नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने से पैदा हुई अनिश्चितता को देखते हुए सरकार देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के बारे में कोई भी निर्णय निवेशकों के हितों को ध्यान में रखकर ही करेगी।
निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि सरकार भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आईपीओ चालू वित्त वर्ष में ही लाना चाहती है लेकिन मौजूदा स्थिति काफी गतिशील हो चुकी है।
सरकार इसे मार्च 2022 में ही लाने की तैयारी में लगी हुई थी लेकिन यूक्रेन संकट से शेयर बाजारों में मची आपाधापी को देखते हुए वह इस पर पुनर्विचार करती हुई नजर आ रही है।
सरकार एलआईसी में अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी के विनिवेश से 60,000 करोड़ रुपये से अधिक रकम जुटाने की उम्मीद लगाए हुए है। उसका वित्त वर्ष 2021-22 में विनिवेश से 78,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है जिससे वह अभी बहुत पीछे चल रही है।
पांडेय ने ‘प्रतिस्पर्द्धा कानून के अर्थशास्त्र, 2022’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी में कहा, ‘इस समय कुछ अप्रत्याशित घटनाएं हो रही हैं। हम बाजार पर करीबी निगाह रखे हुए हैं और सरकार जो भी कदम उठाएगी वह निवेशकों एवं आईपीओ के हित में ही होगी।’
उन्होंने कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष में ही यह आईपीओ लाना चाहती है लेकिन इस संकट के आ जाने से हालात बेहद परिवर्तनशील हो गए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में सजग रहने और उसके हिसाब से रणनीति बनाने की जरूरत है।
पांडेय ने कहा कि इस बारे में सरकार पेशेवर परामर्शदाताओं की सलाह ले रही है और निवेशकों एवं हितधारकों के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाएगा।
दीपम के सचिव ने कहा, ‘एलआईसी सिर्फ कोई रणनीतिक निवेश न होकर एक बेहद महत्वपूर्ण घटना है। एलआईसी बहुत पुराना संगठन होने के साथ ही इसका सार्वजनिक स्वामित्व भी बहत व्यापक है।’
भाषा
प्रेम रमण
रमण
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.