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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशदुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा शोर करने वाला शहर मुरादाबाद, UN की लिस्ट में कोलकाता, दिल्ली भी शामिल

दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा शोर करने वाला शहर मुरादाबाद, UN की लिस्ट में कोलकाता, दिल्ली भी शामिल

डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार, शोर स्तर को सहन करने की सीमा 55 डेसिबल है. प्रमुख औद्योगिक शहर मुरादाबाद में शोर का स्तर 114 डेसिबल दर्ज किया गया.

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नई दिल्ली: यूपी के मुरादाबाद दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाला शहर है. यूएन 61 देशों की सूची जारी की है जिसमें दिल्ली, कोलकाता, आसनसोल और जयपुर भी शामिल हैं. ये वे शहर हैं शोर सीमा को पार कर चुके हैं.

पिछले महीने ‘फ्रंटियर्स 2022: नॉइज, ब्लेज एंड मिसमैच्स’ नाम से छपी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में 61 शहरों की सूची जारी की गई हैं जिसमें उनके शोर के स्तर को नापा गया है. इसमें सबसे ऊपर 119 डीबी डेसिवल के ध्वनि प्रदूषण के साथ बांग्लादेश की राजधानी ढाका है.

इसके अलावा पाकिस्तान का इस्लामाबाद 105 डीबी के साथ तीसरे नंबर पर है. वहीं दूसरे नंबर पर रहा मोरादाबाद 114 डीबी के साथ दूसरे नंबर पर है.

रिपोर्ट ने दुनिया भर के शहरों से ध्वनि प्रदूषण से संबंधित अंदर के कारणों का भी खुलासा किया गया है. पाया गया कि न्यूयॉर्क शहर में 10 में से 9 मास ट्रांजिट यूजर्स 70 डेसिबल की अनुशंसित सीमा से अधिक शोर के स्तर के संपर्क में थे, और इससे उनकी सुनने की क्षमता पर असर पड़ सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि हांगकांग में पांच में से दो निवासी अनुमेय सीमा से अधिक यातायात शोर के संपर्क में हैं और यूरोपीय शहरों के आधे से अधिक निवासी ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां शोर का स्तर उनके स्वास्थ्य और कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है.

यूएनईपी की रिपोर्ट में आगे पाया गया कि 60 डेसिबल के साथ जॉर्डन में इरब्रिड दुनिया का सबसे शांत शहर है, इसके बाद फ्रांस में ल्योन (69 डीबी), स्पेन में मैड्रिड (69 डीबी), स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम (70 डीबी) और सर्बिया में बेलग्रेड (70डाीबी) था.

साल 1999 के WHO दिशानिर्देशों के मुताबिक, रिपोर्ट में कहा गया है कि बाहरी आवासीय इलाकों के लिए शोर स्तर की सीमा 55 डीबी (डेसिबल) है LAeq (समतुल्य निरंतर ध्वनि स्तर डेसिबल में ध्वनि स्तर है) और वाणिज्यिक क्षेत्रों के लिए 70 डीबी है.

विशेषज्ञ कहते हैं 70 डीबी से ऊपर की आवाजें अगर लंबे समय तक सुनी जाएं तो सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं.


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