(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 28 मार्च (भाषा) पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में नेता प्रतिपक्ष और पीएमएल-एन के नेता शहबाज शरीफ ने सोमवार को प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। इसके साथ ही क्रिकेट से राजनीति में आए खान को पद से हटाने की प्रक्रिया संसद के निचले सदन में शुरू हो गई है।
दो दिन के अवकाश के बाद जब सोमवार को सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी ने सदस्यों से पूछा कि जो प्रस्ताव के समर्थन में हैं वे खड़े हो जाएं ताकि उनकी गिनती की जा सके।
शरीफ ने सबसे पहले प्रस्ताव पेश किया कि उन्हें संसद के निचले सदन में प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखने की अनुमति दी जाए, जिसे 161 मतों से मंजूरी दे दी गई।
इसके बाद शरीफ ने औपचारिक रूप से सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जो प्रधानमंत्री को पद से हटाने की संवैधानिक प्रक्रिया का पहला चरण है।
चूंकि प्रस्ताव पर मतदान तीन से सात दिन के भीतर होना चाहिए, नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर की अनुपस्थिति में अध्यक्षता कर रहे उपाध्यक्ष सूरी ने कार्यवाही 31 मार्च शाम चार बजे तक के लिए स्थगित कर दी। उस दिन जब सदन की बैठक दोबारा शुरू होगी तो चर्चा और मतदान होगा।
इमरान सरकार को इस प्रस्ताव विफल करने के लिए 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में 172 मत की जरूरत होगी। हालांकि, खान के गठबंधन के 23 सदस्यों ने अबतक उनका समर्थन करने की प्रतिबद्धता नहीं जताई है और सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के करीब दो दर्जन सदस्यों ने बगावत कर दी है। ऐसे में उनके लिए अब भी मुश्किल स्थिति है।
खान अहम सहयोगी मुस्लिम लीग- क्यू के साथ बैठक कर रहे हैं, जबकि विपक्ष राजधानी इस्लामाबाद में विशाल रैली करने वाला था और दोनों पक्ष दावा कर रहे हैं कि संसद में उनकी जीत होगी।
पाकिस्तान में आठ मार्च से ही अनिश्चितता का दौर चल रहा है। संयुक्त विपक्ष ने नेशनल असेंबली को प्रस्ताव सौंपने के साथ स्पीकर से 14 दिन के भीतर संसद का सत्र बुलाने की मांग की। यद्यपि सत्र समय-सीमा के तीन दिन बाद 25 मार्च को बुलाया गया लेकिन स्पीकर ने प्रस्ताव पेश करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया।
संवाददाताओं से बातचीत में गृह मंत्री शेख राशिद अहमद ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर फैसला 31 मार्च तक होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान कहीं नहीं जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘खासकर एक दिन पहले इस्लामाबाद में हुई इमरान खान की ‘शानदार’ रैली के बाद, लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि उनकी राजनीति अब हाशिये पर है।’’ उन्होंने इस अविश्वास प्रस्ताव को ‘‘पाकिस्तान को कमजोर करने की साजिश’’ करार दिया।
खान ने यहां रविवार को एक विशाल रैली को संबोधित किया था जिसमें उन्होंने दावा किया था कि उनकी गठबंधन सरकार गिराने की ‘‘साजिश’’ में विदेशी ताकतों का हाथ है।
खान ने अपनी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की रैली को इस्लामाबाद के परेड ग्राउंड में संबोधित करते हुए कहा था कि देश की विदेश नीति तय करने के लिए विदेशी तत्व स्थानीय नेताओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनके दावों की पुष्टि करने वाला एक पत्र सबूत के तौर पर उनके पास है।
राशिद ने दावा किया कि प्रधानमंत्री ने मध्यावधि चुनाव कराने, पंजाब विधानसभा भंग करने और सिंध में गवर्नर शासन लगाने के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) को सोमवार को राजधानी में रैली करने की अनुमति इस्लामाबाद प्रशासन से हासिल है।
इस बीच, खान को उस समय एक और झटका लगा जब विपक्ष ने उनके करीबी और पंजाब के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार के खिलाफ सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव पेश किया।
विपक्षी दल पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने 52 वर्षीय बुजदार के खिलाफ यह अविश्वास प्रस्ताव सौंपा जिसमें 127 विधायकों के हस्ताक्षर हैं। इसके अलावा 14 दिन में सत्र आहूत करने के प्रार्थना पत्र पर 120 विधायकों ने हस्ताक्षर किए। अविश्वास प्रस्ताव में कहा गया है कि मुख्यमंत्री बुजदार ने सदन का विश्वास खो दिया है।
राणा ने कहा कि यह साफ-साफ दिख रहा है कि इमरान और बुजदार अविश्वास प्रस्ताव का सामना नहीं कर सकेंगे, इसलिए दोनों के समक्ष सम्मानजनक विदाई लेने का एक ही रास्ता है कि इस्तीफा दे दें।
इमरान खान सरकार के खिलाफ आठ मार्च को लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के कारण पाकिस्तान का राजनीतिक पारा चढ़ता दिख रहा है, जिसका अगले हफ्ते के अंत तक परिणाम दिख सकता है।
उनहत्तर वर्षीय खान वर्ष 2018 में ‘नया पाकिस्तान’ बनाने के वादे के साथ सत्ता में आये थे, लेकिन वह मूलभूत समस्याओं से निपटने में नाकाम रहे जिससे विपक्ष को हमला करने का मौका मिल गया। तीन सौ 42 सदस्यीय नेशनल असेंबली में पीटीआई के 155 सदस्य हैं और उसे सरकार बचाने के लिए 172 सदस्यों के समर्थन की जरूरत है।
भाषा धीरज दिलीप
दिलीप
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