कोलकाता, 10 मार्च (भाषा) पश्चिम बंगाल विधानसभा की कार्यवाही में सात मार्च को ‘व्यवधान’ डालने को लेकर तृण्मूल कांग्रेस विधायक दल ने बृहस्पतिवार को सदन में प्रस्ताव पेश किया, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। यह प्रस्ताव नियम 185 के तहत राज्य के संसदीय कार्यमंत्री पार्थ चटर्जी द्वारा दिन के उत्तरार्द्ध में पेश किया गया।
हालांकि, भाजपा विधायकों ने इस कार्यवाही का बहिष्कार किया और बाहर धरने पर बैठ गये। भाजपा विधायकों ने अपनी पार्टी के दो अन्य विधायकों का निलंबन खत्म करने की मांग की। इसके पहले सदन में सोमवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ के अभिभाषण के दौरान हंगामा करने के मामले में बुधवार को दो भाजपा विधायकों, सुदीप मुखोपाध्याय और मिहिर गोस्वामी, को बजट सत्र तक के लिए निलंबित कर दिया गया।
राज्य विधानसभा में बजट सत्र के पहले दिन भारी सियासी ड्रामा देखने को मिला। हाल ही में संपन्न नगर निकाय चुनाव में कथित हिंसा को लेकर भाजपा विधायकों की ओर से हंगामेदार विरोध के कारण राज्यपाल को अपना अभिभाषण छोटा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस की महिला विधायकों ने धनखड़ से अपना भाषण देने की गुहार लगाई थी। संसदीय कार्य मंत्री ने प्रस्ताव पर अपनी बात रखते हुए कहा, ‘‘हम भी वाम मोर्चा शासन के दौरान विपक्ष में रहे हैं। इस तरह का व्यवधान अनावश्यक है। वे (भाजपा विधायक) कभी भी चर्चा में भाग नहीं लेते और सदन में मुख्यमंत्री के होने पर वह हंगामा करते हैं।’’
भाजपा के मुख्य सचेतक मनोज तिग्गा ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान तृणमूल द्वारा भाजपा के दो विधायकों को निलंबित करने की प्रक्रिया को ‘अलोकतांत्रिक’ करार देकर इसकी आलोचना की।
भाषा संतोष दिलीप
दिलीप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.