैं, लेकिन संघर्ष शुरू होने के बाद से “लापरवाह बमबारी” के मद्देनजर इन खूबसूरत इमारतों के भाग्य को लेकर “मार्मिकता” भी है।

कई हफ्तों के तनाव के बाद रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर आक्रमण की घोषणा की थी। बाद में जब टैंक यूक्रेन के भूभाग में बढ़ने लगे तो कीव ने इसे “पूर्ण पैमाने पर आक्रमण” करार दिया था। इस हमले का यूक्रेन ने अपने राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की के नेतृत्व में पूरी ताकत से विरोध किया। इसे लेकर दुनिया भर से उन्हें प्रशंसा और समर्थन मिला।

मीटल ने कहा कि उन्होंने यूक्रेन को मानचित्र पर यूं ही चुन लिया था, लेकिन इसकी एक वजह यहां की खूबसूरत विरासत इमारतें भी थीं। अब “मुझे यूक्रेन और उसके खूबसूरत शहरों के लोगों की पीड़ा को देख दर्द होता है।”

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “मुझे यूक्रेन से प्यार हो गया, इसके गर्मजोशी से भरे लोग और भारत की तरह इसकी रंगीन संस्कृति। मैंने जो यूक्रेन देखा था और आज लोग टीवी पर समाचारों में जिस यूक्रेन और वहां के लोगों को देख रहे हैं उनमें काफी अंतर है। नीले आसमान से लेकर गहरे भूरे आसमान तक, हंसी-खुशी क्रिसमस और नए साल का जश्न मानने वाले यूक्रेनी लोगों से लेकर, बंकरों में छिपे, गोलियों को मात देते लोगों तक…यह भयानक है।”

उन्होंने भावनात्मक अंदाज में कहा, “मुझे महसूस होता है कि यूक्रेन की मेरी स्मृतियों पर भी बमबारी हो गई है।”

तस्वीरों के अलावा उनके द्वारा वहां बनाए गए कुछ वीडियो भी प्रदर्शनी के दौरान प्रदर्शित किए गए।

भाषा

प्रशांत पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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