नई दिल्ली: पहला कोविड-19 लॉकडाउन लागू होने के ठीक दो साल बाद भारत ने महामारी से पहले की सामान्य स्थिति में लौटने की तरफ पहला कदम उठाया है. रोकथाम के उपायों के तहत प्रतिष्ठानों पर लगी पाबंदियां हटाने और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों को अब जारी नहीं रखने का फैसला किया है.
हालांकि, हाथों को सैनिटाइज करने जैसे कोविड अनुरूप सामान्य व्यवहारों पर अमल जारी रहेगा.
राज्य के मुख्य सचिवों को 22 मार्च के लिखे पत्र में गृह सचिव अजय भल्ला ने घोषणा की है कि कोविड की रोकथाम के उपायों के तहत लागू आपदा प्रबंधन अधिनियम 31 मार्च के बाद जारी नहीं रहेगा.
इसके साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी राज्यों को आगे के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं.
स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों को 23 मार्च को लिखे एक पत्र में कहा है, ‘कम्युनिटी के बीच पहले से ही जुड़ाव और जानकारी सुनिश्चित करें ताकि किसी तरह की भ्रामक सूचना या घबराहट की स्थिति न आए, स्पष्ट कम्युनिकेशन और अस्पताल तथा टेस्टिंग के बुनियादी ढांचे की उपलब्धता और नियमित प्रेस ब्रीफिंग आदि की व्यवस्था हो. कोविड अनुरूप व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए कम्युनिटी के बीच इन्हें सख्ती से लागू कराना आवश्यक है. इसके साथ ही लोगों को नियमित रूप से साक्ष्य आधारित सूचनाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.’
इसके बाद से ही ऐसी अटकलें लगाई जाने लगीं कि क्या मास्क अनिवार्य होने संबंधी आदेश वापस लिया जा रहा है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने तत्काल एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा. ‘कुछ मीडिया रिपोर्ट में मास्क पहनने और हाथ को सैनिटाइज करने जैसे कोविड प्रोटोकॉल में छूट की बात कही जा रही है जो कि एकदम गलत है. कोविड प्रबंधन उपायों के तहत फेस मास्क और हैंड हाइजीन जैसे प्रोटोकॉल लागू रहेंगे.’
स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को सूचना दी कि देश में पिछले 24 घंटों के दौरान 1,938 नए कोविड-19 मामले दर्ज किए गए हैं. इसके साथ, देश में सक्रिय मामलों में 22,427 की गिरावट देखी गई है.
लगभग सामान्य स्थितियों में लौटे
हालांकि, मास्क न पहनने जैसे कोविड-पूर्व स्थिति की उम्मीद लगाए लोगों का इंतजार अभी खत्म नहीं हुआ है, लेकिन जिम, स्विमिंग पूल, बार, रेस्तरां और धार्मिक स्थानों पर चलने वाली सामान्य गतिविधियों आदि पर प्रतिबंध हटा दिया गया है. विवाह और अंतिम संस्कार जैसे सामाजिक कार्यक्रम भी पहले की तरह हो सकेंगे.
स्वास्थ्य सचिव के पत्र में कहा गया है, ‘आर्थिक गतिविधियां फिर शुरू करने को बढ़ावा देने के लिए चरणबद्ध तरीके से छूट पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. सामाजिक/खेल/ मनोरंजन/शैक्षणिक/सांस्कृतिक/धार्मिक/त्योहार आदि से जुड़ी गतिविधियों और अन्य सभाओं और समारोहों को फिर से शुरू किया जा सकता है.’
इसमें आगे कहा गया है, ‘ऊपर बताए गए सिद्धांतों का पूरी तरह पालन करते हुए संबंधित राज्य इन गतिविधियों को अनुमति देने का निर्णय ले सकते हैं. बिना किसी प्रतिबंध के शैक्षणिक संस्थानों में ऑफलाइन कक्षाएं फिर से शुरू की जा सकती हैं. हालांकि, शिक्षण संस्थान ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड के जरिये पढ़ाई के हाइब्रिड मॉडल का भी लाभ उठा सकते हैं.’
इसके अलावा, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, सार्वजनिक परिवहन (रेलवे, मेट्रो, बस, कैब) के ऑपरेशन और आवश्यक सामानों के लिए राज्यों के अंदर और एक से दूसरे राज्य में आवाजाही पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं होगा. मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग प्रोटोकॉल का उचित तरीके से पालन करते हुए कार्यालय पूरी क्षमता के साथ काम कर सकते हैं.
टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण जारी रहेगा
हालांकि, राज्यों को निर्देश दिया गया है कि कोविड निगरानी पर अपनी तरफ से कतई कोई लापरवाही न बरतें और पात्र आबादी में 100 फीसदी टीकाकरण का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में प्रयास करते हुए टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण की नीति जारी रखें.
उन्हें कोविड केयर संबंधी बुनियादी ढांचे की पर्याप्त उपलब्धता भी सुनिश्चित रखनी होगी, साथ ही यह भी देखना होगा कि गैर-कोविड स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह बहाल हो सकें. सभी अस्पतालों में इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियों (आईएलआई) और एसएआरआई (श्वसन संबंधी तीव्र संक्रमण) के मामलों की दैनिक आधार पर निगरानी जारी रहनी चाहिए.
भूषण ने अपने पत्र में प्रशासन के लिए दो बातें स्पष्ट तौर पर रेखांकित की है—ऐसे किसी भी क्षेत्र में प्रतिबंध फिर से लगा दिए जाने चाहिए जहां टेस्ट पॉजिटिविटी रेट हफ्ते में 10 प्रतिशत से अधिक हो, या फिर जहां ऑक्सीजन सपोर्ट वाले या आईसीयू बेड की ऑक्यूपेंसी किसी समय 40 प्रतिशत के निशान के पार पहुंच जाए. उन्होंने राज्यों से जीनोमिक सर्विलांस पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखने का भी आग्रह किया.
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