(भरत शर्मा)
नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) टीम में दरार, फिटनेस से जुड़े मुद्दों और धारहीन आक्रमण भारतीय टीम के आईसीसी महिला वनडे विश्व कप से जल्दी बाहर होने के मुख्य कारण रहे।
पांच साल पहले उप विजेता रहने के बाद भारत में महिला क्रिकेट का चेहरा बदल गया था और इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि टीम इस बार आगे बढ़ने में सफल रहेगी।
लेकिन भारतीय अभियान निराशाजनक तरीके से लीग चरण में ही समाप्त हो गया। भारतीय महिला क्रिकेट में सुधार अब समय की मांग है।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने विश्व कप से पहले दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और विश्व कप मेजबान न्यूजीलैंड के खिलाफ श्रृंखलाओं का आयोजन किया, लेकिन आखिर में खिलाड़ी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरे।
टीम किसी भी समय अपने प्रदर्शन में वह निरंतरता नहीं बनाये रख सकी जो कि बड़े टूर्नामेंट में जीत के लिये आवश्यक होती है।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रविवार को आखिरी गेंद पर हार के कारण भारत बाहर हुआ लेकिन वह इससे पहले आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड से भी हार गया था।
टीम का माहौल भी अनुकूल नहीं था तथा दो सीनियर खिलाड़ियों के बीच लंबे समय से चले आ रहे मतभेदों के कारण टीम के अंदर असहज वातावरण ही पैदा हुआ।
पिछले विश्व कप के बाद बर्खास्त किये गये लेकिन पिछले साल वापसी करने वाले मुख्य कोच रमेश पोवार को भी टीम के उतार चढ़ाव वाले प्रदर्शन पर कई सवालों के जवाब देने होंगे।
पहले टीम के लिये 250 रन तक नहीं पहुंच पाना मसला था लेकिन अब गेंदबाजों ने निराश किया और वे 270 रन से अधिक के स्कोर का बचाव नहीं कर पाये। गेंदबाजी कमजोर थी तो क्षेत्ररक्षण भी लचर रहा।
पूर्व भारतीय कप्तान डायना एडुल्जी ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह सब फिटनेस पर निर्भर करता है। जब आप आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी शीर्ष टीमों से तुलना करते हैं, तो भारत की फिटनेस अच्छी नहीं है। ये छोटी चीजें बड़ा अंतर पैदा करती हैं। इसके अलावा अंतिम एकादश के चयन में भी निरंतरता होनी चाहिए।’’
भारतीय टीम प्रबंधन ने अधिकतर मैचों के लिये तीन ऑलराउंडरों – दीप्ति शर्मा, स्नेह राणा और पूजा वस्त्राकर को अंतिम एकादश में रखा लेकिन वे टुकड़ों में ही अच्छा प्रदर्शन कर पायी।
बीसीसीआई और चयनकर्ताओं को अब तुरंत ही मिताली और झूलन गोस्वामी से आगे के बारे में सोचना होगा। दोनों अब भी अच्छी फॉर्म में हैं लेकिन भविष्य के लिये योजना बनाना महत्वपूर्ण है क्योंकि वे हमेशा टीम में नहीं रहेंगी।
भाषा पंत आनन्द
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