ऐप डेवलपर अदिति कमल बताती हैं कि यूएस ऐप बोलो मैसेंजर उनके और उसके पति द्वारा बनाया गया था जब वे अमेरिका में थे। यह उनकी बचत द्वारा वित्त पोषित एक स्टार्टअप था।
नई दिल्ली: पतंजलि के ‘स्वदेशी व्हाट्सएप’ किम्भो के इस हफ्ते लॉन्च होने के बाद सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं ने अमेरिकी चैट ऐप बोलो मैसेंजर के साथ इसकी समानताओं को इंगित करना शुरू कर दिया। लगाये गए आरोप यह है कि किम्भो अमरीकी एप बोलो की नकल थी।
गूगल की पूर्वतकनीकि विशेषज्ञ अदिति कमल ने कहा कि, दोनों में समानताएं अपेक्षित हैं, क्योंकि दोनों ऐप्स एक ही व्यक्तिद्वारा विकसित किए गए थे।
बाबा राम देव द्वारा प्रचलित पतंजलि कम्युनिकेशन ने सभी आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा कि,“किम्भो बोलो मैसेंजर का एक पुनरावृत्ति किया हुआ संस्करण है, जो कि कमल और उनके तकनीकी विशेषज्ञ पति सुमित कुमार ने अपने पूर्व स्टार्टअप, ऐपडिओस इंकके लिए डिजाइन किया था।“
कमल ने भी एक अमेरीकी ऐप को स्वदेशी पैकेज के रूप में प्रस्तुत किए जाने केआरोपों का पूर्णतःखंडन किया है।उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “यदि एक कंपनी भारतीयों द्वारा बनाई गई है, भारतीयों द्वारा संचालित होती है, और यहाँ तक कि एक एप्लीकेशन का नाम भी (बोलो) एक भारतीय शब्द है, तो इसे अमेरिकी एप्लिकेशन कहने का कोई कारण नहीं है।”
पेशेवर नेटवर्किंग साइट लिंक्डइनपर उनके प्रोफाइल के अनुसार,इस जोड़े ने 2012 में यह ऐपडिओस के लिएलॉन्च किया था।
उन्होंने कहा कि, “यह स्टार्टअप हमारे द्वारा की गई निजी बचत द्वारा वित्तपोषित किया गया था और हमने कभी भी संयुक्त राज्य अमेरिका में इसको प्रचारित नहीं किया। हमने कम्पनी के अंतर्गत कई ऐप्लिकेशनों को आजमाया और“बोलो’’ मसेंजर उनमें से एक था।”
ऐप के लॉन्च के तुरंत बाद, कमल ने कहा, उन्हें गूगल हैंगआउट में टीम लीडर के रूप में चुना गया था, जबकि कुमार ने ऐप्पल के लिए काम करना शुरू किया था, और उन्होंने ऐपडिओस को बंद कर दिया।
उन्होंने कहा कि,”…हमने कॉनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट को ध्यान में रखते हुए स्टार्टअप को बंद कर दिया।”
उन्होंने आगेकहा ,”बोलो, जो एक मूल चैट प्लेटफ़ॉर्म था, केवल 5,000 डाउनलोड पंजीकृत थे और यह बाजार में छह महीने से अधिक समय के लिए नहीं था।”
भारत आने के बाद वह बाबा रामदेव से मिली और और चैटिंग प्लेटफॉर्म बनाने का विचार रखा। एक सौदे हुआ और उन्होंने किम्भों के विकास पर काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा,”जैसे ही मैंने पतंजलि के लिए एप्लीकेशन (ऐप) तैयार करना शुरू किया, मैंने इसे सांकेतिक नाम ‘बोलो’ दिया। पिछले 1.5 सालों से, मैं किम्भो पर काम कर रही हूँ, लेकिन मैंने जो सीखा वह बोलो से ही सीखा।”
विवाद पर विवाद
रामदेव के प्रवक्ता द्वारा किम्भो का अर्थ ‘व्हाट्स अप'(‘what’s up) के रूप में बताया गया है और यह हाल ही में गोपनीयता के डर के चलते फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सएप के “सुरक्षित” भारतीय विकल्प के रूप में देखा गया है।
बुधवार को किम्भो का बीटा संस्करण लॉन्च होने के बाद कुछ ही घंटों के भीतर गूगल प्ले स्टोर से 1.5 लाख डाउनलोड किए गए थे। हालांकि, अचानक हुए डाउनलोड के कारण उन्हें इसे प्ले स्टोर से हटाना पड़ा, क्योंकि कंपनी ने दावा किया कि इसे लॉन्च करने का उद्देश्य सिर्फ एक परीक्षण था और ऐप अभी तक भारी अधिक ट्रैफिक के लिए तैयार नहीं था।
इसके लॉन्च के कुछ घंटे बाद ही इलियट एल्डर्सन जो एक फ्रांसीसी हैकर है, ने दावा किया कि वह किम्भो की खराब सुरक्षा प्रणाली के कारण ऐप पर हुई सारी वार्तालापों को पढ़ सकते थे।
पतंजलि ने कहा है कि कुछ “तकनीकी मामलों के समाधान” के साथ ऐप 21 जून को अपने अंतिम लॉन्च के लिए तैयार था। कंपनी ने स्पष्ट किया है कि वर्तमान में डाउनलोड के लिए उपलब्ध कोई भी संस्करण नकली है।
Read in English: Kimbho’s no Bolo rip-off, Patanjali says just hired same techie who made US app