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Sunday, 29 September, 2024
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सूमी से निकाले गए छात्र ले जाए जा रहे पोलैंड, बृहस्पतिवार को भारत रवाना होने की संभावना

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नयी दिल्ली, नौ मार्च (भाषा) यूक्रेन के सूमी शहर से सुरक्षित निकाले गए लगभग 600 भारतीय छात्रों को एक ट्रेन से पोलैंड ले जाया जा रहा है जहां से उन्हें विमान के जरिए भारत वापस लाया जाएगा। ये छात्र बृहस्पतिवार को स्वदेश रवाना हो सकते हैं।

यूक्रेन में भारतीय राजदूत पार्थ सत्पथी ने ल्वीव रेलवे स्टेशन पर छात्रों की विशेष ट्रेन को झंडी दिखाकर रवाना किया। छात्रों के चेहरे पर इस दौरान मुस्कान थी और वे ‘भारत माता’ की जय के नारे लगाने के साथ ही विजय चिह्न प्रदर्शित कर रहे थे।

लगभग 600 छात्रों को इससे पहले मध्य यूक्रेन के पोल्तावा शहर से एक ट्रेन के जरिए पश्चिमी यूक्रेनी शहर ल्वीव लाया गया।

युद्धग्रस्त देश यूक्रेन में स्थित भारतीय दूतावास ने बुधवार को एक ट्वीट में कहा, ‘राजदूत ने ल्वीव रेलवे स्टेशन पर सूमी विश्वविद्यालय के 600 भारतीय छात्रों के साथ विशेष ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। वे पोलैंड की यात्रा करेंगे और कल उनके भारत के लिए निकासी उड़ानों में सवार होने की उम्मीद है। सुरक्षित रहें, हिम्मत रखें।’

इससे पहले, दूतावास ने पोल्तोवा से ल्वीव की यात्रा करने वाले छात्रों की तस्वीरें ट्वीट कीं।

इसने कहा, ‘यूक्रेनी अधिकारियों की सहायता से विशेष ट्रेन में सूमी के भारतीय छात्र सवार हैं। मिशन पश्चिम की ओर उनकी यात्रा को सुविधाजनक बनाना जारी रखेगा। अपने छात्रों को सुरक्षित वापस लाना हमारी प्राथमिकता है।’

ल्वीव पश्चिमी यूक्रेन स्थित एक शहर है, जो पोलैंड की सीमा से लगभग 70 किलोमीटर दूर है।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि तीन अलग-अलग भारतीय टीम उत्तर-पूर्वी यूक्रेन के सूमी शहर से भारतीय छात्रों को निकालने में शामिल थीं।

सोशल मीडिया पर कई वीडियो दिखाई दिए जिनमें छात्र हाथों में तिरंगा थामे और ‘भारत माता की जय’ जैसे नारे लगाते दिखाई देते हैं।

भारत सरकार यूक्रेन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत सबसे चुनौतीपूर्ण निकासी कवायद को अंजाम दे रही है। निकासी अभियान 26 फरवरी को शुरू किया गया था।

सूमी में निकासी अभियान मंगलवार सुबह शुरू हुआ जिसमें 600 भारतीयों के आखिरी बड़े समूह को शहर से निकाला गया।

छात्र समन्वयक अनशद अली ने बताया कि भारतीय नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस समिति द्वारा 13 बसों के काफिले में सूमी से पोल्तावा ले जाया गया।

छात्र युद्ध प्रभावित क्षेत्र से बचने के लिए एक कठिन यात्रा कर रहे हैं। सूमी से उन्हें निकालने का यह दूसरा प्रयास है, जो पिछले महीने यूक्रेन पर रूस का आक्रमण शुरू होने के बाद से भारी गोलाबारी का सामना कर रहा है।

ट्रेन में सवार 25 वर्षीय मेडिकल छात्रा जिसना जिजी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उन्हें और अन्य छात्रों को सूमी से बाहर आने के बाद राहत मिली है।

उन्होंने कहा, ‘हम थके हुए हैं लेकिन खुश हैं। हम मंगलवार सुबह से यात्रा कर रहे हैं और कई घंटों की यात्रा करनी है, लेकिन अब हमें उम्मीद है कि हम सुरक्षित घर पहुंच जाएंगे।’

अली ने कहा कि शहर से लगभग 600 भारतीयों को निकाला गया और समूह में कुछ बांग्लादेशी तथा नेपाली नागरिक भी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय छात्रों के बाद, अन्य देशों के छात्रों को भी निकाला गया। सूमी से लगभग 95 प्रतिशत छात्रों की निकासी हो चुकी है।’’

भारतीय छात्रों को दो सप्ताह तक सूमी में भारी गोलाबारी के दौरान कड़ाके की ठंड के बीच अपने छात्रावास के तहखानों में भोजन-पानी और अन्य आवश्यक चीजों के अभाव में भारी मुसीबत का सामना करना पड़ा।

परेशान छात्रों द्वारा एक वीडियो साझा किए जाने के बाद उन्हें निकालने का पहला प्रयास सात मार्च को किया गया था। वीडियो में इन छात्रों ने कहा था कि उन्होंने रूस की सीमा तक पैदल यात्रा का फैसला किया है। उनका प्रयास विफल रहा क्योंकि संघर्षविराम लागू नहीं हुआ और उन्हें अपने हॉस्टल लौटना पड़ा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को फोन कर छात्रों निकासी के तरीकों पर चर्चा की थी।

छात्रों के सोशल मीडिया अभियान ने सुनिश्चित किया कि देश उन्हें भूला नहीं है।

अपने दोस्तों के साथ बंकर में फंसे केरल के मूल निवासी मेडिकल छात्र औसाफ हुसैन (25) ने कहा, ‘जब युद्ध शुरू हुआ, तो हमारी मदद करने वाला कोई नहीं था। इसलिए हमने वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया ताकि इसे देखने वाले लोग हमारी मदद कर सकें। यह ऐसा था जैसे हम भुला दिए गए हों। कोई हमारे बारे में नहीं पूछ रहा था।’

छात्रों ने कहा कि आखिर देश ने उन्हें नहीं भुलाया और वे भी इस युद्ध को नहीं भूलेंगे।

भारत ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत अब तक यूक्रेन से अपने 17,100 से अधिक नागरिकों को वापस ला चुका है।

भारत रोमानिया, पोलैंड, हंगरी, स्लोवाकिया और मोल्दोवा के जरिए अपने नागरिकों को वापस ला रहा है।

रूस द्वारा सैन्य अभियान शुरू किए जाने के बाद यूक्रेन ने असैन्य विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया था।

भाषा नेत्रपाल नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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