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Saturday, 28 September, 2024
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रूस-यूक्रेन युद्ध के भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर का अभी आकलन करना जल्दबाजी होगा : चक्रवर्ती

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(बिजय कुमार सिंह)

नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) के निदेशक पिनाकी चक्रवर्ती ने कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक वृहद आर्थिक अनिश्चितताएं बढ़ी हैं, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव के बारे में अभी अनुमान लगाना जल्दबाजी होगा।

चक्रवर्ती ने पीटीआई-भाषा के साथ बुधवार को साक्षात्कार में कहा कि उच्च आवृत्ति के आंकड़ों से पता चलता है कि कई देशों में मुद्रास्फीति अपेक्षा से अधिक है। इसके अलावा आपूर्ति शृंखला में व्यवधान है और वित्तीय बाजारों में बहुत अधिक अस्थिरता है। उन्होंने कहा, ‘‘जब हम कोविड-19 महामारी के प्रभाव से उबर रहे हैं, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर वृहद आर्थिक अनिश्चितता बढ़ी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था पर युद्ध के प्रभाव का अभी अनुमान लगाना जल्दबाजी होगा।’’

अर्थशास्त्री चक्रवर्ती ने कहा कि भारत की मौजूदा वृहद आर्थिक स्थिति निश्चित रूप से पहले की तुलना में बेहतर है लेकिन वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण देश को सतर्क रहने की आवश्यकता है।

उल्लेखनीय है कि रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन के खिलाफ अपना सैन्य आक्रमण शुरू किया। इसके बाद अमेरिका और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने रूस पर कई आर्थिक और अन्य प्रतिबंध लगाए हैं।

उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित है। इसके बावजूद अभी इसके ‘मात्रात्मक’ प्रभाव का अनुमान लगाना मुश्किल है। उन्होंने कहा, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण युद्ध से उत्पन्न व्यवधानों का प्रबंधन और निपटान करना है, ताकि हमारे राजकोष पर इसका न्यूनतम प्रभाव हो और हम 2022-23 के बजट में घोषित बजटीय प्राथमिकताओं को पूरा कर सकें।’’

हाल में जारी हुए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष में 8.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। पहले भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।

चक्रवर्ती के अनुसार, भारत ऊंची मुद्रास्फीति, कम वृद्धि और ऊंचे राजकोषीय घाटे की स्थिति में नहीं आया है। वास्तव में भारत की वृहद स्थिति स्थिर है और देश व्यापक आधार पर स्थिर पुनरुद्धार की राह पर है।

गौरतलब है कि फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति आठ महीने के उच्चस्तर 6.07 प्रतिशत पर पहुंच गई है। यह लगातार दूसरे महीने रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर रही है। वहीं थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर 13.11 प्रतिशत हो गई है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 10 फरवरी को अगले वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति के परिदृश्य को घटाकर 4.5 प्रतिशत कर दिया था, जो चालू वर्ष के लिए 5.3 प्रतिशत है।

चक्रवर्ती ने जोर देकर कहा कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से महत्वपूर्ण वित्तीय और मौद्रिक विस्तार हुआ है।

भाषा रिया रिया अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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