नयी दिल्ली, 17 मार्च (भाषा) सरकार तपेदिक को खत्म करने की दिशा में एक बहु-क्षेत्रीय, समग्र और अंतःक्रियात्मक रुख अपना रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसका काम लागत प्रभावी डिजिटल समाधान प्रदान करना भी है।
बुधवार को राजधानी में कर्नाटक हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) द्वारा आयोजित एक गोलमेज सम्मेलन में, तीन महत्वपूर्ण स्वास्थ्य क्षेत्रों – मातृ स्वास्थ्य, किशोर स्वास्थ्य और टीबी – पर ध्यान केंद्रित किया गया और उनकी समस्याओं व आगे के रास्ते पर चर्चा की गई।
केएचपीटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एच एल मोहन ने विस्तार से बताया कि कैसे उनके अनुभव ने यह समझने में मदद की है कि टीबी रोगियों के समुदाय के लोगों की भागीदारी से समस्याओं की व्यापक और ज्यादा प्रासंगिक समझ विकसित होती है।
विश्व टीबी दिवस (24 मार्च) के करीब आने के साथ, राष्ट्रीय, क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के उप महानिदेशक डॉ. राजेंद्र जोशी का संबोधन विशेष महत्व का था।
उन्होंने कहा, “सरकार टीबी उन्मूलन की दिशा में एक बहु-क्षेत्रीय, समग्र और अंतःक्रियात्मक रुख अपना रही है। हमारा काम यह भी सुनिश्चित करता है कि लागत प्रभावी रुख के लिये डिजिटल समाधान का उपयोग सुनिश्चित किया जाए।”
‘ग्लोबल कोअलिशन अगेंस्ट टीबी’ के अध्यक्ष डॉ. दलबीर सिंह ने देश भर में एक व्यापक राय के माध्यम से ‘टीबी मुक्त भारत’ के लक्ष्य तक पहुंचने में सरकार के नेतृत्व के बारे में बताया।
भाषा
प्रशांत पवनेश
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