नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष अनिल सहस्रबुद्धे के अनुसार कुछ अपवादों को छोड़कर नए इंजीनियरिंग संस्थानों की स्थापना पर रोक को दो साल के लिए बढ़ा दिया गया है।
यह कदम सरकार द्वारा गठित समिति द्वारा मौजूदा स्थगन को जारी रखने की सिफारिश के बाद आया है। एआईसीटीई ने 2020 में नए कॉलेजों को मंजूरी देने पर दो साल की रोक लगाई थी।
सहस्रबुद्धे ने कहा, ‘‘एआईसीटीई ने कुछ अपवादों के साथ नए इंजीनियरिंग संस्थानों की स्थापना पर अपनी रोक को दो साल तक बढ़ा दिया है।’’
अपवाद में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड सहित पारंपरिक, उभरते, बहु-विषयक, व्यावसायिक क्षेत्रों में नए पॉलिटेक्निक शुरू करने का राज्य सरकार का प्रस्ताव शामिल है। अपवाद में कंपनी कानून, 2013 की धारा आठ के तहत स्थापित ट्रस्ट, सोसाइटी, कंपनी के रूप में पंजीकृत कोई भी उद्योग शामिल हैं। शर्तों के तहत इनका न्यूनतम वार्षिक कारोबार 5,000 करोड़ रुपये (पिछले तीन वर्षों में) होना चाहिए।
तकनीकी शिक्षा नियामक ने इंजीनियरिंग शिक्षा के लिए अल्पकालिक और मध्यम अवधि की परिप्रेक्ष्य योजना पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), हैदराबाद के ‘बोर्ड ऑफ गवर्नर्स’ के अध्यक्ष बी वी आर मोहन रेड्डी की अध्यक्षता में 2018 में एक समिति का गठन किया था।
समिति ने पाया कि 2017-18 के दौरान स्नातक और स्नातकोत्तर स्तरों में क्षमता उपयोग (उपलब्ध क्षमता बनाम नामांकन) 49.8 प्रतिशत था। समिति ने सिफारिश की थी कि शैक्षणिक वर्ष 2020 से शुरू होने वाले वर्ष में एआईसीटीई द्वारा कोई नए संस्थान को मंजूरी नहीं दी जाए तथा उसके बाद हर दो साल में नयी क्षमता की समीक्षा की जा सकती है।
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