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Saturday, 16 November, 2024
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बीमा दायरा बढ़ाने को मनरेगा श्रमिकों को पीएमजेजेबीवाई, पीएमएसबीवाई के तहत लाना जरूरी: रिपोर्ट

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मुंबई, 22 मार्च (भाषा) सरकार देश में बीमा का दायरा बढ़ाने के इरादे से मनरेगा कामगारों को अनिवार्य रूप से प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के अंतर्गत ला सकती है। साथ ही बीमा पॉलिसी पर 18 प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को कम कर युक्तिसंगत बना सकती है।

एसबीआई की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि विभिन्न क्षेत्रों के लिये कुछ मानकीकृत उत्पादों के जरिये बीमा के रूप में सुरक्षा दायरा मजबूत किया जा सकता है।

एसबीआई इकोरैप के अनुसार, ‘‘मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के जरिये आजीविका सुरक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। हमारा प्रस्ताव है कि मनरेगा कामगारों को अनिवार्य रूप से पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई के अंतर्गत लाया जा सकता है। इसके लिये केवल 342 रुपये (330 रुपये और 12 रुपये) का ही भुगतान करना होगा। इसका बोझ सरकार उठा सकती है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल 10 प्रतिशत परिवार / व्यक्ति 100 दिन का काम पूरा करते हैं। अनिवार्य रूप से इन बीमा योजनाओं से जुड़ने को लेकर 400 से 500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस खर्च का बोझ सरकार वहन कर सकती है।

बीमा की पहुंच वित्त वर्ष 2000-01 में 2.71 प्रतिशत थी। बीमा क्षेत्र को उदार बनाने से वित्त वर्ष 2008-09 में यह बढ़कर 5.20 प्रतिशत हो गयी। लेकिन 2013-14 में यह घटकर 3.30 प्रतिशत पर आ गयी।

हालांकि, सरकार के समर्थन और सार्वभौमिक बीमा योजनाओं (पीएमजेजेबीवाई, पीएमएसबीवाई) से बीमा की पहुंच 2014-15 से 2020-21 के बीच बढ़कर 4.20 प्रतिशत पर पहुंच गयी।

प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना 18 से 50 वर्ष की आयु के लोगों के लिये सालाना 330 रुपये प्रीमियम पर उपलब्ध है। इस योजना के तहत जीवन बीमा दो लाख रुपये का है।

प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना 18 से 70 वर्ष के आयु के लोगों के लिये है। सालाना 12 रुपये के प्रीमियम के साथ इस योजना के तहत दुर्घटना के कारण आकस्मिक मृत्यु और पूर्ण विकलांगता की स्थिति में दो लाख रुपये और आंशिक विकलांगता के मामले में एक लाख रुपये का का बीमा कवर दिया गया है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फिलहाल सभी बीमा पॉलिसी पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगता है। इस कर में कमी से प्रीमियम में कमी आएगी और लोग बीमा पॉलिसी खरीदने के लिए आकर्षित होंगे।

इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि विभिन्न क्षेत्रों के लिये कुछ मानकीकृत उत्पाद लाये जा सकते हैं। इससे बीमा के रूप में सुरक्षा की कमी को दूर किया जा सकेगा।

भाषा

रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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