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Friday, 22 November, 2024
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परमीश वर्मा गोलीकाण्डः पंजाबी संगीत की दुनिया में बन्दूक वाली शान को खत्म करने का समय

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परमीश वर्मा गोली काण्ड,सभी अन्य पंजाबी गायकों के लिए एक असभ्य झलक है,जो अपने संगीत में हिंसा को बढ़ावा देते हैं

मोहाली में पंजाबी गायक परमीश वर्मा को गोली मार दिए जाने की चौंकाने वाली खबर गन कल्चर और बेढ़ंगी मर्दानगी,जो पंजाबी संगीत उद्योग में प्रचलित है, के बारे में एक गंभीर अनुभूति के साथ आती है।

अफसोस, ये सब वही है जिसे परमीश वर्मा समेत अन्य पंजाबी गायक कई वर्षों से प्रोत्साहित करते रहे हैं।
लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका के पिछले महीने के #नेवरअगेन अभियान की तरह भारत में बन्दूक के खिलाफ हो-हल्ला कहाँ है? पंजाबी संगीत की दुनिया में गन रखना और दुश्मनों एवं अपनी प्रेमिका के पूर्व प्रेमी पर बंदूक से फायर करना बहुत शान का विषय माना जाता है और अगर आपके पास दोनों में से कोई नहीं हैं, तो आप केवल हवा में भी फायर कर सकते हैं।

प्रसिद्ध गायक दिलप्रीत ढिल्लों के गीत ‘गुंडे नंबर 1’ पर एक नज़र डालें,जहाँ वह “मेरे विच्चों बोले बिल्लो बत्ती बोर दा” (मैं 0.32 बोर गन की भाषा बोल रहा हूँ)” गुनगुनाते हैं। इस वीडियो के अंत में, एक इमोशनल क्लाइमेक्स में नायक की मृत्यु हो जाती है क्योंकि कोई उसे गोली मार देता है। उसकी प्रेमिका तब दो बंदूकें उठाती है और दुश्मनों को गोली मारती है। यह गीत पंजाबी युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुआ।

 

हाल ही में मेरे गृहनगर जालंधर में मेरे दोस्तों से हुई आम चर्चा से यह समझ में आ गया,कि ये भावना कितना अन्दर तक समाहित है: एक परिचित जेल में थे और वह बहुत मशहूर और माननीय हो गए जब से वह जेल से जमानत पर छूट कर बाहर आए थे। मेरे साथियों ने गर्व के साथ कहा कि इस प्रकार की “वीरता” “जट्टों के खून” में है| जट्ट, एक ऊंची जाति जिसे पंजाब में ऊपरी वर्ग समुदाय में प्रमुख सांस्कृतिक प्रभाव डालने वालों के रूप में देखा जाता है।

गायक दिलजीत दोसांझ ने भी अपने गीतों के माध्यम से पंजाब में इस ‘गन-इज़-कूल’ कल्चर और शराब के प्रोत्साहन में बहुत योगदान दिया है। युवाओं ने बस इसे उत्सुकता पूर्वक ग्रहण किया है। लोकप्रिय दिलजीत-हनी सिंह गीत में दिलजीत दो बंदूकें पकड़े हुए है और गायन किया है- “मितरां नूं शौंक गोलियां चलौंन दा (हम दोस्तों को गोलियां चलाने का शौक है)। और उसके बाद यो यो हनी सिंह चिल्लाते हुए कहते हैं “येस रिलोड इट”। दिलजीत के शराब का प्रचार करने वाले गानों की सूची लंबी है। उनका प्रसिद्ध गीत “जट्ट फायर करदा (जट्ट फायर करते हैं)” में उन्हें जंगली पिटबुलों के साथ दर्शाया गया है। और इसके साथ वह कहते हैं कि “जित्थे हुंदी है पाबंदी हथियार नी उत्थे जट फायर करदा” (जहां गोलियां चलाना मना होता है वहां भी जट फायर करेगा)।

गानों में ‘बैडैस  जट्ट’ (बदमाश जट्ट) जैसे (ट्रॉप) अंलकारों का प्रयोग सांस्कृतिक रूप से अनुचित है।मुझे याद है कि मै मेरे गृहनगर (होमटाउन) में एक 10 वर्षीय बच्चे से मिला, जो बड़ा अभिमानी था, वह कहता था कि वह एक जट्ट है (हालांकि वह ब्राह्मण था) और वह एक दिन अपने दुश्मन को गोली मार देगा क्योंकि “जट्ट यही करते हैं”।यदि आप इस बात की निंदा करते हैं, तो आप बेपरवाह नहीं ऐसी। यदि आप इसका बहिष्कार  करते हैैं तो बच्चे इस सोच के लिए आपको एक कायर समझेंगें।

हिंसा को बढ़ावा देने वाले गानों की कहानी यहीं पर समाप्त नहीं होती। कुछ समय पहले एक पंजाबी गीत लोकप्रिय हुआ था जिसमें एक उच्च न्यायालय में जट्ट व्यक्ति की उपस्थिति के लिए चंडीगढ़ को सील करने के बारे में बात की गई थी। जोरा रंधावा का गीत “हाई कोर्ट पेशी जट्ट दी, सील हो गया चंडीगढ़ सारा (उच्च न्यायालय में जट्ट की उपस्थिति ने अधिकारियों को चंडीगढ़ को सील करने पर मजबूर कर दिया)”।गायक अपने जट्ट होने के प्रभाव के कारण पुलिस, न्यायाधीश और वकीलों को डराने में सक्षम होने पर गर्व दिखाता है।

 

विडंबना यह है कि परमीश वर्मा ने भी अपने गानों में बंदूक-हथियारों और हिंसा के साथ दर्शाया है।

गीत “मेरी मौत” को देखें जिसमें कॉलेज मेें धमकाने जैसी विशेषताएं हैं (वह अन्य गीतों में भी एक धमकी देने के रूप में दिखाया गया है)। गीत के शब्द कहते हैं, “एंड मारे ने बंदूक ते माशूक ते, पुत्त किन्निया मावां दे सिवेया च फूँकते (हमने कुछ माताओं के कई पुत्रों को मौत के घाट उतारने के बाद अब अपनी बंदूकों और महिला मित्रों का भी त्याग कर रहे हैं)।अंत में, वह और उसके दोस्तों उसके दुश्मनों द्दुअरा गोली से मार दिये जाते हैं। इस गाने को लेकर यूट्यूब पर 80 लाख से अधिक देखने वाले (विव्स) थे और प्रशंसनीय टिप्पणियाँ थीं।

वर्मा को गोली मारी जाने वाली घटना ने स्पीड रिकॉर्ड्स को ट्वीट करने के लिए बाध्य कर दिया कि यह घटना पंजाबी मनोरंजन उद्योग पर भी एक धावा बोलने के समान थी।

 

अगर इससे उद्योग को बड़ा धक्का लगता है तब मुझे आशा है कि पंजाब के सभी रिकॉर्डिंग स्टूडियो (या कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके और अन्य जगहों में) अपने गीतों में हिंसा को कम करने के लिए काम करेंगे।

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