नयी दिल्ली, 10 मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि अदालत द्वारा दी गई वास्तविक राहत के बारे में फैसले में स्पष्टता होनी चाहिए ताकि निष्पादन में अधिक कठिनाई न हो।
यह उल्लेख करते हुए कि प्रत्येक वादी को पता होना चाहिए कि उसे अदालत से क्या वास्तविक राहत मिली है, शीर्ष अदालत ने भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले में पारित झारखंड उच्च न्यायालय के मार्च 2019 के फैसले को निरस्त कर दिया।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि इस मामले में उच्च न्यायालय द्वारा पारित फैसले में ‘पूर्ण स्पष्टता का अभाव है’।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वास्तविक बाजार मूल्य पर कोई स्पष्टता नहीं है और अंतिम आदेश पारित करते समय उच्च न्यायालय ने सटीक बाजार मूल्य या मुआवजे में दी जाने वाली राशि का उल्लेख नहीं किया है।
खंडपीठ ने सार्वजनिक प्रयोजन के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 के प्रावधानों के तहत झारखंड के एक गांव में भूमि अधिग्रहण के मामले में पारित उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील पर अपना फैसला सुनाया।
भाषा नेत्रपाल पवनेश
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