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केवल अनुबंध का उल्लंघन आपराधिक दोष नहीं : न्यायालय

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नयी दिल्ली, 22 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि केवल अनुबंध का उल्लंघन अपने आप में एक दंडनीय अपराध नहीं है और हर्जाने के लिए दीवानी दायित्व की स्थितियां बनाता है।

न्यायमूर्ति एस ए नज़ीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि केवल अनुबंध के उल्लंघन और धोखाधड़ी, जो एक दंडनीय अपराध है, के बीच का अंतर स्पष्ट है।

न्यायालय ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि केवल अनुबंध का उल्लंघन अपने आप में एक दंडनीय अपराध नहीं है और हर्जाने के दीवानी दायित्व की स्थितियां बनाता है….।”

पीठ ने कहा, “हालांकि अनुबंध का उल्लंघन धोखाधड़ी के लिए आपराधिक मुकदमा चलाने के लिए अनुकूल स्थिति नहीं बना सकता है, धोखाधड़ी या बेईमानी का इरादा धोखाधड़ी के अपराध का आधार है।”

शीर्ष अदालत ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली कंपनी के प्रबंध निदेशक और निदेशकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियां कीं। उच्च न्यायालय ने धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के मामले में उनके खिलाफ कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था।

जनवरी 2008 में प्रतिवादी संख्या- 2, एसएमसी ग्लोबल सिक्योरिटीज लिमिटेड, दिल्ली के एक अधिकृत प्रतिनिधि ने अपीलकर्ताओं के साथ अपनी ओर से निवेश करना चाहा।

पक्षों के बीच पारस्परिक रूप से यह तय किया गया था कि प्रतिवादी संख्या- 2 कंपनी के साथ 2.5 करोड़ रुपये की राशि का निवेश करेगा। जिसके बदले उन्हें प्रिकनिट अपैरल प्राइवेट लिमिटेड के 2,50,000 इक्विटी शेयर जारी किए जाएंगे। इसके बाद, प्रतिवादी संख्या-2 ने 2.5 करोड़ रुपये के चेक के साथ अपना शेयर आवेदन पत्र दाखिल किया।

बाद में, प्रतिवादी संख्या-2 के पक्ष में एक आवंटन पत्र जारी किया गया जिसमें उसके द्वारा किए गए निवेश के बदले 2,50,000 शेयर जारी किए गए।

समझौता ज्ञापन के अनुसार आईपीओ लाने में विफल रहने पर, प्रतिवादी संख्या-2 ने अपीलकर्ताओं को एक कानूनी नोटिस जारी किया, जिन्होंने कानूनी नोटिस में निहित सभी आरोपों को खारिज करते हुए कानूनी नोटिस का विधिवत जवाब दिया। बाद में, अपीलकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वर्तमान मामले में प्रतिवादी संख्या-2 की शिकायत अपीलकर्ताओं के बेईमान या कपटपूर्ण इरादों का खुलासा नहीं करती है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में, यह इंगित करने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि अपीलकर्ताओं का प्रतिवादी के खिलाफ कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा था जो स्पष्ट रूप से पक्षों के बीच हुए समझौता ज्ञापन से कटौती योग्य है।

भाषा

प्रशांत अनूप

अनूप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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