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Monday, 30 September, 2024
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भारत अपने इतिहास और पड़ोस के आधार पर गठबंधन करेगा : जर्मनी के राजदूत

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(मणिक गुप्ता)

जयपुर,12मार्च (भाषा) भारत में जर्मनी के राजदूत वाल्टर जे लिंडनर ने कहा कि भारत अपने इतिहास और पड़ोस के आधार पर गठबंधन करेगा लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को, जो वह यूक्रेन में कर रहे हैं उसकी अनुमति देना सैद्धांतिक रूप से सभी के लिए ‘खतरनाक’ है।

राजदूत ने संयुक्त राष्ट्र के ‘‘ पुराने पड़ चुके’’सुरक्षा परिषद के ढांचे को रेखांकित करते हुए कहा कि 1.3 अरब की आबादी वाले देश भारत को स्थायी सदस्य के तौर पर वहां होना चाहिए।

लिंडनर ने 15वें जयपुर साहित्य उत्सव से इतर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ प्रत्येक देश के अपने अधिकार हैं और फैसला लेने के कारण हैं,अनुपस्थित रहने, पक्ष या विपक्ष में फैसले करने के अधिकार हैं , इसमें कोई समस्या नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर भारत अपना गठबंधन इतिहास और पड़ोस के आधार पर बनाएगा। हम बस सामान्य सिद्धांत के आधार पर इतना कह रहे हैं कि पुतिन जो कर रहे हैं उन्हें उसे करने देना खतरनाक होगा।’’

उल्लेखनीय है कि यूक्रेन के मुद्दे पर 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में आए प्रस्ताव पर मतदान से भारत ने दूरी बनायी थी।

लिंडनर के मुताबिक रूस को सीमा या संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र का सम्मान नहीं करने की अनुमति देने से भविष्य के लिए खराब नजीर पेश होगी और इससे सभी देशों को खतरा उत्पन्न होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘…हमें सीमाओं का सम्मान करने की जरूरत है, हमें संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र का सम्मान करने की जरूरत है। अगर हमने एक देश को ऐसा नहीं करने की अनुमति दी क्योंकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसके पास वीटो अधिकार है या वह शक्तिशाली है या क्योंकि वह ( पुतिन) खुले आम झूठ बोलता हैं, तो यह भविष्य के लिए खराब नजीर होगी और यह दुनिया के प्रत्येक देश के लिए खतरनाक होगी।’’

लिंडनर ने कहा,‘‘इसलिए कई देशों ने रूस के खिलाफ मतदान किया और यहां तक कई देशों ने जो मतदान से अनुपस्थित रहे वे भी पुतिन के व्यवहार को स्वीकार नहीं करेंगे।’’

जर्मन राजनयिक (65) ने ‘‘पुरानी हो चुकी’’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए सदस्यता पर भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत ऐसा करने में अगुआ है और जर्मनी स्थायी सदस्यता के मामले में उसका पूरी तरह से समर्थन करता है।

भारत इस समय सुरक्षा परिषद के 10 अस्थायी सदस्यों में से एक है।

उन्होंने कहा, ‘‘ यूक्रेन के पूरे घटनाक्रम ने दिखाया कि सुरक्षा परिषद की सदस्यता कितनी पुरानी हो चुकी है। भारत जिसके पास 1.3 अरब लोगों की शक्ति है, को वहां (स्थायी सदस्य के तौर पर) होना चाहिए। इसलिए संयुक्त राष्ट्र की प्रणाली में बदलाव किया जाना चाहिए और इसकी शुरुआत सुरक्षा परिषद से होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी राय बहुत कुछ भारत की तरह है अगर लोगों का विश्वास संयुक्त राष्ट्र पर से उठ जाए तो वह बहुत बड़ा नुकसान होगा क्योंकि हमारे पास वह एकमात्र अंतरराष्ट्रीय वैश्विक निकाय है। बजाय इन्हें बेकार के लोग कहने के हमें सुधार करना चाहिए और भारत इसमें अगुआ है और भारत को पूरा समर्थन प्राप्त है।’’

स्वयं को महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला का प्रशंसक करार देते हुए लिंडनर ने यूक्रेन के लोगों द्वारा दिखाए गए ‘‘सविनय अवज्ञा’’ की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि पुतिन ने यूक्रेनियों को लेकर कितना गलत आकलन किया।

उन्होंने कहा, ‘‘पुतिन ने सोचा कि यूक्रेन के लोग हार मान लेंगे और भाग जाएंगे या उनकी सेना भाग जाएगी और आबादी कहेगी, ‘धन्यवाद पुतिन’ आपने हमें मुक्त कराया। कोरी बकवास।’’

लिंडनर ने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कहता कि रूसी टैंकों के खिलाफ गांधी जी का तरीका हमेशा सफल होगा लेकिन हमने यूक्रेन परिदृश्य में देखा है जहां पर असैन्य नागरिक, बुजुर्ग महिलाएं टैंकों के सामने आ रही हैं और कह रहीं हैं, रूको, रूको, रूको।’’

लिंडनर के मुताबिक पुतिन अपने इस विचार के संदर्भ में गलत हैं कि दुनिया ‘‘पूरी तरह से विभाजित’’है।

उन्होंने कह कि सच्चाई इसके विपरीत है।

भाषा धीरज शोभना

शोभना

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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