जयपुर, नौ मार्च (भाषा) राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को दावा किया कि सचिन पायलट ने केंद्र में संप्रग-2 सरकार में मंत्री पद पाने के लिए उनसे मदद मांगी थी, हालांकि वह पहले ही पायलट को मंत्री के रूप में शामिल करने की सिफारिश कर चुके थे।
गहलोत ने यह खुलासा अपने निवास स्थान पर उनसे मिलने आए गुर्जर समाज के लोगों को संबोधित करते हुए किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान में पूर्व भाजपा सरकार के शासन के दौरान आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे गुर्जरों पर पुलिस ने गोलियां चलाईं और कई गुर्जर मारे गए।
उन्होंने कहा कि इस आंदोलन ने गुर्जर और मीणा समुदाय के लोगों के बीच भी दरार पैदा कर दी और जब 2008 में राज्य में कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद उन्होंने दोनों समाजों में एकता और सद्भाव के लिए कई कदम उठाए। गहलोत ने कहा कि जब वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को 20 सीटें मिलीं, तो उन्होंने राजस्थान से केंद्रीय मंत्री के रूप में सचिन पायलट सहित चार सांसदों के नामों की सिफारिश की।
उन्होंने आगे कहा, “मैंने केंद्रीय नेतृत्व को उस समय मीणा समाज से नमोनारायण मीणा का नाम दिया था, लेकिन मेरा मानना था कि गुर्जर समाज से भी कोई मंत्री बनना चाहिए। इसलिए मैंने सचिन पायलट के नाम की भी सिफारिश की थी।’’ गहलोत के अनुसार बाद में सचिन पायलट का उनके पास फोन आया था और उन्होंने उनसे मंत्री बनाने के लिए मदद करने का आग्रह किया था। गहलोत ने कहा कि इस पर उन्होंने पायलट से कहा कि वह पहले ही उनका नाम (केंद्र को) प्रस्तावित कर चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में पायलट अजमेर सीट से सांसद चुने गए और केंद्र में राज्य मंत्री बने थे। उस समय गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री थे। साल 2018 में गहलोत के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद, पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन गहलोत के खिलाफ बगावती तेवर अपनाने के कारण वर्ष 2020 में उन्हें उपमुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था।
गहलोत ने कहा कि वह तीन बार केंद्रीय मंत्री, तीन बार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और तीसरी बार मुख्यमंत्री हैं, इसलिए वह अति संतुष्ट राजनीतिज्ञ हैं।
भाषा कुंज आशीष संतोष
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