नई दिल्ली: चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में जीत के बाद, अब बीजेपी का ध्यान गुजरात और हिमाचल प्रदेश पर है. अगली सर्दियों में इन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं, जहां पर बीजेपी सत्ता में है. लेकिन, पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में पार्टी बहुत हद तक अनिश्चितता की स्थिति में है.
पिछले साल नवंबर के उपचुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए चिंता की बात है. इस चुनाव में बीजेपी मंडी लोकसभा के साथ ही तीन विधानसभा सीटों पर हार गई थी. इससे न सिर्फ़ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, बल्कि बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा की साख को भी धक्का लगा. नड्डा हिमाचल प्रदेश से ही हैं.
इसके बाद से, बीजेपी, मुख्यमंत्री ठाकुर के नेतृत्व में सत्ता विरोधी लहर से पार पाने की कोशिश में जुट गई है. सरकार की ओर से, स्लम में रहने वालों को संपत्ति का अधिकार देना, किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली का बिल कम करना, और सरकारी कर्मचारियों के वेतन में बढ़ोत्तरी जैसे कदम उठाए गए हैं.
इस हफ्ते की शुरुआत में बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह ने राज्य के नेताओं और कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनावों के लिए तैयार करने के लिए हिमाचल का दौरा किया था. नवंबर महीने में यहां चुनाव हो सकते हैं.
पार्टी की पहली चुनौती, शिमला म्युनिसिपल कारपोरेशन चुनाव जीतने की होगी. उम्मीद है कि मई या जून महीने में इसके लिए वोट डाले जाएंगे. उपचुनाव के बाद, यह पहली चुनावी जंग होगी और बीजेपी इसे 2017 की तरह ही जीतने की कोशिश करेगी. इससे पहले, 26 साल तक इस म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन पर कांग्रेस का कब्जा था.
‘मिशन शिमला’
साल 2017 के शिमला म्युनिसिपल कारपोरेशन चुनाव में बीजेपी ने शिमला के म्युनिसिपल चुनावों के 31 साल के इतिहास में अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया. पार्टी को इस चुनाव में 34 में से 17 सीटें मिलीं. वहीं, कांग्रेस 12 सीटों पर सिमट गई.
इस बार यहां की सीटों की संख्या 34 से 41 कर दी गई है. कहा गया है कि बेहतर डेमोग्राफिक प्रतिनिधित्व देने के लिए ऐसा किया गया है. बीजेपी के सूत्रों का मानना है कि पार्टी की मजबूत पकड़ वाले इलाकों से ज़्यादा सीटें जीतने के मकसद से भी ऐसा किया गया है. उन्होंने कहा कि यह कोई नई रणनीति नहीं है.
हिमाचल के एक बीजेपी नेता ने कहा, ‘साल 2017 में म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन में 25 सीटें थीं, लेकिन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसे बढ़ाकर 34 कर दिया. कांग्रेस की मजबूत पकड़ वाले वार्डों, कसुमपति और शिमला ग्रामीण को विभाजित किया गया, ऐसा बहुमत पाने के मकसद से किया गया.’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यह योजना काम नहीं आई, लेकिन बीजेपी को लगता है कि इसी रणनीति के तहत वह बेहतर प्रदर्शन करेगी.
बीजेपी नेता ने कहा, ‘बीजेपी ने उसी रणनीति को अपनाते हुए, शिमला शहर में सात वार्डों को जोड़ा है, ये बीजेपी की मजबूत पकड़ वाले इलाके हैं, (पार्टी अपनी) पकड़ बनाए रखना चाहती है. वार्डों में आबादी को एक जैसा रखना, इसकी आधिकारिक वजह बताई गई है, कुछ वार्डों की आबादी 10,000 है, जबकि कई छोटे हैं.’
शहर में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए, बीजेपी सरकार ने फरवरी में शिमला डेवलपमेंट प्लान 2041 की घोषणा की थी. यह 1979 में बनाए गए वर्तमान डेवलपमेंट प्लान की जगह लेगा. इस प्लान का उद्देश्य शहर के भीड़भाड़ को कम करना और उसे बेहतर बनाना है. साथ ही, नए प्लान में चार सैटेलाइट टाउनशिप- नालदेहरा, फागू, घांडल और चमियाना बसाने की योजना है.
बीजेपी के राज्य महासचिव राकेश जामवाल ने कहा, ‘यह पहली बार है जब शिमला के विकास के लिए इस तरह की विस्तृत और भविष्य को ध्यान में रखकर योजना बनाई गई है.’
उन्होंने कहा, ‘इससे बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा और ऐसे हजारों लोगों को फायदा मिलेगा जो निर्माण संबंधी पाबंदियों की वजह से काम नहीं कर पा रहे थे. हमें यकीन है कि एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) भी इस योजना का समर्थन करेगी…इसको लेकर कानूनी चुनौतियां हैं, लेकिन हमने भविष्य का खाका तैयार करके साहस का परिचय दिया है.’
