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Monday, 7 October, 2024
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सतत ऊर्जा स्रोतों से ही सतत विकास संभव: मोदी

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नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत ‘‘ग्रीन हाइड्रोजन’’ का केंद्र बन सकता है क्योंकि उसके पास नवीकरणीय ऊर्जा बहुतायत में उपलब्ध है और इस वजह से देश स्वाभाविक फायदे की स्थिति में है।

‘‘सतत विकास के लिए ऊर्जा विषय’’ पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट है कि सतत विकास, सतत ऊर्जा स्रोतों से ही संभव है। उन्होंने कहा, ‘‘सतत विकास के लिए ऊर्जा हमारी पुरातन संस्कृति से भी प्रेरित है और यह भविष्य की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं की पूर्ति का मार्ग भी है।’’

कार्बन उत्सर्जन सहित जलवायु परिवर्तन से जुड़े अन्य मुद्दों पर भारत के लक्ष्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि देश इन्हें चुनौती की तरह नहीं बल्कि एक अवसर के रूप में देखता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्लास्गो में भारत ने 2070 तक नेट-जीरो के स्तर तक पहुंचने का वादा किया है और देश ने ‘सीओपी-26’ में पर्यावरण के लिए जीवनशैली का एक दृष्टिकोण सामने रखा है तथा भारत अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे वैश्विक सहयोग का भी नेतृत्व कर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘भारत ने अपने लिए जो भी लक्ष्य तय किए हैं, उसे मैं चुनौती की तरह नहीं बल्कि अवसर की तरह देखता हूं। इसी दृष्टिकोण पर भारत बीते वर्षों से चल रहा है और इस बजट में इनको नीतिगत स्तर पर और आगे बढ़ाया गया है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बजट में सौर ऊर्जा की दिशा में उच्च दक्षता वाले ‘‘सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग’’ को बढ़ावा देने के लिए 19,000 करोड़ रुपए की घोषणा की गई है और इस मॉड्यूल व इससे जुड़े उत्पादों के निर्माण और शोध से भारत को ‘‘वैश्विक केंद्र’’ बनाने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘बजट में नेशनल हाइड्रोजन मिशन की भी घोषणा की गई है। भारत के पास प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नवीकरणीय ऊर्जा एक स्वाभाविक फायदा है। इससे भारत विश्व में ग्रीन हाइड्रोजन का केंद्र बन सकता है।’’

उन्होंने कहा कि हाइड्रोजन इकोसिस्टम, फर्टिलाइजर, रिफाइनरी और परिवहन क्षेत्र एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि भारत की पूरी क्षमता का उपयोग किया जा सके।

ज्ञात हो कि स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन विकल्प के लिये हाइड्रोजन पृथ्वी पर उपलब्ध सबसे प्रचुर तत्त्वों में से एक है। ग्रीन हाइड्रोजन नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे सौर, पवन) का उपयोग करके जल के विद्युत अपघटन द्वारा निर्मित होती है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है।

ऊर्जा सुरक्षा और उसके बचत के महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि देश में ही ऊर्जा की बचत करने वाले एयरकंडीशनर, हीटर, गीजर और अन्य उपकरण बनाने पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, ‘जहां भी बिजली की खपत ज्यादा है, वहां ऊर्जा की बचत करने वाले उपकरणों का निर्माण हम सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए।’

इस कड़ी में प्रधानमंत्री ने एलईडी बल्ब का उल्लेख किया और कहा कि जब 2014 में केंद्र में भाजपा की सरकार आई तो उसने एलईडी बल्ब का उत्पादन बढ़ाया। इससे एलईडी बल्ब की कीमतों में भारी कमी आई।

उन्होंने कहा, ‘उजाला योजना के तहत हमने देश में करीब-करीब 37 करोड़ एलईडी बल्ब बांटे। इससे लगभग 48 हजार मिलियन किलो वाट घंटे बिजली बची है। हमारे गरीब और मध्यम वर्ग का सालाना करीब 20 हजार करोड़ रुपये का बिजली बिल भी बचा है और प्रतिवर्ष करीब 4 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन कम हुआ है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि परंपरागत स्‍ट्रीट लाइट्स को भी सवा करोड़ स्मार्ट एलईडी बल्बों से बदला गया और उससे भी बिजली बची है और करीब 50 लाख टन कार्बन उत्सर्जन कम हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘आप कल्पना कर सकते हैं कि इस एक योजना ने पर्यावरण की कितनी बड़ी रक्षा की है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयले को गैस में परिवर्तित करना कोयले का एक स्वच्छ विकल्प है और इसके मद्देनजर इस वर्ष के बजट में कोयले के गैसीकरण के लिये चार प्रायोगिक परियोजनाओं की घोषणा की गई है, जो इन परियोजनाओं की तकनीकी और वित्तीय उपादेयता को मजबूत बनाने में मदद करेंगी।

प्रधानमंत्री ने देश में ऊर्जा की मांग में भावी उछाल के बारे में उल्लेख किया और नवीकरणीय ऊर्जा के विकल्प को अपनाने के महत्त्व को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, ‘इस दिशा में कई पहल हुई हैं, जैसे भारत में 24-25 करोड़ घरों में स्वच्छ ईंधन, नहरों पर सौर पैनल, घरों के बगीचों या बालकनियों में सौर वृक्ष। सौर वृक्ष से ही घर के लिये 15 प्रतिशत बिजली मिल जायेगी।’

उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि माइक्रो हाइडिल परियोजनाओं की संभावना तलाशनी चाहिये ताकि बिजली उत्पादन बढ़ाया जा सके।

उन्होंने कहा, “दुनिया हर तरह के प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास देख रही है। ऐसे परिदृश्य में चक्रिय अर्थव्यवस्था समय की मांग है और हमें इसे अपने जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाना होगा।”

भाषा ब्रजेंद्र

भाषा ब्रजेंद्र शोभना प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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