नयी दिल्ली, 22 मार्च (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी स्थित राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों पद्म पुरस्कार ग्रहण करने के अगले दिन मंगलवार को, इन पुरस्कारों से सम्मानित हस्तियां यहां राष्ट्रीय युद्ध स्मारक देखने गयीं।
एक सरकारी बयान के अनुसार, ये लोग स्मारक पर गये और रक्षाबलों के उन कर्मियों के नाम देखे जिन्होंने राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।
राष्ट्रपति कोविंद ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में एक कार्यक्रम में, विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान देने को लेकर दो लोगों को पद्म विभूषण, आठ लोगों को पद्म भूषण और 54 लोगों को पद्म श्री प्रदान किये।
बयान के अनुसार इस साल जिन लोगों को पद्म पुरस्कार प्रदान किये गये हैं, वह पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की बदलती प्रोफाइल को दर्शाता है और यह पूरी प्रक्रिया को बदलने के लिए सरकार द्वारा सोच-समझकर लिये गये निर्णय का परिणाम है।
बयान के मुताबिक, उन लोगों को पहचान देने पर बल देना रहा है जो समाज की नि:स्वार्थ सेवा कर रहे हैं। प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल एवं ऑनलाइन नामांकन ने प्रक्रिया को लोगों के लिए आसान एवं सुगम बना दिया है और 2022 के पद्म पुरस्कारों के लिए 4.80 लाख से अधिक प्रविष्टियां मिली थीं।
बयान के अनुसार स्व-नामांकन, ऑनलाइन नामांकन तथा गुमनाम नायकों का बड़ी संख्या में चयन एवं पारदर्शी चयन प्रक्रिया ने पद्म पुरस्कारों को ‘जन पद्म’ बना दिया है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पुरस्कार वितरण समारोह के बाद सोमवार को पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं एवं उनके परिवारों के साथ संवाद किया। उसके बाद इन सभी हस्तियों को गृहमंत्री की ओर से भोज दिया गया।
बयान के अनुसार इन हस्तियों का मानना है कि युद्ध स्मारक पर जाने से लोगों के अंदर देशभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा, साहस एवं बलिदान का भाव पैदा करने एवं उनके मन में राष्ट्रवाद की भावना गहरी करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का लोकार्पण किया था।
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा , ‘‘ जो रक्षा स्मारक पर गये उनमें पद्म विभूषण से सम्मानित श्री देवेंद्र झाझारिया एवं श्री सच्चिदानंद स्वामी तथा पद्श्री से सम्मानित सरदार जगजीत सिंह डर्डी, श्री काजी सिंह, पंडित राम दयाल शर्मा शामिल थे।’’
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राजकुमार उमा
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