नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रोफेसर पद के लिए लेटरल एंट्री शुरू करने की योजना बना रहा है, जैसी सिविल सर्विसेज़ में लेटरल एंट्री स्कीम होती है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.
प्रस्ताव के अनुसार, इंजीनियरिंग, नीति, संचार, आदि क्षेत्रों में इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पूर्ण-कालिक और अंश-कालिक फैकल्टी सदस्यों के तौर पर पढ़ा सकेंगे, भले ही उनके पास पीएचडी न हो या उन्होंने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) पास न की हो.
यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स ‘प्रोफेसर्स ऑफ प्रेक्टिस’ के तौर पर काम करेंगे. कुमार ने बताया कि इस विचार पर बृहस्पतिवार को यूजीसी अध्यक्ष की विश्वविद्यालयों के वाइस-चांसलरों के साथ हुई एक बैठक में विचार विमर्श किया गया.
उन्होंने आगे कहा, ‘नई शिक्षा नीति (2020 में शुरू) में शिक्षण संस्थानों और उद्योग के बीच बेहतर सहयोग की बात की गई है, इसलिए हमने सोचा है कि उद्योगों के लोगों को पढ़ाने के लिए अपने संस्थानों में लाया जाए. विकसित हो रहे क्षेत्रों से जुड़े विषयों को पढ़ाने में वो सबसे लाभदायक साबित होंगे’.
इन क्षेत्रों में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, मेकाट्रॉनिक्स आदि विषय शामिल हैं.
फिलहाल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए कोई प्रावधान नहीं है कि वो ऐसे इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स को रख सकें, जिनके पास पीएचडी या नेट योग्यता नहीं है.
उन्होंने आगे कहा, ‘हम एक कमेटी बनाएंगे जो उन बारीकियों को देखेगी कि हम इस प्रावधान को कैसे ला सकते हैं. कमेटी अपनी रिपोर्ट पेश करेगी और उसकी सिफारियों के आधार पर हम इस विचार को शिक्षा मंत्रालय के पास उसकी मंजूरी के लिए भेजेंगे. फैकल्टी भर्ती के मौजूदा प्रावधानों में बदलाव लाना होगा, जिससे उनमें नए नियमों को शामिल किया जा सके’.
नियमों को अंतिम रूप देने के बाद इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के लिए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में स्थायी तथा विज़िटिंग फैकल्टी दोनों के तौर पर पढ़ाने की गुंजाइश पैदा हो जाएगी.
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के ज्ञान का इस्तेमाल करना, एडटेक प्लेटफॉर्म्स द्वारा अपनाई जाने वाली एक आम तरकीब है. बहुत से लोग बेहतर वेतन और अनुभव की खातिर एडटेक प्लेटफॉर्म्स पर पढ़ाने के लिए बैंकर्स और इंजीनियर्स की अपनी नौकरियां छोड़ देते हैं.
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और क्या योजना है?
इसके अलावा, यूजीसी एक एकीकृत भर्ती पोर्टल के ज़रिए यूनिवर्सिटी भर्ती प्रक्रिया को ज़्यादा सुव्यवस्थित बनाने जा रही है.
आयोग यूजीसी के स्वायत्त अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र- इनफ्लिबनेट (सूचना एवं लाइब्रेरी नेटवर्क) को एक ऐसा पोर्टल विकसित करने का ज़िम्मा सौंपेगा, जिसे लोगों के किसी यूनिवर्सिटी में आवेदन देने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
कुमार ने कहा, ‘सभी विश्वविद्यालय इस पोर्टल पर आ जाएंगे और इससे भर्ती प्रक्रिया सुव्यवस्थित हो जाएगी. अगर कोई उम्मीदवार किसी खास यूनिवर्सिटी के लिए आवेदन देना चाहता है, तो वो इस पोर्टल के ज़रिए ऐसा कर सकता है, जिसमें तमाम रिक्तियों को सूचीबद्ध किया जाएगा. इस पोर्टल के जरिए सरकार भी भर्ती प्रक्रिया पर नज़र रख सकती है’.
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