चुनाव के मद्देनजर ढेरों लाभकारी योजनाएं
राज्य के बजट सत्र के आखिरी दिन 15 मार्च को हिमाचल सरकार ने पांच बिल पास किए. इसे एक दिन के लिए काफी अधिक माना जा सकता है,
इनमें स्लम में रहने वाले लोगों को 75 वर्ग मीटर जमीन का अधिकार देना राजनीतिक रूप से सबसे अहम है. इस तरह की अनधिकृत बसावट मुख्य तौर पर शिमला शहर के साथ ही बिलासपुर और बद्दी औद्योगिक क्षेत्रों में हैं. अनुमान है कि इससे शिमला के स्लम इलाकों में रहने वाले करीब 3,000 लोगों को फ़ायदा होगा. इसके साथ ही, बीजेपी ने कृष्णा नगर इलाके में नया म्युनिसिपल वार्ड का गठन किया है. इस इलाके में स्लम में रहने वाले लोगों की अच्छी-खासी संख्या है.
हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने दिप्रिंट से कहा कि बीजेपी सरकार उन लोगों की ‘लंबे समय से लंबित मांग’ पूरी करने की कोशिश कर रही है, जो बिना बिजली कनेक्शन के अस्वच्छ हालात में रह रहे हैं. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, ‘यह उन्हें सम्मान देने का हमारा प्रयास है… समाज के निचले तबके के इन लोगों की देखभाल कौन करेगा?’
मुख्यमंत्री ठाकुर ने जनवरी में घरेलू यूजर को 60 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने और 60 से 125 यूनिट बिजली खपत करने वाले यूजर के लिए, प्रति यूनिट शुल्क (1.90 रुपये से घटाकर) एक रुपया करने की घोषणा की थी. बीजेपी सरकार ने लाखों लोगों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया. उन्होंने कहा कि किसानों को सिर्फ़ प्रति यूनिट 30 पैसे देने होंगे. पहले यह रेट 50 पैसा प्रति यूनिट था. एक बीजेपी नेता ने दिप्रिंट से कहा कि इसका ‘चुनाव से कोई लेना-देना नहीं’ है और यह सिर्फ़ ‘लोगों के बोझ को कम करने की छोटी सी पहल थी.’
‘बोझ कम करने’ की एक और पहल के तहत हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड में संशोधन किया गया, ताकि बिजली कनेक्शन आसानी से लिया जा सके. इसके साथ ही, शहरी इलाकों में, पानी के बिल को कम करने की योजना है.
भारद्वाज ने कहा, ‘हम म्युनिसिपल क्षेत्रों में पानी से जुड़े टैक्स को कम करने पर काम कर रहे हैं…. कचरा प्रबंधन, पार्किंग, रिन्यूएबल एनर्जी को लेकर किया गया हमारा काम और शिमला के भीड़-भाड़ को कम करने की नई योजना अनुकरणीय हैं.’ उन्होंने कहा कि पिछले साल नीति आयोग के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (एसडीजी) की अर्बन इंडेक्स में शिमला पहले नंबर पर था.
पर्वतीय राज्यों में बेरोजगारी बड़ी चुनौती है. मुख्यमंत्री ने बजट में घोषणा की है कि इस साल 30,000 नई नौकरियों के लिए भर्तियां निकालने की सरकार की योजना है. मुख्यमंत्री के पास वित्त विभाग की जिम्मेदारी भी है.
इसके साथ ही, सरकार ने पेंशन पाने की उम्र घटा दी है. वहीं, विधवा और परित्यक्ता (बिना तलाक लिए अलग रहने वाली महिलाओं) के लिए सहायता राशि में वृद्धि की गई है. इसके अलावा, सरकार ने विधायकों और मेयर से लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और पंप ऑपरेटर तक, तकरीबन सभी के वेतन में वृद्धि की है.
कैंपेन की योजना : पदयात्रा और धन्यवाद ज्ञापन
पिछले तीन दिनों से बीजेपी ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार की तैयारी शुरू कर दी है. इसमें राष्ट्रीय स्तर के नेता भी शामिल हैं.
इस सप्ताह की शुरुआत में, बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और आरएसएस के पुराने कार्यकर्ता सौदान सिंह ने राज्य में चुनाव तैयारी का जायजा लिया और जीत की रणनीतियों और सत्ता विरोधी लहरों से निपटने को लेकर स्थानीय नेताओं के साथ मंथन किया.
बीजेपी के राज्य के महासचिव त्रिलोक कपूर ने कहा कि कैंपेन की योजना पहले ही बन चुकी है. बीजेपी के स्थापना दिवस, 6 अप्रैल से लेकर अगले महीने के आखिर तक, पार्टी के कैडर गांव-गांव जाकर बीजेपी का झंडा फहराएंगे और घर-घर जाकर अपनी बात कहेंगे.
कपूर ने कहा, ‘धन्यवाद समारोह में पार्टी के कार्यकर्ता सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से मिलेंगे.’
उन्होंने कहा कि लाभार्थियों की एक सूची भी तैयार की जा रही है, ताकि सीएम लोगों को उनकी सेवा करने का अवसर देने के लिए धन्यवाद दे सकें. उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री, बीजेपी सरकार की ओर से पांच साल में की गई सेवा (का मौका देने) के लिए, लाभार्थियों को धन्यवाद के रूप में एक पोस्टकार्ड भेजेंगे.’
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