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Friday, 22 November, 2024
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हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक HC के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.

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नई दिल्ली: राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखने के कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के बाद, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें उसके आदेश को चुनौती दी गई है.

शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के माध्यम से कहा है उच्च न्यायालय ने धर्म की स्वतंत्रता और अंतरात्मा की स्वतंत्रता का अलग-अलग करने में गलती की है, जिसमें अदालत ने निष्कर्ष निकाला है कि जो लोग धर्म का पालन करते हैं उन्हें अंतरात्मा को मानने का अधिकार नहीं हो सकता है.

इससे पहले आज, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हिजाब पर कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले से असहमति व्यक्त की और उम्मीद जताई कि याचिकाकर्ता एससी के समक्ष अपील करेंगे.

उच्च न्यायालय के फैसले को धर्म, संस्कृति, अभिव्यक्ति और अनुच्छेद 15 की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए ओवैसी ने कहा था कि इसका मुस्लिम महिलाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

ओवैसी ने सवाल किया था, ‘आधुनिकता धार्मिक प्रथाओं को छोड़ने के बारे में नहीं है. अगर कोई हिजाब पहनता है तो समस्या क्या है?’
आज कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ चेन्नई में कालेज के छात्रों ने प्रदर्शन किया.

इस बीच, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने भी छात्रों से शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह करते हुए कहा था, ‘यह हमारे बच्चों के भाग्य और शिक्षा का सवाल है.’

विशेष रूप से, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आज माना कि यूनिफॉर्म का तय किया जाना एक उचित प्रतिबंध है जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकते और शिक्षा संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज कर दिया.

हाईकोर्ट ने कर्नाटक सरकार के उस आदेश को बरकरार रखते हुए जिसमें स्कूल और कॉलेज यूनिफॉर्म नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया गया है, हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इनमें दम नहीं हैं.

अपने आदेश में, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने देखा कि पवित्र कुरान हिजाब पहनने का आदेश नहीं देता है, और कहा कि यह एक सांस्कृतिक प्रथा है और सामाजिक सुरक्षा के उपाय के रूप में परिधान के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है.

अदालत ने कहा कि कुरान ‘निर्दोष महिलाओं से छेड़छाड़’ के मामलों के लिए चिंता दिखाता है और इसलिए, उसने सामाजिक सुरक्षा के उपाय के रूप में इस और अन्य परिधानों को पहनने की सिफारिश की. हो सकता है कि समय के साथ, धर्म के कुछ तत्व इस प्रथा में अपना लिए, जैसा कि आमतौर पर किसी भी धर्म में होता है.

अदालत ने कहा, ‘हालांकि, यह प्रथा मुख्य रूप से धार्मिक और इस्लामी आस्था के लिए प्रैक्टिस के तौर पर पेश नहीं करता, और इस्लामी आस्था के लिए बहुत कम आवश्यक है.’

इसके अलावा, यह देखा गया कि हिजाब विवाद इस तर्क की गुंजाइश देता है कि कुछ ‘अदृृश्य हाथ’ सामाजिक अशांति और असामंजस्य पैदा करने के लिए काम कर रहे हैं.

हिजाब विवाद इस साल जनवरी में तब भड़क उठा था जब उडुपी के सरकारी पीयू कालेज ने कथित तौर पर हिजाब पहनकर छह लड़कियों को प्रवेश करने से रोक दिया था. इसके बाद प्रवेश नहीं दिए जाने को लेकर छात्राएं कालेज के बाहर धरने पर बैठ गईं.

इसके बाद उडुपी के कई कालेजों के लड़के भगवा स्कार्फ पहनकर क्लास अटेंड करने लगे. यह विरोध राज्य के अन्य हिस्सों में भी फैल गया और कर्नाटक में कई स्थानों पर विरोध और आंदोलन हुए.

नतीजतन, कर्नाटक सरकार ने कहा कि सभी छात्रों को यूनिफार्म का पालन करना चाहिए और हिजाब और भगवा स्कार्फ दोनों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए, जब तक कि एक विशेषज्ञ समिति ने इस मुद्दे पर फैसला नहीं कर लेती.

5 फरवरी को, प्री-यूनिवर्सिटी शिक्षा बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी किया जिसमें कहा गया था कि छात्र केवल स्कूल प्रशासन द्वारा अनुमोदित यूनिफार्म पहन सकते हैं और कालेजों में किसी अन्य धार्मिक पोशाक की अनुमति नहीं होगी.

आदेश में कहा गया है कि यदि प्रबंधन समितियों द्वारा यूनिफारम निर्धारित नहीं किया जाता है, तो छात्रों को ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जो समानता और एकता के विचार से मेल खाते हों, और सामाजिक व्यवस्था को बिगाड़ें नहीं.

कुछ लड़कियों द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने की अनुमति मांगने के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय में सरकार के नियम के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की थीं.

कर्नाटक उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की पीठ ने ड्रेस कोड पर सरकारी नियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की.

10 फरवरी को, उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि जब तक अदालत अंतिम आदेश जारी नहीं करती, तब तक छात्रों को कक्षाओं में कोई धार्मिक पोशाक नहीं पहननी चाहिए. हिजाब मामले से जुड़ी सुनवाई 25 फरवरी को संपन्न हुई और अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.


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