नई दिल्ली: रूस पर लगे प्रतिबंधों की वजह से भारत ने उर्जा संबंधित ‘अपनी ज़रूरत पूरी’ करने के लिए उन प्रतिबंधों का शुरुआती विश्लेषण किया है, ताकि यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से कच्चे तेल के आयात पर हुए असर को कम किया जा सके. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऐसे में भारत रूस से अपनी उर्जा ज़रूरतों को पूरा करने की कोशिश कर रहा है और यह जारी रह सकता है. हालांकि, दोनों सरकारों के बीच अबतक डील पक्की नहीं हुई है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी उर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए, ‘पूरी तरह से निर्भर’ है. भारत की 85 फीसदी कच्चे तेल की ज़रूरत (प्रतिदिन पांच मिलियन बैरल) आयात से पूरी की जाती है.
सूत्र ने कहा, ‘अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण, भारत ने ईरान और वेनेजुएला से तेल आयात करने पर रोक लगा दी है, जिससे ‘देश की ऊर्जा सुरक्षा पर गंभीर चुनौतियां आ गई हैं.’
एक अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘भू-राजनीतिक घटनाओं की वजह से हमारी उर्जा सुरक्षा पर गंभीर चुनौतियां आई हैं. इसकी वजह से हमें ईरान और वेनेजुएला से आयात करना बंद करना पड़ा है. वहीं, दूसरे स्रोत आमतौर पर ऊंची कीमत के हैं.’
अधिकारी ने कहा, ‘यूक्रेन संकट के बाद, तेल की कीमत बढ़ने से हमारी चुनौतियां बढ़ गई हैं. इसकी वजह से, प्रतियोगी स्रोतों से आयात करने का दबाव स्वभाविक रूप से बढ़ गया है.
भारत फिलहाल यूक्रेन पर आक्रमण की वजह से रूस पर लगे अभूतपूर्व प्रतिबंधों का अध्ययन कर रहा है. वित्त मंत्रालय की अगुवाई में विदेश मंत्रालय, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय वगैरह इन प्रतिबंधों को गहराई के साथ समझने का प्रयास कर रहा है.
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कई देश अब भी रूस से तेल आयात कर रहे हैं
सूत्रों के मुताबिक, रूसी बैंक को स्विफ्ट बैंकिंग तंत्र से बाहर नहीं किया गया है. आमतौर पर रूसी बैंक के जरिए रूसी आयात के लिए यूरोपीय यूनियन की ओर से भुगतान किया जाता है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रूस के तेल और गैस दुनिया भर के कई देशों, विशेष रूप से यूरोप की ओर से खरीदे जा रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि रूस का 75 फीसदी प्राकृतिक गैसों का आयात यूरोप के ओईसीडी (ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट) देशों, जैसे कि जर्मनी, इटली और फ्रांस में होता है.
नीदरलैंड, पोलैंड, फिनलैंड, लिथुआनिया, रोमानिया जैसे यूरोप के देश रूस के कच्चे तेल के बड़े आयातक हैं. रूस-यूक्रेन के बीच जारी लड़ाई के बावजूद इन देशों ने तेल का आयात अब तक जारी रखा है.
फिलहाल, भारत की उर्जा ज़रूरतें पश्चिम एशिया के देशों से आयात से पूरी होती है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक कुल जरूरत का 23 फीसदी इराक से, 18 फीसदी सऊदी अरब से और 11 फीसदी यूएई से पूरी होती है. सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका, भारत को कच्चा तेल आयात करने वाला महत्वपूर्ण देश बन गया है. यहां से मिलने वाला कच्चा तेल कुल आयात का 7.3 फीसदी है.
सूत्रों का कहना है कि इस साल अमेरिका से आयात में अच्छी वृद्धि हो सकती है. अनुमान है कि यह करीब 11 फीसदी हो जाएगा, ऐसे में बाजार में इसकी हिस्सेदारी आठ फीसदी हो जाएगी.
वहीं, रूस, भारत को बहुत थोड़ी मात्रा में कच्चे तेल का आयात करता है. यह कुल ज़रूरत का एक फीसदी से भी कम है. ऐसे में रूस, कच्चे तेल के 10 शीर्ष आयातकों में शामिल नहीं है.
‘भारत की उर्जा संबंधित वैध व्यापार का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए’
उस अधिकारी ने कहा, ‘भारत को प्रतियोगी स्रोतों पर नजर बनाए रखे जाने की ज़रूरत है. हम किसी भी उत्पादक की ओर से मिलने वाले इस तरह के प्रस्ताव का स्वागत करते हैं. भारतीय व्यापारी भी उर्जा के वैश्विक बाजार में बेहतर विकल्पों की तलाश में रहते हैं. ऐसे में तेल के मामले में आत्मनिर्भर देश या जो खुद ही रूस से तेल का आयात कर रहे हैं वे व्यापार पर प्रतिबंधों की वकालत विश्वनीयता के साथ नहीं कर सकते.’
अधिकारी ने कहा, ‘भारत की उर्जा संबंधित वैध व्यापार का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए’
इस सप्ताह की शुरुआत में प्रतिबंधों के बावजूद भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने रूस से तीन मिलियन बैरल कच्चा तेल खरीदा है. इसकी व्हाइट हाउस ने आलोचना की.
व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया केंद्रीय मंत्री के बयान के बाद आई है. मंगलवार को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संसद में कहा कि सरकार कच्चे तेल की खरीद को लेकर रूस से बातचीत कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘मैंने रशियन फेडरेशन के सक्षम स्तर (अधिकारियों) पर बातचीत की है. बातचीत की प्रक्रिया जारी है.’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा, ‘भारत की ज़्यादातर तेल ज़रूरतें आयात से पूरी होती हैं. इसलिए, हम हमेशा वैश्विक ऊर्जा बाजार में मौजूद सभी संभावनाओं का पता लगा रहे हैं, क्योंकि वर्तमान परिस्थिति में हम अपनी तेल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात में दिक्कत का सामना कर रहे हैं. मुझे नहीं लगता कि रूस मुख्य आपूर्तिकर्ता रहा है.’
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