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Thursday, 19 December, 2024
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वाराणसी दक्षिण सीट में है काशी विश्वनाथ कॉरीडोर, लेकिन ‘लापता’ रहने वाले MLA के लिए मोदी हैं इकलौती उम्मीद

BJP वाराणसी दक्षिण सीट जीतने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है. यह मोदी की लोकसभा सीट का हिस्सा है जहां पर एनडीए ने 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी आठ सीटों पर जीत हासिल की थी.

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वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दूसरे नेता भले ही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट का चुनाव में जोर-शोर से प्रचार कर रहे हों, लेकिन इस कॉरिडोर में पड़ने वाले विधानसभा वाराणसी दक्षिण में बीजेपी को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.

वाराणसी दक्षिण विधानसभा सीट पर ‘मोदी योगी से बैर नहीं, नीलकंठ तेरी खैर नहीं’ एक सामान्य नारा बन गया है. यहां से वर्तमान विधायक नीलकंठ तिवारी चुनाव लड़ रहे हैं.

वाराणसी दक्षिण सीट जीतने के लिए बीजेपी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. यह मोदी के लोकसभा सीट का हिस्सा है जहां पर नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) ने 2017 के विधानसभा चुनाव में सभी आठ सीटें जीती थीं.

पिछले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे वाराणसी में कैंपेन किया. उन्होंने इस इलाके में बड़े रोड शो का आयोजन किया. साथ ही, वोटर और पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत की. वाराणसी में शनिवार को बुद्धिजीवियों के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में स्थिरता और बीजेपी सरकार के दूसरे कार्यकाल की ज़रूरत है.

प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को वाराणसी दक्षिण में रोड शो किया और स्थानीय विधायक के समर्थन में प्रचार किया. इसी विधानसभा क्षेत्र में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर आता है जिसका उद्घाटन मोदी ने पिछले साल नवंबर में किया था.

हालांकि, मौजूदा विधायक की अलोकप्रियता वाराणसी दक्षिण सीट तक ही सीमित नहीं है. बल्कि, पूर्वी यूपी में पार्टी के विधायकों की क्षेत्र में गैरमौजूदगी और लोगों की उन तक लोगों की पहुंच न होना भी एक बड़ी समस्या है.

बीजेपी सूत्रों का दावा है कि पार्टी के शीर्ष नेताओं को इन विधायकों के खिलाफ एंटी-इनकम्बेंसी के बारे में पता है और इनमें से ज़्यादातर को इस चुनाव में हटाने की योजना थी. हालांकि, पार्टी से कई मंत्री के निकल जाने और चुनाव से ठीक पहले कई बीजेपी विधायकों के समाजवादी पार्टी में चले जाने की वजह से ऐसा नहीं हो सका.

बीजेपी पदाधिकारियों ने यह भी स्वीकार किया कि मौजूदा विधायकों के खिलाफ जनता की नाराजगी का असर पीएम मोदी की लोकप्रियता पर पड़ सकता है.


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वोटर और बीजेपी नेता क्या कहते हैं

वाराणसी में बीजेपी मंत्री नीलकंठ तिवारी के खिलाफ समाजवादी पार्टी के कमलेश्वर नाथ दीक्षित चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, कांग्रेस ने मुदिता कपूर को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी को वाराणसी दक्षिण विधानसभा में बने नैरेटिव को तोड़ने के लिए आक्रामक तरीके से अपनी बात कहनी पड़ी है.

दिप्रिंट ने विधानसभा का दौरा करके वहां के निवासियों और व्यापारियों से बातचीत की. मतदाताओं ने जो सबसे मुख्य मुद्दा उठाया वह यह है कि तिवारी क्षेत्र में मुश्किल से दिखते हैं और उनसे मिल पाना आसान नहीं है.

अमोद दत्त (40) प्रधानमंत्री मोदी के बड़े प्रशंसकों में से एक हैं. उन्होंने वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से ज्योतिष शास्त्र की डिग्री ली है. वह मानते हैं कि एक सांसद के तौर पर पीएम मोदी ने इस पवित्र शहर की गरिमा को बढ़ाने का काम किया है. हालांकि, स्थानीय विधायक का नाम सुनते ही उनके तेवर बदल जाते हैं. उन्होंने कहा, ‘वर्तमान विधायक ने मोदी लहर की वजह से यहां पर चुनाव जीता था. नहीं तो, उनके जैसे तो कॉरपोरेशन के चुनाव में भी हार जाते. मोदी जी तो ठीक है लेकिन एमएलए काम नहीं करते. मैंने उन्हें इस इलाके में कभी नहीं देखा है.’ हालांकि, वह तय नहीं कर पाए हैं कि वह इस बार किसी दूसरी पार्टी को मौका देंगे या नहीं.

