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Sunday, 6 October, 2024
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शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के गैर तर्कसंगत आदेश को रद्द किया

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नयी दिल्ली, 28 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायायलय के उस तरीके को अस्वीकार कर दिया जिसमें कुछ याचिकाओं का कोई ‘तर्कपूर्ण आदेश’ दिये बिना निपटारा कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने आदेश को रद्द करते हुए कहा कि अदालत का यह कर्तव्य है कि वह मामलों से निपटे और इसके बाद तर्कपूर्ण आदेश जारी करे।

शीर्ष अदालत ने आयकर अधिनियम की धारा 148 के तहत आकलन कार्यवाही को फिर से खोलने को चुनौती देने वाली कुछ याचिकाओं पर उच्च न्यायालय द्वारा पारित गैर तर्कसंगत आदेशों को रद्द कर दिया।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा, ‘‘संविधान जब उच्च न्यायालय को राहत देने की ताकत देता है, तो यह अदालत का कर्तव्य हो जाता है कि उचित मामलों में इस तरह की राहत दे। यदि बिना पर्याप्त कारण के राहत से इनकार कर दिया जाता है तो अदालत अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम हो जाती है।’’

उच्च न्यायालय ने इस साल कुछ याचिकाओं को खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ अपील पर शीर्ष अदालत ने यह आदेश दिया। पीठ ने कहा कि उसने उच्च न्यायालय के आदेशों का अध्ययन करने के बाद पाया कि ये आदेश तर्कसंगत नहीं हैं।

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने याचिकाओं में दिये किसी भी आधार पर गुण-दोष के अनुरूप ना तो निपटारा किया और ना ही इस पर ध्यान दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय की खंड पीठ ने रिट याचिकाओं का बहुत ही अनौपचारिक तरीके से निपटारा कर दिया, जो सुसंगत नहीं है।

भाषा संतोष दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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