तिरुवनंतपुरम/कोच्चि, 29 मार्च (भाषा) राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन केरल में वाम सरकार के ‘काम नहीं वेतन नहीं’ के निर्देश के बावजूद मंगलवार को अधिकतर कर्मचारी दफ्तर नहीं पहुंचे।
ज्यादातर कर्मचारी काम पर नहीं आए जबकि सड़कों से बसें, ऑटो रिक्शा, टेक्सी एवं निजी गाड़ियां भी नदारद रहीं।
उच्च न्यायालय की ओर से सोमवार को जारी निर्देश के बाद सरकार ने ‘काम नहीं वेतन नहीं’ का निर्देश जारी किया था जिसके बावजूद पांच फीसदी से भी कम सरकारी कर्मियों की उपस्थिति रही।
राज्य के विभिन्न हिस्सों में दुकानों को खोलने को लेकर मामूली झड़पों की भी खबरें आई हैं।
कोच्चि और तिरुवनंतपुरम में मॉल का संचालन करने वाले ‘लुलु समूह’ के परिसर के सामने प्रदर्शनकारी जमा हो गए, क्योंकि मीडिया के एक वर्ग ने खबर दी थी कि उन्होंने दुकानों को खोलने की इजाजत दे दी है।
मॉल के एक अधिकारी ने यहां पत्रकारों से कहा, “ हमने कल काम नहीं किया था और हम आज भी काम नहीं कर रहे हैं।” पुलिस ने कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है।
सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, “ राज्य सचिवालय में करीब 4500 कर्मचारी हैं जिनमें से सिर्फ 150 ने ही हाजिरी लगाई।’’
केंद्र सरकार की कथित कामगार विरोधी, किसान विरोधी, जन विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों के खिलाफ सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने सोमवार को दो दिन के बंद का आह्वान किया था।
इस बीच कन्नूर में माकपा के 23वीं कांग्रेस के आयोजन स्थल पर निर्माण होने की खबरें आई हैं जिन्हें पार्टी ने खारिज किया।
भाषा
नोमान नरेश
नरेश
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