नयी दिल्ली, 21 मार्च (भाषा) ट्रैक्टर उद्योग में नये उत्सर्जन मानकों में बदलाव से क्षेत्र में अधिक उथल-पुथल आने की आशंका नहीं है। इसका कारण यह उन्हीं वाहनों में लागू होगा, जिनकी इंजन क्षमता 50 एचपी (अश्व शक्ति) से अधिक है। नई व्यवस्था से उद्योग की कुल 10 प्रतिशत संख्या पर ही असर पड़ेगा। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने सोमवार को यह कहा।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल, 2022 से 50 एचपी से अधिक क्षमता के इंजन वाले ट्रैक्टरों के लिये नये उत्सर्जन मानक (टीआरईएम 4) लागू होंगे। उद्योग का एक बड़ा हिस्सा 50 एचपी से कम क्षमता के इंजन युक्त ट्रैक्टरों का है और इन पर टीआरईएम-3 ए मानक पहले की तरह बने रहेंगे।
इक्रा ने एक बयान में कहा कि फिलहाल टीआरईएम-तीन-ए उत्सर्जन मानक विभिन्न अश्व शक्ति के ट्रैक्टरों पर लागू हैं। इसे अप्रैल 2010/2011 में लागू किया गया था।
इक्रा के उपाध्यक्ष और क्षेत्रीय प्रमुख (कंपनी रेटिंग) रोहन कंवर गुप्ता ने कहा, ‘‘…भारत में लगभग 80 प्रतिशत ट्रैक्टर बिक्री 30-50 एचपी श्रेणियों के अंतर्गत है। संशोधित उत्सर्जन मानदंड केवल 50 एचपी से अधिक ट्रैक्टरों पर लागू होंगे। यह कुल उद्योग की मात्रा का लगभग 10 प्रतिशत ही है।’’
उन्होंने कहा कि चूंकि निर्यात मॉडल में इन मानदंडों का अनुपालन पहले से हो रहा है, अत: मूल उपकरण विनिर्माताओं (ओईएम) के पास तकनीकी जानकारी पहले से है।
नये मानकों से ट्रैक्टरों की कीमतों पर पड़ने वाले असर के बारे में पूछे जाने पर गुप्ता ने कहा, ‘‘हमारे अनुमान के अनुसार, इनसे लागत में छह से आठ प्रतिशत की वृद्धि होगी। ओईएम इसका भार धीरे-धीरे ग्राहकों पर डालेंगे।’’
ट्रैक्टरों के लिए संशोधित उत्सर्जन मानदंड पहले अक्टूबर, 2020 से लागू किए जाने थे। हालांकि, इसे शुरू में एक साल के लिए और बाद में कोरोनो वायरस महामारी के मद्देनजर छह महीने के लिए टाल दिया गया था।
भाषा
रमण अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.