नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) एक्सॉन मोबिल कॉर्प के रूस से बाहर निकलने के फैसले ने भारत की अग्रणी विदेशी तेल इकाई ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) को अजीब दुविधा में डाल दिया है। ओवीएल रूस के सुदूर पूर्व में स्थित सखालिन-1 तेल क्षेत्रों में साझेदार है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
एक्सॉन मोबिल ने बीपी और शेल के साथ ही रूसी कारोबार से अलग होने की घोषणा की है। यूक्रेन पर रूस के सैन्य हमले के विरोध में इन तेल उत्खनन कंपनियों ने रूस से बाहर निकलने का फैसला किया है।
एक्सॉन मोबिल की सखालिन-1 तेल क्षेत्र में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि ओवीएल के पास 20 प्रतिशत हिस्सा है। इसने वर्ष 2021 में औसतन 2.27 लाख बैरल तेल का प्रतिदिन उत्पादन किया था। इसका परिचालन एक्सॉन मोबिल करती है।
सूत्रों ने कहा कि एक्सॉन ने इस उद्यम से अलग होने की घोषणा करने के बावजूद इसकी कोई समयावधि नहीं बताई है। लेकिन इसके अलग होने का मतलब है कि अब इस परियोजना को तकनीकी श्रमशक्ति एवं विशेषज्ञता नहीं मिल पाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, एक्सॉन मोबिल के हटने के बाद सखालिन-1 परियोजना में उसकी हिस्सेदारी को रूसी तेल कंपनी रॉसनेफ्ट ले सकती है। इस तेल-क्षेत्र में रॉसनेफ्ट के पास 20 प्रतिशत हिस्सेदारी पहले से ही है।
सखालिन-1 परियोजना में भागीदार कंपनियों ने अब तक 17 अरब डॉलर का निवेश किया है। ठंड के मौसम में जम जाने वाले इस क्षेत्र में तेल कुंओं का संचालन कर पाना तकनीकी रूप से काफी मुश्किल माना जाता है।
ओवीएल वर्ष 2001 में इस परियोजना का हिस्सा बनी थी। एक्सॉन मोबिल ने वर्ष 2005 में यहां से तेल उत्पादन शुरू किया था।
ओवीएल और तीन अन्य भारतीय कंपनियों…ऑयल इंडिया लि., इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन तथा भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीण्न) की इकाई.. की पश्चिम साइबेरिया में स्थित वेंकोर तेल-क्षेत्र में भी 49.9 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
लेकिन इस परियोजना पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि रॉसनेफ्ट की इसमें 50.1 प्रतिशत हिस्सेदारी है और वह इसकी परिचालक भी है।
भाषा
प्रेम रमण
रमण
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