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Sunday, 6 October, 2024
होमदेशऐसे गलत आदेश का फायदा नहीं उठाने दिया जा सकता, जिसे बाद में दरकिनार कर दिया गया : न्यायालय

ऐसे गलत आदेश का फायदा नहीं उठाने दिया जा सकता, जिसे बाद में दरकिनार कर दिया गया : न्यायालय

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नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि किसी को भी एक अदालत द्वारा पारित उस “गलत आदेश” का लाभ लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जिसे बाद में एक उच्च अदालत ने खारिज कर दिया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून की स्थापित व्यवस्था के अनुसार, अदालत के आदेश के कारण किसी भी पक्ष को पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं किया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा, “अन्यथा भी, किसी को भी अदालत द्वारा पारित गलत आदेश का लाभ लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जिसे बाद में उच्च मंच/अदालत ने खारिज कर दिया।”

शीर्ष अदालत ने राजस्थान उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के मई 2016 के फैसले के खिलाफ अपील पर अपना फैसला सुनाया, जिसने अपने एकल न्यायाधीश द्वारा पारित आदेशों को रद्द कर दिया था।

खंडपीठ ने माना था कि सेवारत उम्मीदवारों द्वारा तीन साल के नर्सिंग कोर्स को प्रतिनियुक्ति के रूप में नहीं माना जा सकता है बल्कि यह अवकाश है। खंडपीठ ने कहा कि प्रशिक्षण की अवधि को अवकाश के रूप में मानते हुए मूल रिट याचिकाकर्ताओं को भुगतान की गई अतिरिक्त राशि की आसान समान किश्तों में वसूली के लिए राज्य को स्वतंत्रता दी जाती है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि मूल रिट याचिकाकर्ता या तो एएनएम (ऑग्जिलरी नर्सिंग और मिडवाइफरी) या प्रयोगशाला तकनीशियन, बहुउद्देश्यीय कर्मचारी, लेखा लिपिक या अन्य समान पदों पर काम कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता राजस्थान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधीनस्थ सेवा नियम, 1965 द्वारा शासित हैं और उन्होंने सामान्य नर्सिंग प्रशिक्षण के तीन वर्षीय पाठ्यक्रम के लिए आवेदन किया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी मूल रिट याचिकाकर्ताओं ने अध्ययन अवकाश की मांग करते हुए अपने आवेदन जमा किए, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि तीन साल के नर्सिंग पाठ्यक्रम में शामिल होने को सेवारत उम्मीदवारों के लिए प्रतिनियुक्ति के रूप में नहीं माना जा सकता है।

भाषा

प्रशांत नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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