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Friday, 15 November, 2024
होमखेललखनऊ को ‘बल्लेबाजी में बेहतर करने के साथ टीम का नेतृत्व करने वाले’ राहुल की जरूरत: गंभीर

लखनऊ को ‘बल्लेबाजी में बेहतर करने के साथ टीम का नेतृत्व करने वाले’ राहुल की जरूरत: गंभीर

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… कुशान सरकार…

नयी दिल्ली, 22 मार्च (भाषा) लखनऊ सुपरजाइंट्स के मेंटोर (मार्गदर्शक) गौतम गंभीर ने मंगलवार को कहा कि टीम को ऐसे लोकेश राहुल की जरूरत होगी जो इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के आगामी सत्र में कप्तानी के साथ बल्लेबाजी करने की जगह बल्लेबाजी पर अधिक ध्यान देते हुए टीम का नेतृत्व करे।   कोलकाता नाइट राइडर्स के लिए दो खिताबों के साथ आईपीएल के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में से एक गंभीर ने पीटीआई को दिये साक्षात्कार में राहुल के नेतृत्व, टीम संरचना और दीपक हुड्डा तथा कुणाल पंड्या के बीच खराब संबंधों को संभालने सहित कई विषयों पर बात की। कप्तान के तौर पर राहुल से उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर गंभीर ने कहा, ‘‘ कप्तान ही टीम का ध्वजवाहक होता है और इसलिए राहुल ही मैदान के अंदर और बाहर लखनऊ सुपरजाइंट्स का नेतृत्व करेंगे। मेरे लिए लोकेश राहुल का बेहतर बल्लेबाज होना जरूरी है, जो टीम की कमान संभाले ना की ऐसा कप्तान जो बल्लेबाजी करें।  मुझे उम्मीद है मैं आपको अपनी बातों के अंतर को समझाने में सफल रहा हूं।’’ गंभीर ने कहा कि वह चाहते हैं कि राहुल बेखौफ खेले और इसके लिये उसे पूरी आजादी मिलेगी । उन्होंने कहा ,‘‘ हर कप्तान को जोखिम लेना सीखना होगा । मैं चाहूंगा कि वह जोखिम ले क्योंकि जब तक ऐसा नहीं करेगा , उसे पता नहीं चला कि वह सफल हुआ या नहीं । टीम के पास क्विंटोन डिकॉक के रूप में विकेटकीपर है तो उस पर विकेटकीपिंग की भी जिम्मेदारी नहीं है । वह इत्मीनान से बल्लेबाजी और कप्तानी पर फोकस कर सकता है ।’’ लखनऊ के पास जैसन होल्डर से लेकर कृणाल पंड्या और दीपक हुड्डा तक कई हरफनमौला हैं और गंभीर का भरोसा हरफनमौलाओं पर रहा है । उन्होंने कहा ,‘‘ जब हम टीम के लिये रणनीति बना रहे थे तो हम अधिक हरफनमौला चाहते थे । मुझे खुशी है कि संजीव गोयनका ने इसकी अनुमति दी ।’’ हुड्डा और कृणाल बड़ौदा के लिये घरेलू क्रिकेट साथ खेलते थे लेकिन हुड्डा ने कृणाल पर धमकाने का आरोप लगाकर टीम छोड़ दी थी । अब दोनों लखनऊ टीम में साथ है और गंभीर ने कहा कि इससे कोई परेशानी नहीं आयेगी । उन्होंने कहा ,‘‘ मैदान पर अच्छे प्रदर्शन के लिये घनिष्ठ मित्र होना जरूरी नहीं है । वे पेशेवर हैं और उन्हें अपना काम पता है । एक टीम में खेलने का मतलब यह नहीं कि रोज साथ में डिनर करें । मैं भी जब खेलता था तो टीम में सभी मेरे दोस्त नहीं थे लेकिन इससे मेरे प्रदर्शन पर फर्क नहीं पड़ा । ये परिपक्व लोग हैं और इन्हें पता है कि इन्हें मैच जीतने हैं ।’’ भाषा आनन्द मोनाआनन्द

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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