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Sunday, 3 November, 2024
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इटली और फ्रांस का शिक्षा संस्थान NEP के तहत भारत में अपना कैंपस स्थापित करना चाहते हैं: केंद्र

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने संसद को बताया कि इतालवी फैशन और डिजाइन स्कूल इस्टिटूटो मारांगोनी और एक अनाम फ्रांसीसी संस्थान ने इस बारे में अपनी रुचि व्यक्त की है.

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नई दिल्ली: सोमवार को केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने संसद को बताया कि एक फ्रांसीसी और एक इतालवी शिक्षा संस्थान ने भारत में अपने शैक्षणिक परिसरों (एजुकेशनल कैंपस) की स्थापना के बारे में रुचि व्यक्त की है.

सरकार लोकसभा में उस लिखित सवाल का जवाब दे रही थी, जिसमें देश भर में कैंपस स्थापित करने में विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा दिखाई गई दिलचस्पी के बारे में पूछा गया था.

साल 2020 में घोषित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, सरकार ने विदेशी शिक्षण संस्थानों को भारत में अपने कैंपस स्थापित करने की अनुमति दी थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के केंद्रीय बजट में भी घोषणा की थी कि केंद्र सरकार गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) में विश्व स्तर के विदेशी विश्वविद्यालयों की स्थापना की अनुमति देगी.

सरकार ने कहा, ‘विदेश मंत्रालय ने सूचित किया है कि फ्रांसीसी पक्ष ने भारत में उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों के लिए एक विश्वविद्यालय परिसर स्थापित करने में रुचि व्यक्त की है. इसके अलावा, इस्टिटूटो मारंगोनी (इटली) ने भी भारत में फैशन और डिजाइन के एक विदेशी एवं पूरी तरह से स्वतंत्र उच्च शिक्षा संस्थान की स्थापना के लिए रुचि व्यक्त की है.’

इस्टिटूटो मारांगोनी जहां  मिलान में स्थित फैशन और डिज़ाइन का एक निजी स्कूल है, वहीँ केंद्र सरकार ने फ्रांसीसी संस्थान के बारे में कोई जानकारी साझा नहीं की.

सरकार ने कहा, ‘अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक परिसरों से भारत और पड़ोसी देशों के छात्रों को वैश्विक मानकों वाली  गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अनुभव मिलेगा.’

यह पहला मौका है जब सरकार ने किसी ऐसी विदेशी अकादमी का नाम बताया है जिसने भारत में अपना शैक्षणिक परिसर खोलने में रुचि व्यक्त की है.

कुछ विदेशी विश्वविद्यालयों के बीच किए गए एक सर्वेक्षण के दौरान भी यहां कैंपस खोल जाने की संभावना को लेकर उत्साह की कमी दिखाई दी थी.


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सरकार की मंजूरी, आम स्वीकृति से संबंधित चुनौतियां

दिसंबर 2020 और फरवरी 2021 के बीच, भारत में कैंपस स्थापित करने के बारे में उनकी रुचि जानने हेतु दुनिया भर के ‘शीर्ष विश्वविद्यालयों’ के बीच राष्ट्रीय शैक्षिक योजना और प्रशासन संस्थान (नीपा) द्वारा एक सर्वेक्षण किया गया था.

‘एस्टब्लिशिंग इंटरनेशनल ब्रांच कैंपस’ शीर्षक से किये गए इस सर्वेक्षण में भारत में कैंपस खोलने के लिए सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने वाले ज्यादा संस्थान नहीं मिले थे.

दिप्रिंट द्वारा देखी गई इस सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, 11 देशों के 43 विश्वविद्यालयों ने इस सर्वे में भाग लिया, जिनमें से केवल आठ ने कहा कि वे भारत में अपना परिसर खोलने में रुचि रखते हैं. इनमें से पांच संस्थान संयुक्त राज्य अमेरिका से तथा एक-एक यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से थे.

जिन उत्तरदाताओं ने यह कहा कि वे भारत में एक विश्वविद्यालय परिसर स्थापित करने में ‘रुचि नहीं’ रखते हैं, उनका कहना था कि सरकार की मंजूरी और फीस का विनियमन उनके लिए समस्या की वजहें थी.

इस रिपोर्ट में उल्लिखित एक प्रतिक्रिया में कहा गया है, ‘भारत में एक कैंपस स्थापित करना आकर्षक प्रस्ताव है, लेकिन इसके साथ कई चुनौतियां भी आती हैं. सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात सरकार से मिलने वाली सामान्य स्वीकृति और आम जनता के बीच इसकी आम स्वीकृति है.’

इसमें आगे कहा गया है, ‘भारत में, शिक्षा समावेशी है और सभी के लिए सुलभ होनी चाहिए, इस बात को ध्यान में रखते हुए समाज से विपरीत प्रतिक्रिया के बिना भारत में ट्यूशन (शिक्षा शुल्क) की उच्च लागत के साथ किसी विश्वविद्यालय का संचालन करना मुश्किल है.’

अपना नाम न छापे जाने की शर्त पर बात करने वाले शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने इस बात से सहमति व्यक्त की कि विदेशी विश्वविद्यालयों के मध्य विश्वास का भाव विकसित करना एक बड़ी चुनौती है और सिर्फ यह तथ्य कि सरकारी नियम उनका समर्थन करेंगे, कुछ ऐसा है जिस पर उन्हें विश्वास करना होगा. उन्होंने कहा, ‘गिफ्ट सिटी की घोषणा और विदेशी विश्वविद्यालयों को अनुमति देने के लिए सरकार द्वारा नियमों में दी गई ढील के साथ, चीजों में तेजी आनी चाहिए.’

अपने बजट भाषण में गिफ्ट सिटी में अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की स्थापना के बारे में घोषणा करते हुए, वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा था, ‘विश्व स्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों को गिफ्ट सिटी में अनुमति दी जाएगी.

इंटरनेशनल फाइनेंसियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी (आईएफएससीए) को छोड़कर अन्य सभी विश्व स्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों और संस्थानों को गिफ्ट सिटी में वित्तीय प्रबंधन, फिनटेक, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में घरेलू नियमों के अनुपालन से मुक्त पाठ्यक्रमों की पेशकश करने की अनुमति होगी.‘

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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