नयी दिल्ली, तीन मार्च (भाषा) यूक्रेन में कई भारतीयों के फंसे होने के बीच सरकार सोशल मीडिया समेत विभिन्न प्लेटफॉर्मों पर वीडिया डालकर यह बता रही है कि युद्धग्रस्त क्षेत्र में वह किस प्रकार सुरक्षित रहें।
इस सिलसिले में सार्वजनिक प्रसारक दूरदर्शन ने युद्धग्रस्त क्षेत्रों में गोलाबारी और मिसाइल हमलों के बीच सुरक्षित रहने के तरीकों के बारे में पूर्व सैन्य जनरलों के साक्षात्कार लिये हैं।
भारतीय थलसेना की 15 कोर का नेतृत्व कर चुके लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सतीश दुआ ने कहा कि युद्ध क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौती सूचना का अभाव होती है, जिसके चलते अफवाहें फैलती हैं।
उन्होंने कहा कि बंकरों, बेसमेंट या बम निरोधक स्थानों में से जो कुछ भी उपलब्ध हो, उसमें रहना बेहतर है और भोजन लेने के लिए बाहर जाना खतरनाक हो सकता है।
लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सुधाकर जे. ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए फोन की बैटरी बचाना महत्वपूर्ण है कि कोई व्यक्ति कभी भी संपर्क से बाहर न हो। चूंकि भोजन और पानी की आपूर्ति सीमित होती है, इसलिए अनुशासन बनाए रखने की सलाह दी जाती है।
एक अन्य पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल एस. ए. हसनैन का विचार है कि युद्ध क्षेत्रों में फंसे लोगों को कोशिश करनी चाहिये कि वे अकेले न रहें। उन्होंने कहा कि यदि संभव हो तो लोगों को समूहों में रहना चाहिए।
15 कोर के पूर्व कमांडर ने कहा कि यदि संभव हो तो कम से कम दो लोगों को एक साथ होना चाहिए और जोड़े बनाने चाहिए ताकि वे अकेला महसूस न करें और खो न जाएं।
उनका विचार है कि युद्ध क्षेत्रों में सैन्य प्रतिष्ठानों के पास रहने से बचना चाहिए क्योंकि वे मिसाइल हमलों और गोलाबारी का मुख्य लक्ष्य होते हैं।
सरकार ‘ऑपरेशन गंगा’ के तहत, फंसे हुए भारतीयों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों के जरिये बाहर निकाल रही है।
नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा है कि बृहस्पतिवार को वायुसेना की 19 उड़ानों के जरिये 3,726 लोगों को वापस लाया जायेगा।
भाषा
जोहेब उमा
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