नई दिल्ली: कल पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे आने वाले हैं. इनमें यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा शामिल हैं. हालांकि, सबसे ज्यादा जनसंख्या और सर्वाधिक विधानसभा सीटों वाले राज्य यूपी पर सभी की निगाहें लगी हैं.
यूपी में 10 फरवरी से शुरू होकर 7 मार्च तक सात चरणों में चुनाव हुए थे. वहीं उत्तराखंड और गोवा में 14 फरवरी को वोट पड़े जबकि पंजाब में 20 फरवरी को मतदान हुआ. पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में दो चरण- 27 फरवरी और 3 मार्च को वोटिंग हुई थी.
इन राज्यों में सबसे कम 40 सीटें गोवा में और सबसे ज्यादा 403 सीटें यूपी में हैं. जबकि पंजाब में 117, उत्तराखंड में 70 और मणिपुर में 60 सीटें हैं.
इन चुनावों में जहां यूपी में एसपी और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर है वहीं पंजाब और गोवा में आम आदमी पार्टी के आ जाने की वजह से राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं.
क्या लगा है दांव पर
कल के नतीजे कई चीजों को लेकर निर्णायक होंगे. अगर बीजेपी जीतती है तो समाजवादी पार्टी को विधानसभा चुनावों में लगातार दूसरी बार हार का सामना करना पड़ेगा. पार्टी की हार होने पर कहीं न कहीं पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है और कई नेता इसकी वजह से दल-बदल भी करते हैं. हालांकि, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि एसपी की कितनी सीटें आती हैं अगर एसपी पिछली बार की तुलना में सीटें बढ़ाने में कामयाब रहती है तो यह मानना होगा कि पहले की तुलना में लोगों तक उसकी पहुंच बढ़ी है.
वहीं बीजेपी के लिए यह योगी आदित्यनाथ के कामों पर मुहर होगी और जाहिर सी बात है कि उनका राजनीतिक कद और बढ़ जाएगा. लेकिन, अगर बीजेपी हारती है तो योगी आदित्यनाथ के कानून व्यवस्था और विकास के दावों को ठेस लगेगी और माना जाएगा कि जनता ने इन दावों को खारिज किया है.
इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी के लिए भी यह काफी कुछ अस्तित्व का खेल होगा. क्योंकि बसपा की लगातार घटती सीटें इसकी साख को और भी ज्यादा कमजोर कर देंगी.
यही नहीं यूपी चुनाव पीएम मोदी की भी लोकप्रियता और उनके काम के दावों के लिए भी लिटमस टेस्ट होगा क्योंकि पीएम मोदी यूपी चुनाव को लेकर काफी सक्रिय रहे हैं और यहां पर काफी रैलियां भी की हैं.
वही पंजाब की बात करें तो वहां पर ये चुनाव कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों के लिए काफी महत्त्वपूर्ण हो गया है. क्योंकि एग्जिट पोल की मानें तो वहां आप बहुमत से सरकार बना सकती है. अगर ऐसा होता है तो प्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी-शिरोमणि अकाली दल, दोनों की जगह जनता को एक नया विकल्प मिल जाएगा जो कि आने वाले समय में दोनों ही पार्टियों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.
इसके अलावा अमरिंदर सिंह का करियर भी दांव पर लगा हुआ है. अमरिंदर सिंह पंजाब में कांग्रेस की पिछली सरकार में मुख्यमंत्री रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद उन्होंने नई पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस गठित कर ली जो कि बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. अब उनकी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस के लिए भी यह बड़ी परीक्षा है.
गोवा विधानसभा चुनाव में भी इस बार आम आदमी पार्टी ने एंट्री मार दी है. आप के सीएम कैंडीडेट अमित पालेकर ओबीसी भंडारी समुदाय के हैं जिसकी गोवा में बड़ी संख्या है. अगर अरविंद केजरीवाल का जातिगत कार्ड गोवा में काम कर जाता है तो आने वाले समय में कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए सत्ता पाने में काफी मुश्किल खड़ी हो जाएगी. हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस यहां सबसे बड़ी पार्टी के रूप में जीतकर आई थी लेकिन बीजेपी सरकार बनाने में सफल हो गई थी लेकिन इस बार लड़ाई त्रिशंकु भी हो सकती है.