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Wednesday, 9 October, 2024
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दकियानूसी सोच के खिलाफ लड़ रही महिला जेल अधिकारी अपराधियों में सुधार के लिए प्रयासरत

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(अंजलि पिल्लई)

नयी दिल्ली, सात मार्च (भाषा) तिहाड़ जेल की महिला अधिकारी अपराधियों से निपटते हुए न केवल पेशेवर मोर्चे पर मुश्किल लड़ाई लड़ रही हैं, बल्कि समाज की इस दकियानूसी सोच का भी डटकर मुकाबला कर रही हैं कि कुछ पेशे महिलाओं के लिए ‘‘सम्मानीय’’ नहीं होते।

आठ मार्च को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से पहले, ‘पीटीआई-भाषा’ ने तिहाड़ केंद्रीय कारागार संख्या छह में महिला कर्मियों से इस बारे में बात की कि कैदियों के बीच काम करना कैसा होता है।

महिला कर्मियों ने बताया कि उन्हें अपने काम के दौरान कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि विवाह के लिए योग्य वर ढूंढना, विवाह में देरी, कामकाज का विषम समय और कैदियों की शत्रुता समेत कई चीजें उनके काम का हिस्सा हैं।

बहरहाल, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे कैदियों को उचित परामर्श देने और उनके साथ गतिविधियों में भाग लेने की प्रतिबद्धता के साथ काम करती हैं, ताकि कैदियों का भविष्य बेहतर किया जा सके।

दिल्ली सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग में सेवाएं दे चुकीं कृष्णा शर्मा (49) ने बताया कि वह हमेशा प्रशासनिक सेवा में काम करना चाहती थीं। उन्होंने कहा कि नवंबर 2021 में जब उन्हें स्थानांतरण का आदेश देकर तिहाड़ के महिला केंद्रीय कारागार संख्या छह की अधीक्षक के तौर पर सेवाएं देने को कहा गया, तो उनके सहकर्मियों ने यह कहकर उन्हें हतोत्साहित करने की कोशिश की कि जेल काम करने का उचित स्थान नहीं है और इससे नकारात्मकता आएगी, लेकिन उनके पति के प्रोत्साहन देने वाले शब्दों ने उन्हें यह काम करने में मदद की।

कृष्णा ने कहा, ‘‘यहां मेरे कार्य दिवस के पहले दिन से मैं सबसे पहले जेल का दौरा करती हूं, कैदियों की समस्याएं सुनती हूं, उनसे व्यक्तिगत रूप से बात करती हूं और उनकी असल समस्याओं का समाधान खोजती हूं। मैं अपने सहकर्मियों से उनकी समस्याओं पर चर्चा करती हूं और तदनुसार शीघ्र फैसला करती हूं।’’

कृष्णा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करने वाली कई अन्य कर्मियों की तरह कहा कि महिला अधिकारियों में समस्याओं का सकारात्मक तरीके से समाधान करने के लिए अधिक संयम और इच्छाशक्ति होती है।

तिहाड़ केंद्रीय कारागार संख्या छह की उपाधीक्षक रमन शर्मा ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि जब भी वह और उनकी मां जेल के पास से गुजरती थीं, तो उनकी मां उन्हें दूसरी ओर देखने के लिए कहती थीं और जब वह अपनी मां से इसका कारण पूछती थीं, तो उन्हें कभी संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता था। रमन को 1996 में इस कारागार की सहायक अधीक्षक के पद पर तैनात किया गया था। उन्हें जेल में कई सुधार करने का श्रेय जाता है।

उन्होंने कहा कि जब उन्हें जेल में तैनात किया गया, तो उस समय महिला कैदियों के लिए एक छोटा वार्ड था। रमन ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों से महिलाओं के लिए एक अलग केंद्रीय कारागार स्थापित करने का आग्रह किया और इस तरह कारागार संख्या छह को विशेष रूप से महिला कैदियों के लिए बनाया गया।

उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के कार्यालयों के बाहर ‘‘धूम्रपान नहीं’’ के पोस्टर चिपकाए थे, जिसे उस समय एक ‘‘साहसिक’’ कदम माना गया था।

रमन ने कहा, ‘‘पुरुषों की जेल में, कैदी छोटी-छोटी बातों पर लड़ते हैं और हंगामा करते हैं। इन आपसी झगड़ों के दौरान, वे अपशब्द भी कहते हैं और अपने अलग-अलग समूह बना लेते हैं। इसलिए, हमारा ध्यान लड़ाई को खत्म करने, कैदियों को उचित सलाह देने और उन्हें विरोधी पक्ष से अलग करने पर होता है।’’

उन्होंने ऐसी ही एक अन्य घटना का जिक्र करते हुए कहा कि निर्भया मामले का एक दोषी जानबूझकर अन्य कैदियों से झगड़ा करता था, ताकि उसका मुकदमा लंबा खिंच जाए।

तिहाड़ केंद्रीय कारागार संख्या छह की उपाधीक्षक किरण ने कहा, ‘‘महिला अधिकारी पुरुष कैदियों का विश्वास जीतती हैं। वे उनकी समस्याओं का समाधान करती हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें ईमानदार होने, सकारात्मक छवि बनाने, पारदर्शिता के साथ चीजों को सुचारू रूप से संभालने और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कोई भेदभाव न हो… इसके बाद जेल परिसर में एक सुरक्षित माहौल बनाना और शांति स्थापित करना आसान हो जाता है।’’

महानिदेशक (दिल्ली कारागार) संदीप गोयल ने भी कैदियों के साथ व्यवहार में महिला अधिकारियों की ईमानदारी को रेखांकित किया।

मंडोली जेल संख्या 16 की अधीक्षक अनीता दयाल ने कहा कि महिलाओं के लिए कार्यस्थल और अपने निजी जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना हमेशा ही कठिन होता है, लेकिन आप जब पुलिस में होते हैं या जेल की ड्यूटी करते हैं, तो यह और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

भाषा सिम्मी मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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