रामपुरहाट: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के स्थानीय ब्लॉक अध्यक्ष को गुरुवार को रामपुरहाट हिंसा मामले में गिरफ्तार कर लिया गया. 21 मार्च को भड़की हिंसा की इस घटना में आठ लोगों की मौत हो गई थी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बीरभूम जिले के बगतुई गांव में घटनास्थल का दौरा करने के दौरान गिरफ्तारी का आदेश दिए जाने के तीन घंटे बाद ही 52 वर्षीय अनारुल हुसैन को हिरासत में ले लिया गया.
हुसैन टीएमसी के पहले ऐसे सदस्य हैं जिन्हें हिंसा की इस घटना के सिलसिले में सलाखों के पीछे भेजा गया है, जो कि कथित तौर पर उसी शाम पार्टी के स्थानीय सदस्य और एक दबंग भादू शेख की हत्या के कारण भड़की थी.
घटनास्थल पर अपने बयान में ममता ने कहा कि ‘पीड़ितों के परिजनों ने बताया कि उन्होंने अनारुल को फोन किया था और उनसे बगतुई में पुलिस भेजने को कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.’
उन्होंने बगतुई में पुलिस महानिदेशक मनोज मालवीय से कहा, ‘मैं चाहती हूं कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए. वैसे तो वह आत्मसमर्पण भी कर सकते हैं लेकिन मैं चाहती हूं कि उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाए.’
बाद में हुसैन को बगतुई से 15 मिनट दूर तारापीठ से गिरफ्तार कर लिया गया.
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कौन हैं अनारुल हुसैन?
बताया जाता है कि बंगाल के हुगली जिले के संधिपुर निवासी अनारुल हुसैन कांग्रेस के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू करने से पूर्व राजमिस्त्री का काम किया करते थे.
तृणमूल कांग्रेस में उन्हें पार्टी के लिए जमीनी स्तर पर जनाधार बढ़ाने के लिए जाना जाता है. वह 2018 से ब्लॉक अध्यक्ष का पद संभाल रहे हैं.
अनारुल को मेडिकल जांच के बाद शुक्रवार को रामपुरहाट कोर्ट में पेश किया जा सकता है.
हिंसा के दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से राज्य सरकार को केंद्रीय मदद की पेशकश किए जाने के एक दिन बाद ममता बगतुई पहुंची थीं.
उन्होंने डीजीपी से कहा कि वह यह कतई नहीं सुनना चाहतीं कि कोई भाग गया है या हम उसे इस मामले में अभी गिरफ्तार नहीं कर पाए हैं.
पीड़ितों के रिश्तेदारों की मौजूदगी में उन्होंने कहा, ‘ग्रामीणों से बात करें और एक पुख्ता मामला बनाएं.’
ममता बनर्जी, जो राज्य की गृह मंत्री भी हैं, को रामपुरहाट हिंसा को लेकर विपक्ष की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने इस मामले में पुलिस कार्रवाई में लापरवाही को लेकर खासी नाराजगी जताई.
उन्होंने कहा, ‘उपमंडल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) को पता था कि क्या हो रहा है, प्रभारी निरीक्षक (आईसी) को पता था कि क्या हो रहा है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई. यहां एक बड़ी साजिश है. मैं चाहती हूं कि यहां पुलिस लगातार नाकेबंदी करे.’
एसडीपीओ और आईसी दोनों को निलंबित कर दिया गया है.
हिंसा की घटना के संदर्भ में गुरुवार को डीजीपी ने सभी एसपी से कहा है कि ‘पूरे राज्य में तत्काल प्रभाव से हथियार और गोला-बारूद का पता लगाने के लिए 10 दिवसीय विशेष अभियान चलाया जाएगा.’ यह जानकारी एक पत्र के जरिए साझा की गई, जिसे दिप्रिंट ने एक्सेस किया है.
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