इस विधानसभा के अलग-अलग हिस्सों में काशी विश्वनाथ और काल भैरव सहित कई दूसरे मंदिर हैं. बीजेपी पिछले कई सालों से यह सीट जीतती आ रही है. श्यामदेव रॉय चौधरी यहां से बीजेपी के टिकट पर सात बार लगातार चुनाव जीत चुके हैं. साल 2017 में तिवारी उनकी जगह चुनाव में खड़े हुए और जीतने में भी कामयाब रहे.

नाम नहीं छापने की शर्त पर बीजेपी के एक सीनियर नेता ने कहा, ‘दादा यानी चौधरी का टिकट काटकर इनको यानी तिवारी यानी को टिकट दिया था. उस समय भी मामले को उठाया गया था लेकिन तब तक फैसला हो चुका था. वह मोदी लहर की वजह से जीतने में कामयाब हो गए थे. अगर वह इस बार भी जीतने में कामयाब हो जाते हैं, तो यह मोदी जी के काम और पिछले कुछ दिनों में मोदी जी ने जो कैंपेन किया है उसका असर होगा.’

उन्होंने कहा, ‘दादा मिलनसार प्रवृति के थे जिसका वर्तमान विधायक में अभाव है.’

दिप्रिंट ने फोन और मैसेज भेजकर तिवारी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक उनका कोई जवाब नहीं आया था.


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इस बार मुश्किल हैं हालात

इस बार तिवारी की लड़ाई सपा के दीक्षित से है और मुकाबला काफी कांटे का है. वाराणसी में एक दुकान और गेस्ट हाउस के मालिक जय केसरी ने कहा, ‘दीक्षित एक महंत (पुजारी) हैं और उनकी अच्छी प्रतिष्ठा है. वह एक युवा नेता हैं और इसलिए युवाओं पर उनकी अच्छी पकड़ है. दीक्षित को आसानी से जीत दिलाने के लिए कांग्रेस ने एक कमजोर उम्मीदवार को उतारा है. मुझे लगता है कि इस बार निर्णय लेना कठिन होगा, क्योंकि मोदी जी ने वादे को पूरा किया है. लेकिन, विधायक से कई लोग खुश नहीं हैं.’

सिर्फ़ मंदिर ही नहीं, इस क्षेत्र में बाजार भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. बीजेपी के एक सीनियर नेता ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘इन सबके बावजूद, निर्वाचन क्षेत्र के कई लोग विधायक से बहुत नाराज हैं और उनका कहना है कि उनसे मिलना मुश्किल होता है… वह पिछले कुछ सालों से क्षेत्र में दिखाई नहीं दे रहे. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर भी इसी निर्वाचन क्षेत्र में पड़ता है और इतनी मेहनत के बावजूद भी लोग अपनी नाराजगी दिखा रहे हैं.’

तिवारी और दीक्षित में ब्राह्मण वोटों के बंटने की वजह से पार्टी चिंतित नजर आ रही है. उस नेता ने कहा ‘ब्राह्मण वोट बंटेगा और समाजवादी पार्टी की वजह से मुस्लिम वोट दीक्षित को मिल सकता है.’

रिपोर्ट के मुताबिक, इस सीट पर करीब  80,000 मुस्लिम, 60,000 ब्राह्मण, 40,000 वैश्य और 11,000 यादव वोटर हैं.

इस विधानसभा सीट के कई लोग दीक्षित को सपा उम्मीदवार के बजाय उन्हें व्यक्तिगत तौर पर पसंद करते हैं. क्षेत्र के निवासी श्याम सिंह ने कहा, ‘वह सपा से चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन जहां तक हमारा सवाल है हम उन्हें व्यक्तिगत रूप से पसंद करते हैं. जब भी कोई संकट होता है और हम उनसे संपर्क करते हैं, तो वह हमेशा मदद के लिए तैयार रहते हैं.’

