नई दिल्लीः पीएम मोदी ने बुधवार को 5वें बिम्सटेक समिट में भाग लिया. इस दौरान यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस घटना ने अतंर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थिरता को लेकर सवालिया निशान लगा दिया है. वर्चुअल समिट के दौरान क्षेत्रीय सहायता की बात करते हुए उन्होंने कहा कि बंगाल की खाड़ी को कनेक्टिविटी, संपन्नता और सिक्युरिटी का जरिया बनाया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि, ‘यूक्रेन-रूस के हालिया स्थितियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थिरता पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है. इस संबंध में अब यह काफी जरूरी हो गया है कि क्षेत्रीय सहयोग किया जाए. मैं बिम्सटेक देशों से अपील करता हूं कि वे इन उद्देश्यों के लिए उत्साह के साथ काम करें.’
पीएम मोदी ने कहा कि, ‘ऑपरेशनल बजट बढ़ाने के लिए भारत बिम्सटेक सचिवालय को 1 मिलियन यूएस डॉलर की सहायता देगा. यह काफी महत्त्वपूर्ण है कि बिम्सटेक की क्षमता को बढ़ाया जाए. मैं सेक्रेटरी जनरल को सुझाव देता हूं कि इसके लिए रोडमैप तैयार करें.’
उन्होंने आगे कहा कि हम लोग नालंदा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा प्रस्तावित बिम्सटेक स्कॉलरशिप प्रोग्राम को बढ़ाने और प्रसार करने के लिए काम कर रह हैं. और क्रिमिनल मैटर्स में भी म्युचुअल लीगल असिस्टेंस के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले हैं.
सात देशों का समूह है बिम्सटेक
बता दें कि बिम्सटेक एक क्षेत्रीय सहयोग संगठन है जिसमें सात सदस्य हैं. इनमें भारत के पड़ोसी देश शामिल हैं. बिम्सटेक में बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड शामिल हैं.
बैंकाक डिक्लेरेशन के जरिए इसकी स्थापना 6 जून 1997 में हुई. पहले इसकी स्थापना चार देशों (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका, थाईलैंड) को मिलाकर बिस-टेक (BIST-EC) के रूप में हुई थी. बाद में दिसंबर 1997 में इस ग्रुप में थाईलैंड शामिल हुआ, इसके बाद 6ठीं मंत्रिस्तरीय मीटिंग में इसमें नेपाल और भूटान शामिल हुए फिर थाईलैंड के शामिल होने के बाद इसका नाम बदलकर बिम्सटेक कर दिया गया.
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