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Monday, 7 October, 2024
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बीरभूम हिंसा: बोगतुई गांव में पसरा हुआ है सन्नाटा

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(सुदीप्त चौधरी)

बोगतुई (पश्चिम बंगाल), 26 मार्च (भाषा) पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित बोगतुई गांव में इस सप्ताह के प्रारंभ में आठ लोगों की हत्या के बाद यहां सन्नाटा पसरा हुआ है।

हिंसा के डर से जिले में रामपुरहाट कस्बे के पास स्थित इस गांव से कई ग्रामीण अज्ञात स्थानों पर भाग गये। तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता भादू शेख की हत्या के एक दिन बाद मंगलवार को यहां आठ लोगों को जिंदा जला दिया गया था और इसके लेकर लोगों के मन में हिंसा का दौर शुरू होने का डर है।

नरसंहार की यह घटना गांव के पूरबापाड़ा में हुई थी। इस घटना के बाद ना सिर्फ इस बस्ती के ज्यादातर लोग बल्कि पड़ोसी पश्चिमपाड़ा और मायेरपाड़ा बस्तियों के ज्यादातर लोग भी भाग गये।

इलाके में स्थित एक मात्र सरकारी स्कूल सूना पड़ा हुआ है और आंगनवाड़ी केंद्र में सन्नाटा पसरा हुआ है।

घटनास्थल के आसपास स्थित रिजाउल शेख, बाबर आलम, पिंटू शेख, नूर शेख और सद्दाम अली मुल्ला के घरों में ताला लगा हुआ है, जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 24 मार्च को गांव का दौरा कर उन्हें पूरी सुरक्षा का आश्वासन दिया था।

आसपास केवल एक महिला दिखी जो भोजन तैयार कर रही थी। वह सोनू शेख के मामा शाह आलम शेख की पत्नी हैं। उल्लेखनीय है कि सोनू का घर जला दिया गया था और वहां से सात झुलसे हुए शव बरामद किये गये थे।

शाह आलम ने बताया, ‘‘हमें नहीं पता कि वे लोग कहां भाग गये हैं। उनके पास कोई और विकल्प नहीं बचा था। यहां तक कि मेरे बेटे भी यहां नहीं है। वे गांव के बाहर मेरे रिश्तेदार के यहां रह रहे हैं। ’’

नरसंहार के प्रत्यक्षदर्शी आलम ने कहा, ‘‘मैं केवल यह कह सकता हूं कि यह प्रतिशोध में की गई हत्याएं थी। हमने घर के अंदर से सबकुछ देखा। हम सोनू के घर की ओर एक भीड़ के बढ़ने और बम की आवाज सुनकर अपने घर के अंदर छिप गये।

आलम ने घटना की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया।

गांव में कम से कम 15 घरों की पहरेदारी एक बड़ी पुलिस टुकड़ी कर ही है। गांव की आबादी करीब 7,000 है।

अपनी 90 वर्षीय सास की देखभाल के लिए गांव में ही रूक गई मुमताज ने कहा, ‘‘मेरे बेटे भी छिपते फिर रहे हैं। हम नहीं जानते कि सारे ग्रामीण कहाँ चले गये। हम अपनी जान को लेकर चिंतित हैं। ’’

सोनू के एक रिश्तेदार ने अज्ञात स्थान से पीटीआई-भाषा को फोन पर कहा, ‘‘हम कैसे लौट सकते हैं? हम अपनी जान को लेकर भयभीत हैं। ’’

भाषा सुभाष माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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