नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) पुष्कर सिंह धामी को फिर से मुख्यमंत्री बनाने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तराखंड में स्थिरता का विकल्प चुना है, जिसने लगातार बदलाव देखा है।
अपनी सीट हारने के बावजूद धामी के फिर से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनने के साथ, भाजपा के वर्तमान केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य में स्थिरता को चुना है। यह पहली बार है जब नेता के अपनी विधानसभा सीट से हारने के बाद भी भाजपा राज्य में सरकार का नेतृत्व करने के लिए उन्हीं के साथ आगे बढ़ी है।
धामी जिन्हें पिछले साल जुलाई में मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था और चार महीनों में उत्तराखंड के वह तीसरे मुख्यमंत्री थे। धामी के नेतृत्व में पार्टी ने लगातार दूसरी बार जीतने का रिकॉर्ड बनाया, जिसमें भाजपा ने 70 में से 47 सीटें जीतीं।
भाजपा के सूत्रों के अनुसार उनमें राज्य इकाई में अंदरूनी कलह को रोकने की क्षमता थी। हालांकि 46 वर्षीय धामी को खटीमा सीट से हार का सामना करना पड़ा था।
कई विधायकों और निर्दलीयों ने उन्हें अपनी सीट की पेशकश की है। संवैधानिक मानदंडों के अनुसार, धामी को पदभार ग्रहण करने के छह महीने के भीतर राज्य विधानसभा के लिए निर्वाचित होना होगा।
पार्टी सूत्रों ने कहा कि धामी की पुनर्नियुक्ति एक संदेश है कि पार्टी 2024 के आम चुनावों के लिए एक स्थिर सरकार की तलाश कर रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा,‘‘पार्टी ने राज्य का नेतृत्व करने और उत्तराखंड के वास्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए युवा पीढ़ी में विश्वास दिखाया है।’’
हिमाचल प्रदेश के 2017 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार प्रेम कुमार धूमल अपनी विधानसभा सीट हार गए थे, लेकिन पार्टी ने विधानसभा चुनाव जीता। उस वक्त पार्टी ने धूमल की जगह मौजूदा विधायक को मुख्यमंत्री चुना था।
इसी तरह, उसी वर्ष गोवा चुनाव में, पार्टी 13 विधायकों के साथ दूसरे स्थान पर रही, लेकिन उसने कई छोटे दलों के समर्थन से सरकार बनाई। भाजपा ने अपने मौजूदा मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पार्सेकर की जगह मौजूदा विधायक प्रमोद सावंत को चुना था। पार्सेकर अपनी विधानसभा सीट हार गए थे।
भाषा
देवेंद्र उमा
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