नयी दिल्ली, नौ मार्च (भाषा) प्रसव के बाद वृक्क (किडनी) के काम करना बंद कर देने पर पिछले एक साल से डायलिसिस पर चल रही उज्बेकिस्तान की एक महिला के लिए उसकी 46 वर्षीय मां ने गुर्दा दान किया है।
हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि प्रसव के बाद गुर्दे और आंतों के क्षतिग्रस्त होने की घटनाएं बिरले ही हैं और ऐसा महज 0.5 से एक फीसद महिलाओं में देखने को मिलता है।
यहां द्वारका में आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में 23 वर्षीय इस महिला का उपचार कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि निम्न रक्तचाप के कारण इस महिला के गुर्दों ने काम करना बंद कर दिया था और उसे वाहिका परिगलन (ट्यूबलर नेक्रोसिस) हो गया। इस रोग में वृक्क की वाहिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। डाक्टरों का कहना है कि महिला की आंतों को भी नुकसान पहुंचा जिससे उसकी जान आफत में आ गयी।
अस्पताल के अनुसार जब इस महिला की अपने देश में स्थिति बिगड़ने लगी तब उसकी 46 वर्षीय मां ने ई-मेल से अस्पताल से संपर्क किया। मां ने उसे अपना एक गुर्दा देने का फैसला किया क्योंकि वह अपने नवजात शिशु को देखभाल करने में असमर्थ थी। डॉक्टरों ने कहा कि सबसे बड़ी बात कि वह जिंदगी की जंग में कमजोर पड़ती जा रही थी।
अस्पताल में मां के गुर्दे का उसकी बेटी में प्रतिरोपण किया गया। बेटी की आंत के क्षतिग्रस्त हिस्से को भी डॉक्टर ने निकाला। अब मां एवं बेटी स्वास्थ्य लाभ कर रही हैं।
आकाश हेल्थकेयर के प्रबंध निदेश्क डॉ. आशीष चौधरी ने कहा कि भारत चिकित्सा लाभ लेने के इच्छुक उज्बेक नागरिकों के सबसे लोकप्रिय गंतव्यों में से एक है।
महिला ने कहा कि वह अपनी बेटी एवं नाती को साथ समय बिताते हुए देख खुश है।
भाषा राजकुमार वैभव
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