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Sunday, 6 October, 2024
होमदेशनिशक्त जनों को आईपीएस, डीएएनआईपीएस, आईआरपीएफएस के लिए आवेदन करने की अनुमति दी

निशक्त जनों को आईपीएस, डीएएनआईपीएस, आईआरपीएफएस के लिए आवेदन करने की अनुमति दी

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नयी दिल्ली, 25 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को निशक्त जनों को सिविल सेवाओं में अस्थाई रूप से भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस), दिल्ली, दमन एवं दीव, दादर एवं नगर हवेली, अंडमान एवं निकोबार द्वीप पुलिस सेवा (डीएएनआईपीएस) और भारतीय रेलवे सुरक्षा बल सेवा (आईआरपीएफएस) के लिए आवेदन करने की अनुमति दे दी।

शीर्ष अदालत ने आवेदकों से इस संबंध में यूपीएससी को एक अप्रैल तक अपना आदेवन पत्र जमा करने का निर्देश भी दिया।

शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार द्वारा 18 अगस्त 2021 को जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया। न्यायालय ने कहा कि उसने आईपीएस, डीएएनआईपीएस और आईआरपीएफएस के तहत निशक्त जनों को सभी श्रेणियों के पदों में आवेदन की ‘अस्थाई छूट’ इसलिए दी है, क्योंकि इसके अंतरगत प्राप्त आरक्षण के लिहाज से यह जरूरी है।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति एएस ओका की पीठ को बताया कि सरकार इस मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय चाहती है।

वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि मामले में हलफनामा दायर करने के लिए दो हफ्ते का समय चाहिए होगा।

याचिकाकर्ता ‘नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसेबल्ड’ की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं और इनमें से कई आवेदक उसमें पास भी हो चुके हैं।

यह तर्क देते हुए कि सफल आवेदकों को अंतिम तिथि यानी कि 24 मार्च की शाम तक अपनी प्राथमिकताएं दर्ज करानी थीं, दातार ने इस बाबत समयसीमा एक या दो हफ्ते बढ़ाने की अपील की।

दातर ने कहा कि याचिकाकर्ता और इसी तरह के व्यक्तियों को यूपीएससी को अपना आवेदन पत्र जमा करने की अनुमति दी जा सकती है और उनके आवेदन पर सुनवाई के नतीजों के आधार पर विचार किया जा सकता है।

इस पर पीठ ने कहा, “हम इस अनुरोध को सबसे उचित मानते हैं। साथ ही अधिकारियों, खासतौर पर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के महासचिव को निर्देश देते हैं कि वे संबंधित आवेदकों जैसे कि याचिकाकर्ताओं और इस तरह के व्यक्तियों के आवेदनों की हार्ड कॉपी एक अप्रैल को शाम चार बजे तक या उससे पहले यूपीएससी महासचिव के कार्यालय में भौतिक रूप से स्वीकार करें।”

शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि उसके आदेश का मकसद मौजूदा प्रक्रिया को किसी भी तरह से बाधित करना नहीं है।

न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता या इस तरह के व्यक्तियों द्वारा तय समय में दायर आवेदन पर विचार उसके समक्ष विचाराधीन याचिका के नतीजों के आधार पर होगा।

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल के लिए निर्धारित कर दी।

भाषा पारुल अनूप

अनूप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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