नयी दिल्ली, 11 मार्च (भाषा) लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने व्यवधानों के कारण विधान मंडलों में गरिमा में कमी आने की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि सदन बहस और चर्चा का मंच है, व्यवधान का नहीं तथा ऐसे में जनप्रतिनिधियों को सदनों की गरिमा और मर्यादा को बढ़ाने के लिए पूरी लगन से काम करना चाहिए ।
बिरला ने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में तीसरे राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव (एनवाईपीएफ) के समापन सत्र को संबोधित करते हुए यह बात कही । उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब 14 मार्च से संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हो रहा है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन में विधेयकों पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए ताकि समाज के सभी वर्गों की आशाओं और आकांक्षाओं को कानूनों और विधानों में प्रभावी ढंग से शामिल किया जा सके ।
उन्होंने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति और राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान व्यवधान संसदीय परंपरा के अनुकूल नहीं है । जनप्रतिनिधियों को सदनों की गरिमा और मर्यादा को बढ़ाने के लिए पूरी लगन से काम करना चाहिए।’’
बिरला ने कहा कि विधान मंडल बहस और चर्चा का मंच है, व्यवधान का नहीं ।
नये भारत के निर्माण में युवाओं के योगदान के महत्व को रेखांकित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि पूरी दुनिया में तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं, ऐसे में युवाओं को इन परिवर्तनों के अनुसार स्वयं को ढालना चाहिए ताकि बदलती परिस्थितियों के अनुसार वे खुद को तैयार कर सकें और देश को भी आगे ले जा सकें।
उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे देश आगे बढ़ रहा है, युवाओं को भी अपनी प्रतिभा और ऊर्जा से विकास, लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने में योगदान देना चाहिए।
बिरला ने कहा, ‘‘ युवाओं को राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के वृहत लक्ष्य के लिए काम करना चाहिए । युवाओं के हर प्रयास में ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना होनी चाहिए ।’’
बिरला ने तीसरे राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए । इस कार्यक्रम में केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा युवा मामले एवं खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने भी हिस्सा लिया ।
भाषा दीपक दीपक माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.