‘मूल्य की समानता’ शताब्दी के एक अंतिम नारीवादी नारा के रूप में है। क्या हमें ‘मूल्य की समानता’ के लिए पूछना चाहिए। ऐसा लगता है कि पूरा खुदरा जगत हमसे ही कमाई कर रहा है।
अधिकांशतः पुरुषों की तरह मेरे बाल छोटे हैं।
लेकिन मैं हमेशा ही पुरुषों की तुलना में अपने बाल कटवाने के लिए उनसे अधिक भुगतान करती हूं। क्यों? क्योंकि मैं एक औरत हूँ।
मां सही थी। मुझे इसके बजाय सड़क के किनारे वाले बार्बर (नाई) के पास जाना चाहिए था। एक बार बाल कटवाने के लिए 800 रूपए का भुगतान अधिक महंगा नहीं है, यह उन लोगों के लिए उचित नहीं है जिनको प्रत्येक 20 दिनों में सिर पर हल्कापन महसूस करने की आवश्यकता होती है। यह उन महिलाओं के लिए मुख्य रूप से अनुचित है जिनके बाल छोटे होते हैं और जो कि पुरुषो की तरह ही बाल कटवाने के लिए भुगतान राशि के रूप में पुरुषो से दोगुनी राशि का भुगतान करती हैं ।
यह मेरे लिये एक रोष से भरी झुलझुलाहट है । एक प्रयोग के रूप में, मैं बाल कटवाने के लिए पुरुषों के साथ चली गई। लेकिन हम दोनों ने एक ही सैलून में समान बालो की कटिंग और समान स्टाइल के लिए अलग-अलग चार्ज दिये।
इसपे, मैं अक्सर पुरुष हेयरड्रेसर से सलाह प्राप्त करती हूं कि इस हेयरकटिंग को ना कराऊँ ।
“मैडम, इससे भी छोटे चहिये? आपके चेहरे के अनुकूल नहीं लगेगा। थोड़े लम्बे होने दीजिए। आप इससे भी छोटे चाहती हैं? यह आपके चेहरे के अनुकूल नहीं लगेगा। उन्हें थोड़ा सा और बढ़ने दें)।“
स्पष्ट है कि यह केवल बाल कटवाने के बारे में नहीं है। जूते, जींस, वॉलेट लगभग सभी के लिए महिलाओं से अधिक शुल्क लिया जाता है। ‘कीमत की समानता’ एक नारीवादी नारा शताब्दी के अंतिम नारे के रूप में है। क्या हमें ‘मूल्य की समानता’ के लिए पूछना चाहिए। ऐसा लगता है कि पूरा खुदरा जगत हमसे ही कमाई कर रहा है।
मैं झुकने वालो में से नहीं हू। मैं हर बार सैलून में उनके साथ बहस करती हूं। इस बेइंसाफी के लिए विभिन्न कारण दिए गए हैं, लेकिन मुझे यह स्वीकार करना चाहिए कि वे सभी समान रूप से दिलचस्प थे।
ग्रीन पार्क में एक आलीशान दक्षिण दिल्ली सैलून में, मुझे बताया गया था कि एक औरत के बाल को अधिक देखभाल और स्टाइल के साथ काटा गया था। मेरे अल्मा माटर, अशोक यूनिवर्सिटी में, मुझे बताया गया कि एक महिला के बाल एक आदमी की तुलना में एक अलग तरह के थे। दिल्ली के कनॉट प्लेस में, मुझे 800 रुपये का शुल्क चुकाना पड़ा था क्योंकि उन्होंने कहा कि मेरे बाल एक उस्तरा के साथ नहीं बल्कि कैंची के साथ काटे गए थे।
लेकिन, कभी-कभी, मैं भी तर्क जीत जाती हूं। सिर्फ दो ही मौके ऐसे आए जब हेयर स्टाइलिस्टों ने मुझे अपने पुरूष ग्राहकों के रुप में चार्ज करने के लिए सहमति व्यक्त की। नहीं, ऐसा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि वे मेरा तर्क समझ गए थे, बल्कि इसलिए कि वे मेरे साथ बहस करने से थक गए थे।
पहली बार, यह अशोक विश्वविद्यालय में हुआ था। लेकिन नियम बदलने के लिए एक ई-मेल और एक बैठक की आवश्यकता थी। ग्रीन पार्क सैलून में, यह वास्तव में अभी शांत नहीं हुआ था – वहां के मालिक तब तक हँसते रहे जब तक उन्होंने मुझे सामने से नहीं देखा और उन्होंने यह महसूस किया कि मैं अत्यंत गंभीर थी। यह एक असंतुष्ट, अनैच्छिक समझौते की तरह था। उन्होंने मुझसे थोड़ा सा सौदा किया।
कनॉट प्लेस में रिसेप्शनिस्ट ने मुझे बताया कि, मुझे 400 रुपये में ट्रिम मिल सकती है जो की आप चाहती है, लेकिन मैं समझौते पर कार्य नहीं कर सकती।
हर एक हेयर कट के साथ मुझे कुछ पुरानी लेकिनअच्छी बातें याद दिलाई जाती हैं। “ब्रो,(Bro) ज्यादा ही नारीवादी नहीं लग रही तू अब? एक दम पत्रकार की तरह (आप बहुत ज्यादा ही महिलावादी प्रकार की नहीं दिख रही हैं? पूरी तरह से पत्रकार)।”
लेकिन कामुकता के बारे में संदेह इन सबसे शीर्ष पर है। “डूड, क्या समलैंगिकों (Lesbians) के बाल छोटे नहीं होते हैं? यह बहुत घिसापिटा तरीका है ,“ब्रो, लड़के छोटे बाल वाली लड़कियों को नहीं पसंद करते हैं।
एक बार, किसी ने मुझसे पूछा कि छोटे बाल उसके अनुकूल होंगे या नहीं तो मैंने उसे जो कुछ भी बताया और मुझे लगाता है कि मैंने उसे सबसे अच्छी सलाह दी है। मैंने कहा, “ कि यह केवल बाल है।”
मैं सभी सवालों और टिप्पणियों को संभाल सकती हूं। लेकिन अधिक मूल्य चूकाना बुरा लगता है। मेरे बाल पुरुषों की तरह हेयर वैक्स के साथ स्टाइल किए गए नहीं हैं। मैंने बस उन्हें काटने के लिए कहा। मैंने पूछा, तो बाकी के बचे हुए 400 रुपये वास्तव में किसके लिये है ? उसने जवाब दिया “वास्तव में क्या है न, हम आपके बालों को ज्यादा स्टाइल करते हैं। लड़कों के बालों में इतनी जरूरत नहीं होती है। उनके बाल अलग होते हैं (हमें आपके बालों को पुरुषों के बालों से ज्यादा स्टाइल करना पड़ता है)।“
मुझे लगता है कि यह मेरे लिए पड़ोस के नाई से बाल कटवाने का एक अच्छा मौका है। मैं यह भी पता लगाऊंगी कि वह जो सिर की मालिश करता है उसमें इतना खास क्या है।