नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी, लोजद) का लालू प्रसाद के नेतृत्व वाली पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ विलय कर दिया है. यादव ने इससे पहले विलय की बात 20 मार्च को कही थी लेकिन यह आज यानि 23 मार्च को हुआ है.
अपनी पार्टी के लोकतांत्रिक जनता दल के राष्ट्रीय जनता दल में विलय होने पर शरद यादव ने कहा कि, ‘ये विलय व्यापक एकता के लिए पहला कदम है. इसमें हमने अपनी पहल कर दी है. पूरे देश में विपक्ष के एक होने के बाद ही बीजेपी को हरा सकते हैं. बिहार का आने वाला भविष्य तेजस्वी यादव हैं.’
Merger of our party with RJD is first step towards opposition unity. It's imperative that whole opposition gets united across India to defeat BJP. As of now, unification is our priority, it'll be only after that we would think about who'll lead the united opposition:Sharad Yadav
— ANI (@ANI) March 20, 2022
शरद यादव ने कहा कि आरजेडी के साथ उनकी पार्टी का विलय विपक्षी एकता की ओर पहला कदम है. यह जरूरी है के बीजेपी को हराने के लिए पूरे भारत में विपक्ष एकजुट हो. अभी एकीकरण हमारी प्राथमिकता है. उसके बाद हम सोचेंगे एकजुट विपक्ष का नेतृत्व कौन करेगा.
गौरतलब है कि शरद यादव ने लोजद का राजद के साथ विलय 20 मार्च को होने की बात कही थी लेकिन यह आज यानि 23 मार्च को हुआ है.
उन्होंने एक बयान में यह भी कहा था कि पूरे देश और आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है.
यादव ने कहा था, ‘लोकतांत्रिक जनता दल का विलय राष्ट्रीय जनता दल में 20 मार्च 2022 को होगा. देश में मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए बिखरे हुए जनता परिवार को एक साथ लाने के मेरे नियमित प्रयासों की पहल के रूप में यह कदम जरूरी हो गया है.’
उनके मुताबिक, एक समय था जब वर्ष 1989 में अकेले जनता दल के पास लोकसभा में 143 सीटें थीं. जनता दल परिवार ने अतीत में विशेष रूप से मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद विभिन्न सरकारों के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा था कि इसके बाद, देश में वंचित वर्गों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में काफी उत्थान देखने को मिला है.
शरद यादव ने जनता दल (यूनाइटेड) से अलग होने के बाद मई, 2018 में लोजद का गठन किया था.
कोर्ट ने सरकारी बंगला खाली करने को कहा था
वहीं दिल्ली उच्च न्यायालय ने जनता दल (यूनाइटिड) के पूर्व प्रमुख शरद यादव को मंगलवार को निर्देश दिया था कि वह 15 दिन के अंदर राष्ट्रीय राजधानी स्थित सरकारी बंगला खाली करें, क्योंकि उन्हें 2017 में राज्यसभा से अयोग्य ठहरा दिया गया था.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की पीठ ने यादव को निर्देश दिया था कि वह 15 दिन के अंदर सात तुगलक रोड बंगले को सरकार को सौंप दें. पीठ ने कहा था कि यादव को संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराए चार साल से ज्यादा का समय हो गया है और सरकारी आवास में रहने के लिए उनके लिए स्पष्टीकरण नहीं है.
गौरतलब है कि जुलाई 2017 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राजद और कांग्रेस के गठबंधन से अलग होने और फिर भाजपा के साथ जाने के बाद यादव ने विपक्षी खेमे से हाथ मिला लिया था जिसके बाद उनकी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा से अयोग्य ठहराए जाने का आग्रह किया था जिन्हें 4 दिसंबर 2017 को अयोग्य ठहरा दिया गया था.