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Sunday, 6 October, 2024
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लॉकडाउन में ढील के बाद भी सामाजिक वर्गों में महामारी के कारण अवसाद बरकरार

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(कैथरीन एटमैन, सैंड्रो गैलिया, बोस्टन यूनिवर्सिटी)

बोस्टन, 27 मार्च (द कन्वरसेशन) कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान हमने पाया है कि 2020 के बसंत और 2021 के बसंत में अमेरिका में हर पांच में से एक व्यक्ति संभावित रूप से अवसाद का शिकार हुआ। हमने पाया कि वित्तीय संपत्तियों ने अवसाद के लक्षणों को कम करने में सहायता की, लेकिन इनसे एक सीमा तक ही मदद मिली। हाल में प्रकाशित हमारे अनुसंधान में कोविड-19 के कारण अमेरिकी आबादी के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़े प्रभाव को रेखांकित किया गया है।

हमने मानसिक स्वास्थ्य एवं संपत्तियों का आकलन करने के लिए मार्च 2020 में एक राष्ट्रीय अध्ययन शुरू किया था। कोविड-19 एक राष्ट्रीय आपात स्थिति थी, क्योंकि मौत की संख्या बढ़ रही थी। स्कूल, कार्यस्थल एवं सरकारी कार्यालय बंद थे और अमेरिकियों को घर पर रहने को कहा गया था।

हमने उस समय हमारे अध्ययन में पाया कि 27.8 प्रतिशत अमेरिकी वयस्कों ने गतिविधियों में रुचि समाप्त होने या उदास एवं निराशावान महसूस करने जैसे अवसाद के लक्षणों की शिकायत की। अवसादग्रस्त वयस्कों की यह संख्या महामारी से पहले के समय की तुलना में तिगुनी थी। महामारी से पहले यह संख्या 8.5 प्रतिशत थी।

हमारे लिए सर्वाधिक हैरानी वाली बात यह है कि महामारी के एक साल बाद भी अवसाद की दर ऊंची है, जबकि संक्रमण और मौत की दर कम हुई है। हमारे सर्वेक्षण के अनुसार, अवसाद के लक्षणों की शिकायत करने वाले वयस्कों की संख्या बढ़कर 32.8 प्रतिशत हो गई है।

इससे भी खराब बात यह है कि 2021 की संख्या में वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने अप्रैल 2020 और अप्रैल 2021 दोनों में अवसाद के लक्षणों की शिकायत की है।

हम यह भी पता लगाना चाहते थे कि कौन सी संपत्तियां-वित्तीय, शारीरिक और सामाजिक- वैश्विक महामारी के दौरान लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। हमारे पहले सर्वेक्षण में पाया गया कि महामारी के दौरान जिनके पास अपेक्षाकृत कम संपत्तियां–खासकर कम वित्तीय संपत्तियां– थीं, उनके कोविड-19 संबंधी तनाव से प्रभावित होने की अधिक आशंका थी।

अप्रैल 2021 के सर्वेक्षण में हमारी रुचि मानसिक स्वास्थ्य एवं संपत्तियों की स्थिति के बीच संबंध में अधिक थी। हमने व्यक्तिगत बचतों, मकान के मालिकाना हक जैसी चल संपत्तियों और शिक्षा एवं वैवाहिक स्थिति जैसी सामाजिक संपत्तियों पर ध्यान केंद्रित किया। हमने उन लोगों का अध्ययन किया, जो विवाह, शिक्षा या मकान के मालिकाना हक के संबंध में लगभग समान स्तर पर थे। हमने पाया कि 20,000 डॉलर प्रति वर्ष से कम आय वाले परिवारों में अवसाद के लक्षणों की संभावना 75,000 डॉलर कमाने वालों की तुलना में 3.5 गुना अधिक थी।

हमने यह भी पाया कि जिन लोगों की बचत या बैंक खाते में 5,000 डॉलर या उससे अधिक थे, उनमें अवसाद की समस्या अपेक्षाकृत कम रही। बहरहाल, अधिक संपत्ति होने से नौकरी खोने, रिश्ते संबंधी समस्याएं होने या महामारी के दौरान वित्तीय कठिनाइयों का सामना करने संबंधी तनाव के कारण होने वाले अवसाद पर खास असर नहीं पड़ा।

क्या मायने रखता है?

कोविड-19 के कारण करीब 10 लाख लोगों की मौत हो गई है और करीब 50 लाख लोग अस्पताल में भर्ती हुए, लेकिन राष्ट्र के मानसिक स्वास्थ्य पर वैश्विक महामारी के प्रभाव के अध्ययन की अभी शुरुआत है और हमारा मानना है कि महामारी के कारण राष्ट्र के मानसिक स्वास्थ्य पर लगातार पड़ रहा असर अभूतपूर्व है।

अब आगे क्या?

हमारा अगला कदम अपेक्षाकृत कम संपत्तियों के साथ वैश्विक महामारी झेलने वाले और इस दौरान नौकरी खोने, रिश्तों से जुड़ी सम्पत्तियां या वित्तीय परेशानियों का सामना करने वाले लोगों संबंधी अन्य क्षेत्रों का अध्ययन करना है।

संपत्तियां व्यक्ति को तनाव से निपटने में मदद कर सकती है, लेकिन वे भी महामारी के दौरान तनाव के नुकसानदेह प्रभावों से लोगों को नहीं बचा सकतीं। हमारा अनुसंधान दर्शाता है कि भले ही वैश्विक महामारी का असर कम होता प्रतीत होता है, लेकिन अमेरिकी अब भी इसका प्रभाव झेल रहे हैं और आगामी लंबे समय तक उनके मानसिक स्वास्थ्य पर इसका दुष्प्रचार जारी रह सकता है।

द कन्वरसेशन सिम्मी प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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