सिंह ने कहा, ‘मैं नहीं कह सकता हूं कि कौन जीतेगा लेकिन इस सीट पर कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी.’

बीजेपी को क्या उम्मीद है

लोगों की ओर से मिली ढेरों शिकायतें और स्थानीय स्तर पर पार्टी की ओर से मिले फीडबैक के बाद बीजेपी सरकार द्वारा करवाए गए काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के काम को हाइलाइट करने की कोशिश कर रही है, और लोगों को यह भी बताने की कोशिश कर रही है कि कैसे मोदी जी ने इसकी व्यक्तिगत रूप से निगरानी की है और कैसे इसने लोगों जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है.

साल 2017 में एनडीए वाराणसी जिले की आठों विधानसभा सीटें जीतने में कामयाब रही थी. बीजेपी के प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव ने कहा, ‘हमें विश्वास है कि हम इस बार भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे. लोगों ने मोदी और योगी (आदित्यनाथ) सरकार के कामों की सराहना की है. वाराणसी को जिस तरह से बदल दिया गया है, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम हुआ है, बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाया गया है और मुफ्त राशन जैसी कल्याणकारी योजनाएं चलाई गई हैं. उससे, सभी लोग इसकी तारीफ कर रहे हैं. विपक्ष एक झूठा नैरेटिव फैलाने की कोशिश कर रहा है कि हमें कुछ सीटों पर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसमें कोई सच्चाई नहीं है.’

पार्टी में कई लोगों को लगता है कि पिछले कुछ दिनों में पीएम मोदी की रैली की वजह से उन्हें मुश्किल सीटों पर भी जीत हासिल करने में मदद मिलेगी.

श्रीवास्तव ने कहा, ‘कल यानी शुक्रवार को रोड शो में हमें व्यापक जनसमर्थन मिला हैं और हमें विश्वास है कि यह वोट में तब्दील होगा. सरकार के खिलाफ कुछ हद तक एंटी-इनकम्बेंसी होना तय है, लेकिन लोगों को पता है कि सिर्फ़ बीजेपी ही वादे पर खरा उतर सकती है.’ विधायक से नाराज होने के बावजूद भी पीएम मोदी के कामों से जनता खुश है.

वाराणसी दक्षिण के शिव कुमारी ने कहा, ‘मोदी जी और योगी जी हमपे ध्यान दे रहे हैं, तो हम भी देंगे. उन्होंने शहर को बदल कर रख दिया है. सड़क बनाने, स्ट्रीट लाइट से लेकर बेहतर फुटपाथ तक, वाराणसी बेहतर बन रहा है. मुझे 500 रुपया का विधवा पेंशन भी मिला है, हमने सुना है कि इस राशि में बढ़ोत्तरी भी होगी.’


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मोदी फैक्टर

बीजेपी के कई ऐसे वर्तमान विधायक हैं जो फिर से सदन में जाना चाहते हैं और इसके लिए वे जनता के बीच जाकर माफी मांग रहे हैं. वे जनता से कह रहे हैं कि अगर पिछले पांच साल में उनसे कोई गलती हुई है, तो माफ कर दें और उन्हें फिर से मौका दें. इस बार कोई गलती नहीं होगी.

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के राबर्ट्सगंज के वर्तमान विधायक भूपेश चौबे ने उस समय सभी को हैरान कर दिया था जब वे एक जनसभा के दौरान कान पकड़ कर माफी मांगने लगे. उन्होंने कान पकड़ कर उठक-बैठक करते हुए जनता से माफी मांगी.

पार्टी के कई नेताओं को यह उम्मीद है कि मोदी इस बार भी नैया पार लगाएंगे.

नाम न छापने की शर्त पर एक अन्य बीजेपी नेता ने कहा, ‘विधायकों ने कड़ी मेहनत की है, लेकिन आप सभी को खुश नहीं कर सकते. उन्होंने माफी मांगी है और हमें यकीन है कि लोग उन्हें एक और मौका देंगे. लोग बीजेपी को वोट कर रहे हैं, न कि सिर्फ एक विधायक को.’

वाराणसी दक्षिण सीट पर आखिरी चरण में सात मार्च को वोटिंग होनी है. 10 मार्च को वोटों की गिनती होगी.

 (इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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